चीन को तगड़ा झटका: डोनाल्ड ट्रंप ने पीएम मोदी से फोन पर बात कर जी-7 समिट में शामिल होने का न्योता दिया

 लद्दाख में भारत और चीन सीमा पर विवाद के बीच अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से फोन पर बात की है। उन्होंने पीएम मोदी को जी-7 समिट में शामिल होने का न्योता दिया है। यही नहीं राष्ट्रपति ट्रंप ने भारत को जी-7 में शामिल करने की भी इच्छा जताई है। जानकारी अनुसार दोनों नेताओं के बीच कोरोना महामारी, विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) में सुधार और जी-7 को लेकर बात हुई है। इसके अलावा ट्रंप ने भारत-चीन सीमा विवाद सहित कई मुद्दों पर बात की। कोरोना वायरस के खिलाफ जंग पर आपसी सहयोग पर दोनों नेताओं के बीच बात हुई। कुछ दिन पहले ही डोनाल्ड ट्रंप ने भारत और चीन के बीच मध्यस्थता को लेकर प्रस्ताव रखने की बात भी ट्वीट की थी, जिसको भारत और चीन दोनों ने सिरे से नकार दिया था।

अमेरिका में हिंसा को लेकर पीएम मोदी ने चिंता व्यक्त की
जानकारी अनुसार प्रधानमंत्री मोदी ने ट्रंप से बातचीत के दौरान कहा कि कोरोना के बाद के समय में इस तरह के मजबूत संगठन (जी-7) की जरूरत है। पीएम ने कहा कि इस सम्मेलन की सफलता के लिए अमेरिका और अन्य देशों के साथ मिलकर काम करना प्रसन्नता का विषय है। प्रधानमंत्री मोदी ने अमेरिका में जारी हिंसा को लेकर चिंता व्यक्त की और स्थिति के जल्द ठीक होने की कामना की। बता दें कि इस समय अमेरिका में कई शहरों में हिंसक प्रदर्शन हो रहे हैं। अमेरिका में जॉर्ज फ्लॉयर्ड नाम के अश्वेत की मौत के बाद वहां हिंसा भड़क उठी। वाइट हाउस तक हिंसा पहुंचने के बाद डोनाल्ड ट्रंप को बंकर में छिपाना पड़ा था।

क्या है जी-7?
जी-7 सात बड़ी अर्थव्यवस्था वाले देशों का एक समूह है। इसमें फ्रांस, कनाडा, जर्मनी, इटली जापान, ब्रिटेन और अमेरिका शामिल हैं। इसे ग्रुप ऑफ सेवन भी कहा जाता है। ये सभी देश आपसी हितों के मामलों पर चर्चा के लिए हर साल मिलते हैं।

विश्व स्वास्थ्य संगठन में सुधार को लेकर हुई बात
दोनों नेताओं में विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) में सुधार और कोरोना वायरस को लेकर भी बातचीत हुई। बता दें कि हाल ही में अमेरिका ने विश्व स्वास्थ्य संगठन से हटने का ऐलान किया था। डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि WHO पूरी तरह से चीन के नियंत्रण में है। WHO बदलाव की प्रक्रिया शुरू करने में नाकाम रहा और अमेरिका विश्व स्वास्थ्य संगठन से अपना रिश्ता खत्म करेगा।

ब्ल्यूएचओ से क्यों खफा हैं डोनाल्ड ट्रम्प?
अमेरिका पहले ही डब्ल्यूएचओ की फंडिंग रोक चुका है। अब ट्रम्प ने डब्ल्यूएचओ के साथ सभी रिश्ते खत्म करने की बात कही है। उन्होंने कहा कि हम डब्ल्यूएचओ के कोटे का फंड स्वास्थ्य क्षेत्र में काम करने वाली किसी दूसरी संस्था को देंगे। ट्रम्प ने कहा था कि डब्ल्यूएचओ पर चीन का पूरा नियंत्रण है। चीन उसे 4 करोड़ डॉलर देता है और अमेरिका एक साल में 45 करोड़ डॉलर की मदद देता है। दोनों ने हमारी मांग नहीं मानी, इसलिए हम डब्ल्यूएचओ से संबंध खत्म कर रहे हैं। 

