LIVE : अब अगले बरस अयोध्या पर सुनवाई, जानें हर अपडेट

नई दिल्ली :अयोध्या राम मंदिर-बाबरी मस्जिद जमीन के मालिकाना हक के विवाद को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई अगले साल तक टल गई है। जनवरी में यह तय होगा कि कौन सी बेंच इस मामले की सुनवाई करेगी और इसकी अगली तारीख भी तब ही तय होगी।  सुप्रीम कोर्ट में आज तीन जजों की नई बेंच ने अयोध्या में ज़मीन विवाद  मामले की सुनवाई की. नई बेंच में मुख्य न्यायधीश रंजन गोगोई, संजय किशन कौल और जस्टिस के एम जोसेफ शामिल थे. उन्होंने मामले की सुनवाई टाल दी है. दरअसल, इलाहबाद हाइकोर्ट ने 2010 में विवादित 2.77 एकड़ जमीन को तीनों पक्षकारों भगवान रामलला, निर्मोही अखाड़ा और सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड के बीच बराबर-बराबर बांटने का फ़ैसला सुनाया था. जिसके विरोध में कई पक्षों की तरफ़ से सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी.

इससे पहले पूर्व चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ मामले की सुनवाई कर रही थी. बता दें, ये मामला 2010 से सुप्रीम कोर्ट में लंबित है, लेकिन इस मसले पर अब तक सुनवाई शुरू नहीं हो सकी है.

पिछली सुनवाई में क्या हुआ था?

इस मामले में आखिरी सुनवाई बीती 27 सितंबर को हुई थी. इस दौरान तत्कालीन चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अगुआई वाली पीठ ने दो-एक के बहुमत से आदेश दिया था कि विवादित भूमि के मालिकाना हक वाले दीवानी मुकदमे की सुनवाई तीन जजों की नई पीठ 29 अक्टूबर को करेगी.

पीठ ने नमाज के लिए मस्जिद को इस्लाम का अभिन्न हिस्सा नहीं मानने वाले इस्माइल फारूखी मामले में 1994 के फैसले के अंश को पुनर्विचार के लिए सात जजों की पीठ को भेजने से मना कर दिया था. कोर्ट ने कहा था कि विवादित जमीन पर मालिकाना हक का निर्धारण साक्ष्यों के आधार पर किया जाएगा. इसलिए पिछले फैसले का मौजूदा मामले से कोई संबंध नहीं है.

अयोध्या विवाद कब क्या हुआ?
1949: 
बाबरी मस्जिद के भीतर भगवान राम की मूर्तियां देखी गई,
सरकार ने परिसर को विवादित घोषित कर भीतर जाने वाले दरवाज़े को बंद किया
1950: फ़ैज़ाबाद अदालत में याचिका दायर कर मस्जिद के अंदर पूजा करने की मांग.
हिंदुओं को मस्जिद के भीतर पूजा करने की इजाज़त, भीतरी प्रांगण बंद
1959: निर्मोही आखड़ा ने याचिका दायर कर मस्जिद पर नियंत्रण की मांग की
1961: सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड की याचिका, मस्जिद से मूर्तियों को हटाने की मांग
1984: वीएचपी ने राम मंदिर के लिए जनसमर्थन जुटाने का अभियान शुरू किया
1986: फ़ैज़ाबाद कोर्ट ने हिंदुओं की पूजा के लिए मस्जिद के द्वार खोलने के आदेश दिए
1989: राजीव गांधी ने विश्व हिंदू परिषद को विवादित स्थल के क़रीब पूजा की इजाज़त दी.
वरिष्ठ बीजेपी नेता लालकृष्ण आडवाणी ने राम मंदिर के समर्थन में रथ यात्रा निकाली.
बिहार के समस्तीपुर में लालू सरकार ने आडवाणी को गिरफ़्तार किया
1992: कारसेवकों ने बाबरी मस्जिद गिराया, अस्थाई मंदिर का निर्माण किया.
देशभर में दंगे हुए जिसमें 2000 से अधिक लोगों की जानें गई
1992: केन्द्र सरकार ने जस्टिस लिब्रहान की अध्यक्षता में एक आयोग गठित किया
2003: इलाहाबाद हाइकोर्ट ने ASI को विवादित स्थल की खुदाई का आदेश दिया.
ASI की रिपोर्ट में मस्जिद के नीचे मंदिर के संकेत
2010: इलाहाबाद हाइकोर्ट ने विवादित ज़मीन को तीन भाग में बांटने के आदेश दिए,
अलग-अलग पक्षकारों ने हाइकोर्ट के फ़ैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी

मुझे लगता है कि हमें यह देखने के लिए दिसम्बर में एक समीक्षा करनी चाहिए कि राम मंदिर के मामले को जल्दी से स्थगित कर दिया जा रहा है या फिर कांग्रेस के वकील इसे मुद्दे को लटकाने के लिए कुछ अन्य विषयों का आवेदन करेंगे। यदि इसमें देरी होती है तो हमें कुछ करना होगाः सुब्रमण्यम स्वामी

केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा, ‘कांग्रेस ने राम मंदिर के निर्माण को रोका। हिंदुओं का सब्र अब टूट रहा है, अब मुझे भय है कि क्या होगा। अयोध्या में राम मंदिर बनेगा। नेहरू चाहते तो पहले बन जाता राम मंदिर।’

हर राम भक्त इस उम्मीद में है कि सुनवाई जल्द ही पूरी हो और जल्द फैसला आए। राम मंदिर के निर्माण की बाधा हटेगी- केशव प्रसाद मौर्या, उपमुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश

 

इससे पहले 27 सितंबर को तत्कालीन सीजेआई दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली तीन जजों की पीठ ने 2-1 से अपने बहुमत वाले फैसले में 1994 के अपने फैसले को दोबारा विचार के लिए वृहद पीठ के पास भेजने की मांग खारिज कर दी। सुप्रीम कोर्ट ने 1994 के अपने उस फैसले में कहा था कि ‘मस्जिद इस्लाम का अनिवार्य अंग नहीं’ है।

हाई कोर्ट के इस फैसले के बाद वक्फ बोर्ड ने कहा कि वह इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देगा। वक्फ बोर्ड के वकील जफरयाब जिलानी ने कहा कि ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) यह देखेगा कि सुप्रीम कोर्ट में इसे कब चुनौती दी जाए।

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