
पीड़ित परिवार ने लगाया गांव के ही दबंगों पर पुलिस से सांठगांठ कर जमीन पर कब्जा करने का आरोप
भास्कर समाचार सेवा
बागपत। कोतवाली क्षेत्र के अहेड़ा गांव का एक पीड़ित अपने परिवार के साथ बागपत कलेक्ट्रेट पहुंचा जहां उसने डीएम जितेंद्र प्रताप सिंह को एक शिकायती पत्र देते हुए बताया की में हृदय के रोग से पीडित हु तथा पीड़ित की पत्नी भी मानसिक रूप से बीमार है।पीड़ित द्वारा भूमि खसरा संख्या 368मि. 377मि, 368मि. स्थित मौजा अहेडा में से रकबा 0.3634 है.भूमि उक्त भूमि के पूर्व मालिक व काबिज सन्तोष पत्नी जगमेल सिंह, श्याम व राम व सचिन पुत्र जगमेल सिंह हाल निवासी दिल्ली से बजरिये पंजीकृत बैनामा समुचित प्रतिफल राशि अदा करके अपने पुत्र विकास के नाम खरीदी हुई है तथा उक्त बैनामे द्वारा खरीदी गई भूमि पर कब्जा भी पीड़ित के पुत्र का चला आ रहा है। पीड़ित का पुत्र विकास वर्तमान समय में अस्पताल में भर्ती है, उक्त बैनामे के आधार पर नामान्तरण वाद नायब तहसीलदार बागपत के न्यायालय में विचाराधीन है लेकिन विपक्षी मुकेश पत्नी भरत सिंह निवासी गांव अहेडा उसके परिवारजन एक अपराधिक किस्म के व्यक्ति है, जो प्रार्थी के पुत्र की उक्त भूमि पर नाजायज कब्जा करने की जूस्तजू करते रहते है तथा इसी षडयन्त्र के तहत मुकेश ने कोतवाली पुलिस से मिलकरके एक रिपोर्ट प्रस्तुत कराते हुए उक्त भूमि को कुर्क करा ली है तथा उक्त कुर्क के आदेश की आड़ में प्रार्थी को उक्त भूमि पर कृषि कार्य करने से मना करते है तथा कोतवाली पुलिस से सांठगांठ कर के अपनी हिस्से की जमीन पर कृषि कार्य कर रहे है जब कि उपजिला मजिस्ट्रेट बागपत द्वारा उक्त कुर्क आदेश में स्पष्ट रूप से उल्लेख किया है कि ” प्रश्नगत प्रकरण की गम्भीरता को दृष्टिगत रखते हुए विवादित भूमि खाता संख्या 1 खसरा 368मि 377मि. 368 मि.कुल रकबा 1.2920 है0 स्थित मौजा अहेडा को दण्ड प्रक्रिया संहिता धारा 146(1)सीआर.पी.सी.के अन्तर्गत प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए कुर्क करती हूँ, प्रभारी निरीक्षक थाना कोतवाली को निर्देशित किया जाता है कि उपरोक्त कृषि भूमि को अग्रिम आदेशो तक किसी निष्पक्ष व्यक्ति की सुपुदर्गी में इस निर्देश के साथ दे दे कि उक्त भूमि का लेखा जोखा अपने पास सुरक्षित रखे अन्यथा अपनी सुपुदर्गी मे रखे ” जब कि थाना बागपत की पुलिस द्वारा प्रार्थी के साथ अपेक्षापूर्ण अपनाते हुए उक्त कुर्की आदेश की अवज्ञा अवहेलना करते हुए विपक्षी मुकेश को वादग्रस्त भूमि पर कृषि कार्य करने से नहीं रोक रहे है तथा उक्त कुर्की आदेश की अवज्ञा करते हुए वादग्रस्त भूमि को किसी निष्पक्ष व्यक्ति की सुपुदर्गी मे देने के बजाय मुकेश उपरोक्त के परिवार के व्यक्ति की ही सुपुदर्गी में दे दिया है जो प्राकृतिक न्याय के सिद्धान्तो के पूर्णयता विपरीत एवं गलत है।पीड़ित ने डीएम से गुहार लगाते हुए मांग की थानाध्यक्ष बागपत को आदेशित किया जाएं कि वह उपजिलाधिकारी द्वारा पारित उक्त कुर्की आदेश के अनुपालन में विपक्षी मुकेश व उसके परिवारजनों को वादग्रस्त भूमि में कृषि कार्य करने से रोकते हुए उक्त कुर्की आदेश की अवज्ञा अवहेलना होने से रोकते हुए वादग्रस्त भूमि की सुपुदर्गी किसी अन्य ईमानदार व्यक्ति को देने का आदेश जारे करे।