ट्रंप ने सोमवार को लद्दाख में संघर्ष हल नहीं निकालने पर चीन की निंदा थी
अमेरिका ने चीन द्वारा भारत के साथ लगती वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर आक्रामकता दिखाने और अंतर्राष्ट्रीय कानून के अनुसार संघर्ष का समाधान नहीं करने को लेकर चीन की निंदा की। केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख में भारत के खिलाफ चीनी आक्रामकता के बारे में चिंता जाहिर करते हुए, विदेशी मामलों पर अमेरिकी हाउस कमेटी के अध्यक्ष इलियट एंगल ने सोमवार को कहा था कि बीजिंग एक बार फिर दिखा रहा है कि वह संघर्षों का अंतर्राष्ट्रीय कानून के अनुसार समाधान करने के बजाय अपने पड़ोसियों को धमकाने का इच्छुक है। एंगेल ने शी जिनपिंग सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि देशों को समान नियमों का पालन करना चाहिए। उन्होंने चीन से भारत के साथ सीमा संबंधी सवालों को हल करने के लिए मानदंडों का सम्मान करने और कूटनीति और मौजूदा तंत्र का उपयोग करने का आग्रह किया। 

लद्दाख पर भारत-चीन की सैन्य स्तरीय वार्ता का नतीजा नहीं निकला
बता दें कि पूर्वी लद्दाख में भारत और चीन के बीच सीमा जारी है। यहां दोनों देशों की सेनाएं एक-दूसरे के सामने कुछ ही दूरी पर आमने-सामने खड़ी है। ऐसे में गतिरोध हल करने के लिए दोनों देशों के सैन्य प्रतिनिधियों के बीच वार्ता मंगलवार को बेनतीजा रही। सरकारी सूत्रों ने बताया कि मेजर जनरल रैंक अफसरों के बीच डिवीजन कमांडर स्तरीय वार्ता मंगलवार दोपहर को हुई, लेकिन इसमें कोई नतीजा नहीं निकल सका है। वार्ता शुरू होने से पहले उत्तरी सैन्य कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल वाई के जोशी भी जमीनी हालात की समीक्षा के लिए लद्दाख पहुंच गए थे। सूत्रों ने बताया कि बैठक में कोई खास सफलता नहीं मिली, इस वजह से दोनों देशों के सैन्य नेतृत्व के बीच एक और वार्ता छह जून को होगी। भारतीय सेना प्रमुख एमएम नरवाणे को उम्मीद है कि गतिरोध का समाधान सैन्य स्तरीय वार्ता में निकल आएगा।

पहले भी कई बैठक बेनतीजा रहीं
इससे पहले भी भारत व चीन की सेना के प्रतिनिधियों के बीच कई दौर कीा वार्ता हो चुकी है लेकिन किसी में कोई नतीजा नहीं निकला। इस बीच, चीन ने वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर भारी संख्या में सैनिक भेजे हैं। इसे देखते हुए भारत ने भी सैनिकों की संख्या बढ़ाई है। पांच मई के बाद से दोनों देशों के सैनिक एलएसी पर चार जगहों पर एक-दूसरे के आमने-सामने हैं। दोनों पक्षों ने इन जगहों पर करीब एक हजार सैनिक तैनात किए। बाद में अतिरिक्त कुमुक भी भेजी गई। ताजा विवाद भारत द्वारा पूर्वी लद्दाख के पांगगोंग त्सो (झील) इलाके में एक खास सड़क और गलवान घाटी में डारबुक-शायोक-दौलत बेग ओल्डी सड़क को जोड़ने वाली एक सड़क को बनाने के प्रति चीन के विरोध से पैदा हुआ है।

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