सुल्तानपुर; भदैया में जेसीबी मशीनों के हवाले मजदूरों की मनरेगा

भदैंया-सुलतानपुर। सरकारी नीतियों के अनुसार मनरेगा मजदूरों का काम मिलेगा लेकिन ग्रामपंचायतों में मनरेगा के कार्य भी जेसीबी से कराये जा रहे हैं। अब मनरेगा मजदूरों का मशीनों के हवाले हो गया है। सुलतानपुर जिले में अमृत सरोवर योजना के तहत कई तालाब बनाए जा रहे हैं। जिसके निर्माण कार्य में मनरेगा मजदूरों की जगह खुदाई के लिए जेसीबी मशीनों का उपयोग किया जा रहा है।

अब मजदूर काम पाने के लिए घर और परिवार को छोड़ कर दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर हो रहे हैं। जब कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विकास और निर्माण कार्यों में मनरेगा मजदूरों की उपयोगिता अनिवार्य की थी। ताकि मजदूरों को काम करने के लिए किसी अन्य जगह बाहर न जाना पड़े। अपने ही गांव में रहकर मनरेगा के तहत मजदूरी करें। लेकिन अब सारे कार्य मशीनीकरण से होने लगे हैं।

गांवों में मजदूरों की जगह मशीनों से कराया जा रहा मनरेगा का काम

मनरेगा योजना के तहत जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में कराए जाने वाले विकास कार्यों को मजदूरों से न कराकर अब जेसीबी मशीनों से कराया जा रहा है। वहीं कुछ मिट्टी खनन माफिया के माध्यम से मार्केट में भी बेचा जा रहा है। इससे गांव में रहने वाले गरीब मजदूर काफी परेशान है। इन मजदूरों से मनरेगा के तहत मजूदरी नहीं कराई जा रही है। मजदूरी नहीं मिलने से ग्रामीण मजदूर अपने परिवार का भरण-पोषण तक ठीक ढंग से नहीं कर पा रहे है। सबसे ज्यादा परेशानी उन मजदूरों को होती है। जिनके पास खेती करने के लिए एक इंच भी जमीन नहीं है। यह लोग केवल मजदूरी के भरोसे ही रहते है।

बडसडा ग्राम सभा में अमृत सरोवर तालाब खुदाई करते जेसीबी

गांव में काम नहीं मिल पाने की वजह से अधिकतर मजदूर शहरों की ओर पलायान करने के लिए मजबूर हो रहे है। बताते चलें कि मनरेगा योजना को शुरू करने के पीछे सरकार का मकसद था कि ग्रामीण क्षेत्रो में रहने वाले गरीब मजदूरों को कम से कम 100 दिन रोजगार मिले। जिससे गरीब मजदूरों को मजदूरी के लिए शहरों की तरफ पलायान करने पर मजबूर न होना पड़े और उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत हो। इसलिए सरकार ने सभी ग्राम पंचायतों को आदेश दिया था कि गांवों में होने वाले विकास कार्यों में मनरेगा के तहत गरीब मजदूरों से मजदूरी कराई जाए।

ग्रामीण क्षेत्रों में मजदूरों की जगह मशीनों से काम कराया जा रहा हैं। लेकिन अब ये योजनाएं केवल कागजों पर ही सीमित रह गई हैं। ऐसा ही एक मामला प्रदेश के जनपद सुलतानपुर जिले की भदैया विकास खण्ड क्षेत्र के अंतर्गत बरसडा ग्राम पंचायत का सामने आया है। जहां रात होते ही अमृत सरोवर योजना के तहत तालाब में मजदूरों के बजाय जेसीबी मशीन से उसकी खुदाई की जा रही हैं। रात मे जेसीबी लगाकर खुदाई की जा रही हैं।

कुछ मिट्टी खनन माफियाओं के माध्यम से तालाब की मिट्टी मार्केट में बेच दी जा रही है। कुछ मिट्टी को जेसीबी मशीन से खुदाई कर उसे एक जगह डंप कर दिया जाता हैं। जहां सुबह कुछ मजदूरो को लगाकर उसे बराबर कर दिया जाता हैं। सभी मजदूरों को एकत्रित कर फोटो खींच कर शासन को भेज दिया जाता हैं।

ताकि दिन को कोई अधिकारी आए तो जेसीबी मशीन का निशान ना दिखाई दे। रात भर जेसीबी से तालाब की खुदाई हो सुबह होते ही जेसीबी मशीन का नामो निशान मिटा दिया जाता हैं। लेकिन मनरेगा के तहत तालाब की खुदाई रात होते ही मजदूरों की जगह जेसीबी मशीन से कराई जा रही है। प्रधान व सचिव तथा ब्लॉक पर बैठे मठाधीश भ्रष्टाचार में लिप्त होकर गरीब मजदूरों का हक छीनने में लगे हैं।

पलायन को विवश हो रहे मजदूर- ग्रामीण क्षेत्रों में मनरेगा के तहत मजदूरी नहीं मिल पाने की वजह से अब गांव के मजूदर शहरों की तरफ या दूसरे राज्यों में पलायान करने के लिए मजबूर है। ग्राम पंचायतों में होने वाले विकास कार्यों का काम ग्राम प्रधान ग्राम पंचायत अधिकारी रोजगार सेवक मजदूरों से नहीं कराकर मशीनों से करा रहे है। मशीनों से काम कराने के बाद फर्जी मस्टर रोल भरकर लाखों रुपए का भ्रष्टाचार खुले आम कर रहे है। खण्ड विकास अधिकारी भदैया ने कहा कि जानकारी नहीं हैं। जांच करवाकर प्रधान व सचिव के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

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