कोर्ट को पंचायत घर न बनाएं, साक्ष्य के आधार पर निर्णय सुनाये सुप्रीम कोर्ट : विहिप

लखनऊ । विश्व हिन्दू परिषद ने अयोध्या में राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद के सर्वमान्य समाधान के लिये सुप्रीम कोर्ट द्वारा मध्यस्थता के प्रयास को गैर जरूरी बताया है। विहिप का कहना है कि बातचीत के जरिये यह मुद्दा हल होने वाला नहीं है। समाधान के लिए कई बार प्रयास हो चुके हैं।

विश्व हिन्दू परिषद अवध प्रान्त के संगठन मंत्री भोलेन्द्र ने मीडिया  से बातचीत में कहा कि कोर्ट को पंचायत घर न बनाएं। उन्होंने कहा कि कोर्ट न्याय का मंदिर है। न्यायालय का काम होता है साक्ष्य व सबूत के आधार निर्णय देना। इसलिए वहां पर बाबरी मस्जिद से पहले राम मंदिर होने के साक्ष्य मिले हैं इसलिए साक्ष्य व सबूत के आधार पर न्यायाल को फैसला सुनाना चाहिए। किसी भी मामले पर निर्णय देना कोर्ट का काम होता है। कानून व्यवस्था संभालने की जिम्मेदारी सरकार की होती है। विहिप के संगठन मंत्री ने स्पष्ट कहा कि कोर्ट पर कांग्रेस का प्रभाव साफ दिख रहा है।

कपिल सिब्बल ने एक बार कोर्ट में आकर जिस तरह से अशोभनीय व्यवहार जजों के साथ किया था और कहा था कि चुनाव तक सुनवाई को टाल दिया जाय। कपिल सिब्बल ने कहा था राम मंदिर के फैसले से लोकतंत्र खतरे में पड़ जायेगा। उनको राम मंदिर का फैसला आने से लोकतंत्र खतरे में पड़ता नजर आता है। न्यायालय राम मंदिर के निर्णय को लेकर गंभीर नहीं है वह केवल टालने का काम कर रही है। मध्यस्थता हमें स्वीकार्य नहीं है हमें चुनाव से पहले निर्णय चाहिए। भोलेन्द्र ने कहा कि राम जन्मभूमि मसले के समाधान का प्रयास इससे पहले कई कोशिशें हो चुकी हैं। प्रधानमंत्री रहते हुए राजीव गांधी ने समाधान के प्रयास किये।

इसके बाद 1990 में प्रधामंत्री वीपी सिंह के कार्यकाल में कई बार वार्ता का क्रम चला। इसके बाद चन्द्रशेखर के प्रधानमंत्री बनने के बाद मसले के समाधान के प्रयास हुए। वार्ता काफी सका​रात्मक दिशा में आगे बढ़ी समाधान के करीब बात पहुंची तब मुस्लिम पक्षकारों ने आना ही छोड़ दिया। इसके बाद वर्ष 1993 में तत्कालीन राष्ट्रपति शंकर दयाल ​शर्मा की पहल पर राम जन्मभूमि स्थल की खुदाई हुई। वहां पर मंदिर होने के प्रमाण मिले। इसी आधार पर 2010 में कोर्ट ने फैसला ​सुनाया। विहिप संगठन मंत्री ने कहा कि बाबर एक आक्रमणकारी था। इसलिए बाबर के नाम पर पूरे देश में कहीं भी मस्जिद नहीं बनने देंगे।

वहीं बाबरी मस्जिद के पक्षकार मोहम्मद इकबाल अंसारी ने कहा कि बातचीत से तय हो जाता है तो अच्छा है। कई बार कोशिश हो चुकी है लेकिन बात नहीं बनी है। हम तो चाहते हैं कि यह फैसला जल्द से जल्द हो। हमें कानून और संविधान पर विश्वास है।

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