सुल्तानपुर। स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) फेज-2 के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में ठोस व तरल कचरा अपशिष्ट प्रबंधन परियोजना क्रियान्वित की जाएगी। इस परियोजना के अंतर्गत जिले से प्रथम चरण के 10 गांवों का चयन हुआ है। चयनित 10 गांवों की सूची शासन को भेज दी गई है। चयनित गांवों में ठोस एवं तरल कूड़ा-कचरा प्रबंधन प्रोजेक्ट लगाए जाएंगे। जिससे गांव में भी शहर की तर्ज पर कचरा प्रबंधन हो सके। यह जानकारी जिले के जिला पंचायतराज अधिकारी (डीपीआरओ) अभिषेक शुक्ल ने दी है। डीपीआरओ अभिषेक शुक्ल ने बताया कि अब जिले के 10 चयनित गांव भी शहर की तर्ज पर कूड़ा-कचरा से मुक्त होंगे। गांवों में ठोस कूड़ा-कचरा व तरल अपशिष्ट के निस्तारण के लिए गांव में उचित प्रबंध किए जाएंगे। उन्होंने बताया कि स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) का उद्देश्य ही ग्रामीणों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार लाना है। ठोस एवं तरल कूड़ा-कचरा प्रबंधन के माध्यम से ही व्यवस्था के लक्ष्य को आसानी से हासिल किया जा सकता है।
चयनित गांवों में लगेंगे ठोस एवं तरल कूड़ा-कचरा प्रबंधन प्रोजेक्ट
डीपीआरओ शुक्ल ने बताया कि इतना ही नहीं है, ग्रामीणों की जागृकता से गांव में बेकार पड़ा ठोस कूड़ा-कचरा पंचायतों के लिए आमदनी का एक बेहतर साधन भी बन सकता है। इससे ग्राम पंचायतें स्वच्छ व समृद्ध बनेंगी। उन्होंने कहा कि इस परियोजना के तहत गांव में कंपोस्ट-पिट, वर्मी-कंपोस्टिंग गड्ढा, सोखता गड्ढा, बनेगा। इसमें सभी घरों का गंदा पानी जाएगा। यह कार्य ग्राम पंचायतों द्वारा कराए जाएंगे। उन्होंने बताया कि ग्राम पंचायतों में कूड़ा प्रबंधन की कार्ययोजना बनायी जा रही है। यह व्यवस्था सभी पंचायतों में लागू होगी, इससे सभी पंचायतें स्वच्छ दिखेंगी। हालांकि प्रथम चरण में जिले के 10 ग्राम पंचायतों का ही चयन किया गया है। बजट पंचायतों के खाते में जाएगा। प्रधान स्वयं के स्तर से कूड़ा निस्तारण का सिस्टम संचालित करेंगे।
कूड़ा उठान का सिस्टम ग्राम प्रधान स्वयं अपने स्तर से लागू करेंगे। गौरतलब है कि स्वच्छ भारत मिशन के दूसरे चरण में ब्लाकों को ओडीएफ (खुले में शौचमुक्त) घोषित किया जा चुका है। वहीं गांवों में कूड़ा निस्तारण की आधुनिक प्रक्रिया लागू की जाएगी। जिन ग्राम पंचायतों की आबादी पांच हजार से ज्यादा है। वहां सूखा और गीला कूड़ा अलग-अलग उठाया जाएगा। जमा कूड़ा डंपिंग जोन में पहुंचाया जाएगा। डीपीआरओ अभिषेक शुक्ल ने बताया कि गांवों को खुले में शौचमुक्त बनाए रखने, गांवों को ओडीएफ श्रेणी में लाने का मुख्य उद्देश्य ठोस श्रेणी के जैविक, अजैविक व हानिकारक कचरा की मौजूदा स्थिति, तरल श्रेणी के कचरा निस्तारण की तकनीक, घरेलू दूषित जल निस्तारण में उपयोगी सोख्ता गड्ढे, प्लास्टिक और मलीय कीचड़ प्रबंधन आदि के टिप्स दिए गए। इसके अलावा ग्रामीणों को जागरुक करने के भी निर्देश दिए गए हैं।