केन्द्रीय कैबिनेट की नियुक्ति समिति एसीसी के मंजूरी के आदेशों को अनदेखा कर आईएएस अधिकारी को तबादला करने को लेकर हरियाणा की खट्टर सरकार सवालों के घेरे में

भास्कर समाचार सेवा

नई दिल्ली। केंद्रीय कैबिनेट की नियुक्ति समिति के मंजूरी के बावजूद हरियाणा कैडर के 2003 बैच के आईएएस अधिकारी अजीत बालाजी जोशी का पंजाब कैडर में नहीं जाना हरियाण सकार के मंसूबों पर सवाल खड़ा कर रहा हैं आखिर हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर की क्या मजबूरी हैं की वह प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली कमेटी एसीसी के आदेश को दरकिनार कर आईएएस अधिकारी अजीत बालाजी जोशी को रिलीज नहीं कर रहे हैं, जहां एक तरफ प्रधानमंत्री मोदी भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाते हुए इस तरह के किसी भी गठजोड़ के खिलाफ कड़ी करवाई के पक्ष में रहते हैं, वही इस मामले में आरोप यह लगाया जा रहा है कि हरियाणा सीएमओ के भ्रष्ट अधिकारियों का एक समूह मुख्यमंत्री को अपने कब्जे में लेकर जोशी का ट्रांसफर पंजाब कैडर में नहीं होने दे रहा है, जिससे पूरा गठजोड़ एक साथ काम कर सके। जबकि शादी के आधार पंजाब कैडर में ट्रांसफर की गुहार खुद अजीत बाला जी जोशी ने लगाई थी। जिसके बाद एसीसी ने ये फैसला लिया था इधर बीते एक साल से ज्यादा वक्त होने के बावजूद अजीत बालाजी हरियाणा सरकार में दो महत्वपूर्ण पदों पर बैठे हैं साथ ही सरकार के कई बड़े फैसले उनके द्वारा लिए गए है जिनपर भ्रष्टाचार के आरोप लगे है बतौर चीफ एडमिनिस्ट्रेटर एचएसवीपी के द्वारा पूरे हरियाणा में हजारों करोड़ रुपए की जमीन की नीलामी की प्रक्रिया भी शामिल हैं आरोप है की दिल्ली से सटे गुरुग्राम के सेक्टर 56 में पांच एकड़ से अधिक प्लॉट के आवंटन मात्र 84 करोड़ में एक निजी हॉस्पिटल समूह को बेच दिया, जबकि उस प्लाट का बाजार भाव सैकड़ों कोरोड़ो में है। इधर आरटीआई एक्ट के तहत इस मामले में जब केंद्रीय DOPt से सवाल पूछे गए की क्या केंद्र स्थित DOPT के जानकारी हैं , साथ ही अजीत बालाजी जोशी को लेकर चीफ सेक्रेटरी के द्वारा लिखे गए लेटर पर विभाग के द्वारा क्या करवाई की गई, साथ ही एसीसी के आदेश को पालन नही करने के खिलाफ क्या करवाई की गई हैं। पर आईटीआई के जवाब में भी इस बाबत सूचना नहीं दी गई है जिसको लेकर आरटीआई कार्यकर्ता ने आगे सुनवाई के लिए अपील की है।सूत्रों की माने तो हरियाणा सरकार में बैठे अधिकारियों की पहुंच DOPT तक हैं, हरियाणा कैडर की 2002 बैच की आईएएस डीओपीटी में एडिशनल सेक्रेट्री और establishment officer के पद पर तैनात है जिनकी जिम्मेदारी थी की ACC के उस आदेश का पालन करे। पर उनके तरफ से इस मामले में कोई करवाई जानबूझ कर नही की गई है।वर्तमान समय में जोशी हरियाणा में हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण (एचएसवीपी), पंचकुला के मुख्य प्रशासक एवं पंचकुला महानगर विकास प्राधिकरण के सीईओ हैं। सितंबर 2022 में हरियाणा सरकार ने पंजाब सरकार को लिखा कि जोशी की सेवाएं कुछ और समय के लिए बरकरार रखी जाएंगी। उनका कार्यकाल हरियाणा में ही रहेगा। इससे बात यह सामने आ रही है कि हरियाणा सरकार का पत्र स्वीकार कर रहा है कि अजीत बालाजी जोशी व्यावहारिक रूप से हरियाणा सरकार चला रहे हैं। वे एचएसवीपी और पंचकुला प्राधिकरण को चलाने के लिए उनके स्तर का कोई अन्य अधिकारी हरियाणा में नहीं है।भ्रष्टाचार के आरोपों के बावजूद एचएसवीपी के मुख्य प्रशासक अजीत बालाजी जोशी को सीएम मनोहरलाल खट्टर के विश्वास पात्र है। मामले के अनुसार 31 मई 2022 को प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में कैबिनेट की नियुक्ति समिति ने हरियाणा कैडर से अजीत बालाजी जोशी, आईएएस (2003, हरियाणा) और गौरी पाराशेर जोशी, आईएएस (2009, ओडिशा) को विवाह के आधार पर पंजाब कैडर में स्थानांतरण को मंजूरी दे दी। जोड़े के अनुरोध और कैट के आदेशों के अनुपालन में एसीसी ने 31 मई 2022 को जोड़े के पंजाब स्थानांतरण को मंजूरी दे दी। सुश्री गौरी पाराशर जोशी को 3 अगस्त, 2022 को उप निदेशक, लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी, मसूरी के उनके पिछले प्रभार से मुक्त कर दिया गया। पंजाब सरकार ने 11 अगस्त 2022 को सुश्री गौरी पाराशर जोशी को विशेष सचिव, स्कूल शिक्षा के रूप में तैनात किया। जबकि अजीत बालाजी जोशी हरियाणा में हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण, पंचकुला के मुख्य प्रशासक एवं पंचकुला महानगर विकास प्राधिकरण के सीईओ का पद संभाले हुए हैं।

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