साल के पहले फूल बंगले में विराजे ठाकुर बांके बिहारी लालदेशी विदेशी फूलो के बीच विराजमान होकर भक्तो को दिए दर्शन

दर्शन कर निहाल हुए भक्त,दूर दराज से पहुंचे भक्तगण

भास्कर समाचार सेवा

वृंदावन । जन जन के आराध्य ठाकुर बांके बिहारी लाल के देशी विदेशी फूलो से सजे फूल बंगले में विराजमान दिव्याकर्षक छटा के दर्शन अब भक्तो को सुलभ हो गए हैं। शनिवार को कामदा एकादशी पर इस सीजन का पहला फूल बंगला सजाया गया।जिसके दर्शनार्थ श्रद्धालुओं का भारी सैलाब उमड़ पड़ा। संगीत शिरोमणि स्वामी हरिदास जी के लड़ेते ठाकुर बांके बिहारी की सेवा परंपरा सबसे अनूठी है। सेवायतो द्वारा ग्रीष्मकाल में लाडले कन्हैया को भीषण गर्मी में शीतलता प्रदान करने के उद्देश्य से विभिन्न प्रकार के फूलो से सजे बंगले यानि कुटिया में विराजित किया जाता है। वैसे तो ठाकुर जी को फूलो से सजी कुटिया में विराजित करने की परंपरा करीब साढ़े चार सौ वर्षो से अधिक प्राचीन है। लेकिन समय के साथ इसमें बदलाव आते गए। स्वामी हरिदास जी की वंश परंपरा के गोस्वामीजन पहले केले के पत्ते, रायबेल, गुलाब, कनेर, चमेली मार्ग्रेट,गेंदा व हरे पत्तों से इसकी सज्जा करते थे, लेकिन अब फूल बंगला बनाने में विदेशी फूल आर्किड,रजनीगंधा, गुलदावरी का इस्तेमाल भी होने लगा है। जिससे इसकी लागत दस से पंद्रह लाख तक भी हो जाती है। चैत्र शुक्ल पक्ष की कामदा एकादशी को शुरू हुई ठा. बांकेबिहारी मंदिर में फूलबंगला सजाने की प्रक्रिया 17 जुलाई को हरियाली अमावस पर खत्म हो जाएगी। चैत्र शुक्ल पक्ष की कामदा एकादशी से शुरू होने वाले ये फूलबंगला श्रावण मास की हरियाली अमावस तक सजाए जाते हैं। लेकिन इस बीच एक दिन अक्षय तृतीया के दिन फूलबंगला नहीं सजता। ऐसे में सीजन में 108 दिन में कुल 216 फूलबंगला की सेवा भक्तों द्वारा की जाती है। इस साल 17 जुलाई तक फूलबंगला सजाए जाएंगे।