सीतापुर जिले की 20 प्रतिशत आबादी में खोजे जाएंगे टीबी रोगी

नौ मार्च से चलेगा दस दिवसीय सघन क्षय रोगी खोज अभियान

सीतापुर। देश को वर्ष 2025 तक टीबी मुक्त बनाने के लिए किए जा रहे प्रयासों के क्रम में आगामी नौ मार्च से जिले में सघन क्षय रोगी खोज अभियान (एसीएफ) शुरू किया जा रहा है । इस दस दिवसीय  अभियान का समापन 22 मार्च को होगा। जिला क्षय रोग अधिकारी (डीटीओ) डॉ. मुसाफिर यादव ने बताया कि इस अभियान के तहत जिले की कुल आबादी के 20 प्रतिशत टीबी के लिहाज से उच्च जोखिम  वाली आबादी में संभावित क्षय (टीबी) रोगियों की पहचान की जाएगी। इसके तहत मलिन बस्तियों, ईंट-भट्ठों एवं टीबी प्रभावित क्षेत्रों में विशेष अभियान चलाया जाएगा।

डीटीओ ने बताया कि अभियान के दौरान स्वास्थ्य विभाग की टीम संबंधित लोगों की स्क्रीनिंग कर उनमें टीबी के लक्षणों की जानकारी हासिल करेगी। इस दौरान यदि किसी भी व्यक्ति में टीबी के लक्षण पाए जाते हैं, तो टीम द्वारा  बलगम का नमूना लिया जाएगा, जिसकी जांच नजदीकी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) पर होगी। जांच में यदि कोई व्यक्ति टीबी से ग्रसित पाया जाएगा तो 48 घंटें के अंदर उसका उपचार शुरू हो जाएगा। इस अभियान को लेकर 275 टीमें गठित की गई हैं। तीन सदस्यीय प्रत्येक टीम में आशा और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता के अतिरिक्त एक वालंटियर को शामिल किया गया है। टीबी के मरीज को उपचार के दौरान प्रतिमाह  500 रुपए पोषण भत्ता के रूप में दिए जाएंगे। इसके अलावा टीबी के मरीज की खोज करने वाली टीम के सभी सदस्यों को 200-200 रुपए बतौर प्रोत्साहन भुगतान किया जाएगा।

इन लक्षण वालों पर होगा फोकस

उप जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ. शोएब अख्तर ने बताया कि इस अभियान ने तहत टीम द्वारा स्क्रीनिंग के दौरान संबंधित व्यक्ति से कुछ लक्षणों के बारे में जानकारी ली जाएगी। उन्होंने बताया कि इस दौरान ऐसे व्यक्ति जिन्हें दो सप्ताह से अधिक समय से खांसी या बुखार आ रहा हो। भूख न लग रही हो और धीरे-धीरे वजन कम हो रहा हो। पिछले छह महीने के दौरान किसी भी समय बलगम में खून आया हो। पिछले एक महीने के दौरान सीने में दर्द हुआ हो और रात में पसीना आता हो पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। उन्होंने बताया कि जिले में टीबी की जांच बेहतर तरीक से कराने की पूरी व्यवस्था है। जिला अस्पताल सहित बिसवां और मिश्रिख सीएचसी पर सीबीनॉट मशीनें हैं। इसके अलावा जिले के 13 अन्य सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर ट्रूनॉट मशीनें हैं। जिनके माध्यम से मरीजो के बलगम के नमूने की जांच की जाती है।

इस तरह से करें बचाव

टीबी रोग से ग्रसित व्यक्ति जब बोलता, खांसता या छींकता है तब उसके साथ संक्रामक ड्रॉपलेट (छोटी-छोटी बूंदे) उत्पन्न होते हैं, जो कि हवा के माध्यम से किसी अन्य स्वस्थ व्यक्ति को संक्रमित कर सकते हैं। यह बीमारी हवा के माध्यम बहुत आसानी से फैलती है। टीबी और कोविड के लक्षण मिलते-जुलते हैं, ऐसे में खास सावधानी बरतने की जरूरत है। इस तरह के लक्षण वालों की कोविड की जांच के साथ टीबी की भी जांच करायी जा रही है। इससे बचने के लिए मास्क पहनना जरूरी है क्योंकि इन दोनों ही बीमारियों में खांसने या छींकने से निकलने वाली बूंदों से संक्रमण का खतरा रहता है। ऐसा करने से हम अपने साथ दूसरों को भी सुरक्षित रख पाएंगे।  

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