सुल्तानपुर । मनरेगा में मजदूरों की उपस्थिति को लेकर अब मनमानी नहीं चलेगी । प्रधान और पंचायत सचिव चाह कर भी मौके पर गए बिना मनरेगा मजदूरों की हाजिरी नहीं लगा पाएंगे । अब मनरेगा मजदूरों की हाजिरी के लिए एनएमएमएस एप को अनिवार्य कर दिया गया है। ऐसे में अब कार्यस्थल पर हाजिर मजदूरों की फोटो खींचकर अपलोड करनी होगी। इस योजना को जिले के सभी ब्लाकों में लागू किया जाएगा। यह जानकारी सीडीओ अंकुर कौशिक ने दैनिक ” भास्कर ” को दी ।
प्रधानों व सचिवों की नहीं चलेगी मनमानी
सीडीओ श्री कौशिक ने कहाकि मनरेगा में मजदूरों की उपस्थिति के नाम पर प्रधानों व सचिवों द्वारा की जाने वाली मनमानी पर लगाम लगाने की कवायद शुरू हो गई है । 20 या इससे अधिक मजदूरों के होने की दशा में तब-तक उपस्थिति दर्ज नहीं होगी, जब-तक सभी मजदूर कार्यस्थल पर नहीं जाएंगे। इसके लिए नेशनल मोबाइल मानीटरिंग सिस्टम (एनएमएमएस) एप को अनिवार्य कर दिया गया है । जिले के सभी ब्लाकों में इसे लागू किया जा रहा है। इसके बाद मजदूरों का मस्टररोल तैयार करने को लेकर किया जाने वाला खेल रुक सकेगा।
मनरेगा का जॉब कार्ड बनाकर लोगों को मजदूरी दी जाती है। इस तरह की शिकायतें अक्सर आती हैं कि जो लोग गांव में नहीं हैं, उनका नाम भी मस्टररोल में शामिल कर लिया जाता है। मस्टररोल तैयार करते समय ऐसे लोगों के नाम भी दर्ज कर लिए जाते हैं , जो कभी काम करने नहीं जाते हैं। इन अनियमितताओं को खत्म करने के लिए जिले में एनएमएमएस एप को पूरी तरह से लागू किया जा रहा है। मुख्य विकास अधिकारी अंकुर कौशिक की चौकन्नी निगरानी से ब्लाकों में तेजी से यह व्यवस्था लागू हो रही है।
सीडीओ श्री अंकुर ने बताया कि एनएमएमएस एप के जरिए रोजगार सेवक या पंचायत सचिव कार्यस्थल पर जाएंगे, वहीं इस एप में लोकेशन स्वत: अपलोड हो जाएगा। पंचायत सचिवों द्वारा सभी मजदूरों को बुलाया जाएगा और एक साथ फोटो लेकर अपलोड करनी होगी। फोटो अपलोड करने के बाद मस्टररोल खुलेगा और उसे भरकर उपस्थिति दर्ज की जाएगी। मैनुअल मस्टररोल तुरंत नहीं तैयार किया जाता है, जिससे गड़बड़ी की आशंका बनी रहती है। सीडीओ अंकुर कौशिक ब्लॉकों के अधिकारियों की बैठक कर एनएमएमएस एप से उपस्थिति दर्ज करने की प्रगति की समीक्षा करेंगे ।
मुख्य विकास अधिकारी अंकुर कौशिक ने बताया कि सभी ब्लाकों में 20 या इससे अधिक मजदूरों से काम लेने की स्थिति में एनएमएमएस एप से उपस्थिति दर्ज करने का निर्देश दिया गया है। नियमित रूप से इसकी निगरानी भी हो रही है। जल्द ही जिले में नई व्यवस्था पूरे तरह से लागू हो जाएगी। इस व्यवस्था से अनियमितता पर अंकुश लग सकेगा।
मजदूरों की लाइफ लाइन है मनरेगा योजना
मुख्य विकास अधिकारी अंकुर कौशिक ने बताया कि महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (महात्मा गांधी नरेगा) एक मांग आधारित मजदूरी रोजगार कार्यक्रम है, जो देश के ग्रामीण क्षेत्रों में परिवारों की आजीविका सुरक्षा को बढ़ाने के लिए कम से कम एक सौ दिनों का गारंटीकृत रोजगार प्रदान करता है। उन्होंने बताया कि मनरेगा योजना प्रत्येक परिवार के लिए वित्तीय वर्ष जिसके वयस्क सदस्य स्वेच्छा से अकुशल शारीरिक कार्य करते हैं। इसके अतिरिक्त, सूखा, प्राकृतिक आपदा अधिसूचित ग्रामीण क्षेत्रों में एक वित्तीय वर्ष में 50 दिनों के अतिरिक्त अकुशल मजदूरी रोजगार का प्रावधान है। श्री कौशिक ने कहाकि मनरेगा योजना एक तरह की ग्रामीण मजदूरों की लाइफ लाइन है ।