भास्कर समाचार सेवा
मेरठ/हस्तिनापुर। पंज प्यारे भाई धर्मसिह के जन्म स्थली सैफपुर कर्मचंदपुर में खालसा पंथ के प्रगट दिवस पर आयोजित बैसाखी जोड़ मेले पर हजारों सिक्ख श्रद्धालुओं ने पवित्र सरोवर साहिब में स्नान कर गुरूद्वारा साहिब में मत्था टेककर धर्म लाभ अर्जित किया। साथ ही सजे कीर्तन दरबार में प्रसिद्ध ढाढी व कविशरी जत्थों ने सिक्खों की बहादुरी के इतिहास का व्याख्यान कर संगत को निहाल किया। खालसा पंथ के सृजना दिवस वैसाखी पर्व के अवसर पर सैफपुर कर्मचंदपुर में जोड़ मेले की शुरूआत पंज प्यारे भाई धर्म सिंह की प्राचीन इमारत में रखे गए अखंड पाठ साहिब की सम्पूर्णता के बाद भोग पड़ने से हुई। इस अवसर पर श्री गुरू ग्रंथ साहिब प्रचार सोसाइटी द्वारा मेरठ से निकाले गए खालसा चेतना मार्च में श्रद्धालु बड़ी संख्या में वाहनों द्वारा वाहे गुरुजी दी खालसा वाहे गुरुदी फतेह का गुणगान करते हुए पहुंचे। यहां पहुंचने पर उनका श्रद्धालुओं ने भव्य स्वागत किया। सजाए गए कीर्तन दरबार में पंजाब से आए ढाढी जत्था ज्ञानी जनरल सिंह पंजाब, ज्ञानी प्रीतम सिंह दिल्ली, रागी भाई सुखदेव सिंह आगरा, कविश्यरी जत्था ज्ञानी मेजर सिंह पंजाब एवं गुरमीत सिंह, सुखपाल सिंह अमृतसर ने गुरुवाणी की शबद कीर्तन रचनाएं और सिक्खों के इतिहास का श्रवण कराकर संगत को निहाल किया। इस अवसर पर श्री गुरुग्रंथ साहिब के प्रमुख सेवादार सरदार रणजीत सिंह जस्सल ने संगतों को सिख इतिहास पर प्रकाश डालते हुए बताया कि खालसा पंथ रूपी वृक्ष जो गुरु गोविंद सिह के समय में प्रफुलित हुआ, इसका बीजारोपण गुरुनानक देव ने किया था। मेरठ जनपद की क्रांतिकारी धरती सैफपुर से भाई धर्मसिंह आन्नदपुर साहिब पहुंचे थे और वहां खालसा पंथ के दसवें गुरु पातशाह गुरु गोविंद सिंह के चरणों में अपना शीश भेंटकर पंज प्यारे की उपाधि प्राप्त की और कई युद्धों में शामिल भी हुए। कीर्तन दरबार में कार सेवा वाले बाबा जोगेन्द्र सिंह ने संगतों को सेवा सिमरन का गुरु उपदेश दिया।