
महाराष्ट्र में हुए राज्यसभा चुनाव में ठाकरे सरकार की एक सीट पर हुई करारी हार से सूबे का राजनीतिक समीकरण पूरी तरह से बदल गया है। इस हार से यह बात साफ हो गई है कि सूबे में छोटे दलों और निर्दलीय विधायकों की पहली पसंद अब पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस हैं। हालांकि अब भी 164 विधायकों का समर्थन होने की वजह से राज्यसभा चुनाव में हार के बाद भी मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली महा-विकास अघाड़ी (मविअ) सरकार फिलहाल ‘सेफ जोन’ में है।
मविअ सरकार के पक्ष में 162 विधायक खड़े
राज्यसभा चुनाव में मविअ प्रत्याशी पूर्व केंद्रीय मंत्री प्रफुल्ल पटेल (राकांपा) को 43, संजय राउत (शिवसेना) को 41 वोट, इमरान प्रतापगढ़ी को 44 और संजय पवार को विधायकों की पहली पसंद के कुल 33 वोट मिले। इस तरह ठाकरे सरकार के पक्ष में प्रत्यक्ष रूप से राज्यसभा चुनाव के वक्त कुल 161 वोट पड़े। यदि शिवसेना विधायक सुहाष कांदे के खारिज किए गये एक वोट को इसमें जोड़ दिया जाये तो मविअ सरकार के पक्ष में अब भी 162 विधायक खड़े नजर आ रहे हैं। इसी तरह राकांपा के जेल में बंद अनिल देशमुख और नवाब मलिक का दो और वोट ठाकरे सरकार के साथ आने पर विधायकों के समर्थन की संख्या 164 हो जाती है।
निर्दलियों का मुख्यमंत्री ठाकरे से मोह भंग हो रहा अब
288 सदस्यों वाली महाराष्ट्र विधानसभा में से अंधेरी (पूर्व) सीट से शिवसेना विधायक रमेश लटके की हार्ट अटैक से मौत होने की वजह से वर्तमान में कुल 287 विधायक हैं। इस तरह बहुमत का जादुई आंकड़ा इस वक्त 144 है जबकि मौजूदा विषम राजनीतिक परिस्थिति में भी ठाकरे सरकार के कम से कम 162 विधायकों का स्पष्ट समर्थन है। चिंता की बात यह है कि वह अब तक स्वयं के पास 168 से 170 विधायकों का समर्थन होने का दावा करती थी। जबकि जमीनी हकीकत यह है कि छोटे दलों और निर्दलियों का मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे से मोह भंग हो रहा है।
छोटे दलों के दिलों में जगह बना रहे पूर्व मुख्यमंत्री फडणवीस
पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के लिए राज्यसभा चुनाव में भाजपा के तीन प्रत्याशियों की जीत संजीवनी साबित हो रही है। सूबे में भाजपा के नेतृत्व में एनडीए के पास कुल 113 विधायकों का समर्थन होने का अनुमान रहा है। इसमें भाजपा के 106, राष्ट्रीय समाज पक्ष के 1, जनसुराज्य शक्ति पक्ष के 1 और 5 निर्दलीय विधायकों का समर्थन शामिल है।
परंतु राज्यसभा चुनाव के वक्त भाजपा प्रत्याशी एवं केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल को 48, अनिल बोंडे को 48 वोट और धनंजय महाडिक को विधायकों की पहली पसंद के 27 वोट मिलने से साफ हो गया है कि भाजपा के साथ महाराष्ट्र में अब कुल 123 विधायक हैं। यदि भविष्य में AIMIM के 2 और सपा के 2 विधायक तटस्थ हो जाते हैं और 10 के करीब निर्दलीय भाजपा के साथ आ जाते हैं, तो महाराष्ट्र की सरकार मुश्किल में पड़ जाएगी।
भाजपा के समर्थन में 6 विधायक
महाराष्ट्र में शिवसेना, राकांपा और कांग्रेस इन तीन दलों ने निर्दलियों के समर्थन से महा-विकास अघाड़ी (मविअ) सरकार का गठन किया हुआ है। सरकार के गठन के वक्त मविअ के साथ रहे बाहुबली विधायक हितेंद्र ठाकुर की पार्टी बहुजन विकास अघाड़ी के तीन विधायक अब भाजपा के साथ आ गए हैं। इसी तरह करमाला के विधायक संजय मामा शिंदे, लोहा के विधायक श्याम सुंदर शिंदे और स्वाभिमानी पक्ष के देवेंद्र भुयार पाला बदल कर भाजपा के साथ हो गए हैं।
क्या है फडणवीस की रणनीति
राज्यसभा में ओपन मतदान होने के बावजूद भाजपा के समर्थन में 123 विधायकों द्वारा वोट करने के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस का उत्साह बढ़ा हुआ है। यही वजह है कि विधान परिषद की 10 सीटों पर 20 जून को होने वाले चुनाव के लिए उन्होंने भाजपा का एक और प्रत्याशी खड़ा किया है। इस चुनाव में गुप्त मतदान पद्धति रहने वाली है। लिहाजा सत्तारूढ़ दल के खिलाफ यदि जमकर क्रॉस वोटिंग हुई, तो निकट भविष्य में होने वाले मानसून सत्र में विपक्ष सदन में अविश्वास प्रस्ताव लाकर ठाकरे सरकार को गिरा सकता है।
विधायकों के संख्या बल के आधार पर भाजपा के चार, शिवसेना के दो, राकांपा के दो और कांग्रेस का एक उम्मीदवार आसानी से चुनाव जीत सकता है। परंतु फडणवीस ने किसान नेता सदाभाऊ खोत को भाजपा समर्थित निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में विधान परिषद के चुनाव में खड़ा किया है।
दूसरी ओर एक प्रत्याशी के जीतने की संभावना के बावजूद कांग्रेस ने मुंबई कांग्रेस अध्यक्ष भाई जगताप और पूर्व कैबिनेट मंत्री एवं दलित नेता चंद्रकांत हंडोरे को मैदान में उतारा है। यदि राज्यसभा चुनाव की तरह ही विधान परिषद चुनाव में भी मविअ के खिलाफ निर्दलीय विधायकों ने लामबंदी की, तो उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली महाराष्ट्र सरकार अस्थिर हो जाएगी।