भाई-बहन के अटूट प्रेम का पर्व रक्षा बंधन इस बार गुरुवार 15 अगस्त को मनाया जा जाएगा। यह पर्व हर साल श्रावण मास की पूर्णिमा को रक्षाबंधन का त्योहार मनाया जाता है।हिन्दू धर्म के लिए इस त्योहार का विशेष महत्व है। इस खास दिन बहनें अपने भाई की कलाई में रक्षासूत्र बांधकर उनकी लंबी उम्र और सुख की कामना ईश्वर से करती हैं तो वहीं भाई अपनी बहन को उसकी रक्षा का वचन देता है.सावन में इसे मनाए जाने की वजह से श्रावणी (सावनी) या सलूनो भी कहते हैं। रक्षा का अर्थ सुरक्षा और बंधन का मतलब बाध्य होता है।
बताते चले इस बार रक्षाबंधन और स्वतंत्रता दिवस दोनो ही एक साथ आ रहे है। दोस्तो हम आपको बता दे कि इस बार रक्षाबंधन पर करीब 51 साल बाद दुर्लभ महासंयोग बन रहे है, ऐसा इसलिए क्योंकि यह माना जा रहा है कि 15 अगस्त के दिन राखी पर आज तक का सबसे लम्बा मुहुर्त है। ज्योतिषविदों के अनुसार ऐसा शुभ संयोग सम्भवत: सालों बाद बन रहा है, जब करीब 12 घंटे तक रक्षा सूत्र बांधने का मुहूर्त है। जिसके कारण 2 राशियों की किस्मत चमक सकती है। दोस्तो आज हम आपको इन 2 राशियो के बारें में विस्तार से बताने जा रहे है।
1.मेष राशि
दोस्तों मेष राशि के लोगों के लिए रक्षाबंधन का त्यौहार अपार सफलता और सौभाग्य लेकर आने वाला है। इस राशि के लोगों को ना केवल धन लाभ होने की संभावना है बल्कि इनकी लव लाइफ भी कमाल होने वाली है। सिंगल हैं तो इस रक्षाबंधन के बाद आपकी जिंदगी में कोई खास आ सकता है।
2.कन्या राशि
दोस्तो कन्या राशि के लोगों के लिए भी रक्षाबंधन अपार सौगातें लेकर आया है, इनके लिए ये पर्व किस्मत और धन दोनों लेकर आया है। रक्षाबंधन के बाद आपको जिस काम के पूरा होने का इंतज़ार था वो भी पूरा होगा। कुल मिलाकर आपके लिए ये रक्षाबंधन बेहद शुभ रहेगी।
रक्षाबंधन का मुहूर्त
पूर्णिमा तिथि का प्रारंभ 14 अगस्त को 15:45 बजे से हो रहा है। इसका समापन 15 अगस्त को 17:58 पर हो रहा है। ऐसे में बहनें भाइयों को 15 अगस्त के सूर्योदय से शाम के 5:58 तक राखी बांध सकेंगी।
राखी बांधते वक्त करें इन मंत्रों का जाप
येन बद्धो बलिराजा दानवेन्द्रो महाबल:। तेन त्वामपि बध्नामि रक्षे मा चल मा चल ॥
इस श्लोक का अर्थ है- जिस रक्षासूत्र से महान शक्तिशाली दानवेन्द्र राजा बलि को बाँधा गया था, उसी सूत्र से मैं तुझे बांधता हूँ। हे रक्षे (राखी)! तुम अडिग रहना (तू अपने संकल्प से कभी भी विचलित न हो।)
राखी बांधने की पूरी विधि-
सबसे पहले पूजा की थाल तैयार कर लें। इस थाल में रोली, मिठाई, पान का पत्ता, कुमकुम,रक्षा सूत्र, अक्षत, पीला सरसों , दीपक और राखी रख लें। फिर भाई को तिलक लगाएं और उसके बाद दाहिने हाथ में राखी बांधें। इसके बाद भाई की आरती उतारें। इस दौरान दीप जरूर जला लें। फिर भाई को मिठाई खिला दें। भाई अगर आपसे बड़ा है तो उसका चरण स्पर्श कर आशीर्वाद लें। अगर छोटा है तो उसके सिर पर हाथ रखकर उसे आशीर्वाद दें। अंत में पूजा की थाल को आप कुछ देर के लिए पूजा स्थान पर रख सकते हैं। दीप को अंत तक जलने दें और खुद न बुझाएं।