राष्ट्रपति चुनाव में UPA-NDA की राह आसान नहीं, जानिए कौन होगा किस पर भारी

राष्ट्रपति चुनाव के लिए NDA बहुमत के बेहद करीब है। विपक्ष भी खुद को मजबूत बता रहा है, लेकिन दोनों के पास पर्याप्त बहुमत नहीं है। ऐसे में, जगन मोहन रेड्‌डी, नवीन पटनायक और केसीआर की भूमिका अहम हो जाती है। इनके बिना UPA और NDA की राह आसान नहीं होगी। छोटे क्षेत्रीय दलों को साथ लाने की कवायद जारी है।

NDA बहुमत से 13 हजार वोट दूर है। रेड्डी और पटनायक में से किसी एक का भी समर्थन मिला तो जीत हासिल हो जाएगी। 2017 में दोनों ने ही NDA को समर्थन दिया था। आइए जानते हैं, 5 साल बाद अब राष्ट्रपति चुनाव 2022 की तस्वीर कैसी है।

ममता बनर्जी ने नवीन पटनायक को न्योता दिया

सबसे पहले बात ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक की। विपक्ष की ओर से, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने नवीन पटनायक को न्योता दिया है। उधर, भाजपा ने भी बड़े नेता अश्विनी वैष्णव को पटनायक से संपर्क साधने की जिम्मेदारी दी है। 2012, 2017 की तरह ही 2022 के राष्ट्रपति चुनाव में भी नवीन पटनायक की डिमांड बढ़ गई है। उनके पास 30 हजार से ज्यादा वोट हैं।

BJD केंद्र की राजनीति में ज्यादा एक्टिव नहीं

केंद्रीय स्तर पर पटनायक की पार्टी बीजू जनता दल अंतिम बार अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में शामिल रहा। इसके बाद से BJD केंद्र में किसी सरकार में शामिल नहीं रही। यानी करीब 20 साल से पटनायक का सेंट्रल पॉलिटिक्स में कोई बड़ा रोल नहीं है, हालांकि तालमेल सभी पार्टियों से बेहतर है।

2012 और 2017 में BJD का रोल

2012 के चुनाव में नवीन पटनायक के सुझाव पर NDA ने पीए संगमा को उम्मीदवार बनाया था।
संगमा को UPA उम्मीदवार प्रणव मुखर्जी से हार मिली थी।
2017 में पटनायक ने रामनाथ कोविंद का समर्थन किया था।

NDA के पाले में हो सकती है रेड्‌डी

अब बात आंध्रप्रदेश के मुख्यमंत्री जगनमोहन रेड्‌डी की करते हैं। जगनमोहन रेड्‌डी की वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के पास 40 हजार से ज्यादा वोट हैं। NDA के शीर्ष के नेता जगन मोहन रेड्‌डी के संपर्क में हैं। NDA को रेड्‌डी का समर्थन मिल सकता है। हालांकि, अभी तक इसकी रेड्‌डी की तरफ से आधिकारिक घोषणा नहीं की गई है।

गृहमंत्री तेलंगाना दौरे पर टीआरएस सरकार पर हमलावर

तेलगांना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव यानी केसीआर ने अभी तक अपने पत्ते नहीं खोले हैं। हालांकि, जिस तरह गृहमंत्री तेलंगाना दौरे पर टीआरएस सरकार पर हमलावर हैं, उससे लगता है कि भाजपा की राह छोटे दलों में TRS को साथ लेकर चलने की राह से अलग है। रेड्‌डी और पटनायक के साथ से ही NDA जीत के अंतर को बढ़ाने की कोशिश में है।

2017 के मुकाबले बदले समीकरण

BJP के पास शिवसेना और अकाली दल जैसे साथी थे।
तमिलनाडु में AIDMK सत्ता से बाहर हो चुकी है।
राजस्थान और छत्तीसगढ़ में BJP सत्ता में नहीं है।
मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में BJP के विधायकों की संख्या कम हुई है।
2017 में 21 राज्यों में NDA की सरकार थी।
अब 17 राज्यों में NDA की सरकारें हैं।
BJP के पास अब महाराष्ट्र, तमिलनाडु और झारखंड भी नहीं हैं।

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