संस्कृति विवि में सर चढ़ कर बोला सलमान की आवाज का जादू

भास्कर समाचार सेवा

मथुरा। संस्कृति विवि के स्थापना दिवस समारोह के दौरान आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रमों का मुख्य आकर्षण बने इंडियन आइडियल फेम सलमामन अली ने अपनी बेहतरीन गायिकी से सभी को अपना मुरीद बना लिया।
संस्कृति विवि के मुख्य मैदान पर आयोजित स्थापना दिवस समारोह में 10वें इंडियन आइडियल के विजेता, टीवी सीरियल और फिल्मों में अपनी विशेष गायिकी से पहचान बना चुके सलमान ने जैसे ही गाना शुरू किया हजारों छात्र, छात्राएं खुशी से चीखने लगे। आलम यह था की सलमान जैसे ही अपना कोई गाना शुरू करते छात्र, छात्राए उसकी अगली लाइन गाने लगते। आखिर सलमान को कहना ही पड़ा कि वे संस्कृति विवि आकर धन्य हो गए। ऐसे प्रशंसक जो यहां ब्रज में मिले ऐसे तो कहीं नहीं मिले।
सलमान की आवाज में पीढ़ियों की गहराई है और उसमें उनके परिश्रम का परिणाम भी नजर आता है। अपने गायन की शुरुआत उन्होंने लोकप्रिय गीत, ये दिल्लिगी भूल जानी पड़ेगी, से की। तेरे नाम से जी लूं…..तेरी दीवानी, तेरी दीवानी के साथ उन्होंने अपने गए लोकप्रिय गीतों की झड़ी लगा दी। वो गा रहे थे और उनके चाहने वाले उनके साथ गाते हुए झूम रहे थे। अनेक गायकों द्वारा गया जा चुका, मेरे रश्के कमर… जब सलमान ने गया तो उनकी आवाज के जादू का अहसास सबको हुआ। विद्यार्थियों की फरमाइशें खत्म होने का नाम नहीं ले रहीं थीं और सलमान भी अपने प्रशंसकों से मिल रही वाहवाही से थकान भूल चुके थे। फरमाइशों का यह दौर रात के दो बजे तक चला और छात्र, छात्राओं ने सलमान के गीतों से जमकर मनोरंजन किया।ब्रज तो महान कलाकारों की धरती है
कार्यक्रम से पूर्व सलमान अली ने एक मुलाकात में बताया कि उनके यहां चार पीढ़ियों से गायकी की परंपरा है। उन्होंने अपने पिता कासिम अली से संगीत की शिक्षा ली। वो बताते हैं कि पिता से सीखने के दौरान उन्होंने उनकी खूब मार खाई और पिता ने तभी छोड़ा जब उन्होंने गल्ती सुधारी। अपने परिवार के लिए समर्पित सलमान ने बताया कि उनका परिवार बहुत बड़ा है। बहुत गरीबी के हालात में उनकी परवरिश हुई। लेकिन उन्होंने कभी मेहनत से नहीं मुहं मोड़ा। पढ़ाई में कोई विशेष रुचि न होने के कारण सारा टाइम गायकी की बारीकियों को सीखने में ही लगाया। ऊपर वाले पर बहुत भरोसा करने वाले इस युवा गायक ने कहा कि उसकी रहमत से जब में इंडियन आइडल में पहुंच गया तो हमेशा यही दुआ करता था कि मुझे फाइनल में गाने का मौका मिल जाए। साथी लोग भी इतना अच्छा गा रहे थे कि फाइनल में पहुंचने के बाद भी मुझे नहीं लग रहा था कि में ही जीतूंगा, लेकिन मैंने अपना सर्वश्रेष्ठ दिया और सुनने वालों ने मुझे अपना भरपूर प्यार दे दिया और मैं जीत गया। उन्होंने बताया कि इस कृष्ण की नगरी में पहली बार आए हैं, लेकिन उनकी टीम में शामिल कई कलाकार यहीं आसपास के हैं। ये तो महान कलाकारों की भूमि है, यहां प्रस्तुति देने का मजा भी है और मेरे जैसे युवा के लिए तो बहुत बड़ी चुनौती।

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