श्री शिव महापुराण कथा के पांचवें दिन भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह प्रसंग सुनाया गया

भास्कर समाचार सेवा

नजीबाबाद। नगर  के मौहल्ला दीवान परमानंद स्थित प्राचीन शिव मंदिर राधा मंडल में श्री शिव महापुराण कथा के पांचवें दिन कथा में भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह प्रसंग सुनाया गया। कथावाचक पंडित अमित कौशिक ने भगवान शिव और माता सती के विवाह की कथा सुनाते हुए कहा कि पुराणों के अनुसार भगवान ब्रह्मा के मानस पुत्रों में से एक प्रजापति दक्ष थे। प्रजापति दक्ष की दो पत्नियां थी, प्रसूति और वीरणी। प्रसूति से दक्ष की चौबीस कन्याएं जन्मी और वीरणी से साठ कन्याएं। राजा दक्ष की पुत्री ‘सती’ की माता का नाम था प्रसूति। यह प्रसूति स्वायंभुव मनु की तीसरी पुत्री थी। सती ने भगवान शिव से विवाह किया। माता पार्वती बचपन से ही भगवान भोलेनाथ को चाहती थी, इसलिए भोलेनाथ से माता पार्वती का विवाह हुआ। रुद्र को ही शिव कहा जाता है और उन्हें ही शंकर। पार्वती शंकर के दो पुत्र और एक पुत्री हैं। पुत्र गणेश, कार्तिकेवय और पुत्री वनलता। जिन एकादश रूद्रों की बात कही जाती है वे सभी ऋषि कश्यप के पुत्र थे उन्हें शिव का अवतार माना जाता था। भोलेनाथ व पार्वती के विवाह के पहले से ही तारकासुर राक्षस का तीनों लोकों में अत्याचार था और उसका वध भोलेनाथ व माता पार्वती के पुत्र से होना संभव था। इसलिए भोलेनाथ व माता पार्वती का विवाह पहले से तय था। इस अवसर पर मंदिर प्रांगण स्थित प्राचीन शिवलिंग को महाकाल भक्त मंडल के सदस्यों द्वारा भव्य श्रृंगार किया गया। जिसे देख वहां मौजूद श्रद्धालु मंत्र मुग्ध हो गए। कार्यक्रम के समापन पर सभी भक्तों को प्रसाद वितरित किया गया।

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