
बहराइच l डा देवेश कुमार श्रीवास्तव, वरिष्ठ आयुर्वेद चिकित्सा विशेषज्ञ, राजकीय अयुर्वेदिक चिकित्सालय कुण्डासर बहराईच ने बताया कि सूर्य के उत्तरायण होने के काल को आदानकाल जिसमेँ तीन ऋतुएँ शिशिर बसंत,ग्रीष्म होती हैं इसने सूर्य की किरणे जैसे जैसे तेज होती हैं कफ का नाश होकर वायु की वृद्धि होती है और पृथ्वी के सौम्यांश को और प्राणियों के बल,शक्ति को ले लेता है बसंत ऋतु चैत्र वैशाख जो मार्च, अप्रेल, मई तक होता है बदलते मौसम में गर्मी सर्दी से रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है जिससे कई बिमारियों जैसे गले में खरास, सर्दी,जुकाम, खांसी, बुखार, शरीर मे टूटन आदि बीमारियाँ से और कोरोना वायरस भी गले वा फेफड़े को संक्रमित कर व्यक्ति को भयभीत कर रहा है
हजारों वर्ष पहले आयुर्वेद में बदलते मौसम मे रोग व विषाणु संक्रमण के बचाव व उपचार वर्णित है “आयुर्वेद का उददेश्य” ही यही है की स्वस्थ को स्वस्थ बनाये रखने के साथ रोगों को जड़ से ठीक किया जाता है
जबकि थोड़ा सा नियम संयम उचित आहार-विहार व उचित दैनिक दिनचर्या से हर व्यक्ति हर समय स्वस्थ बन रह सकता है उसके लिये अपने शरीर पर मिलेट्री शासन लगाना पड़ेगा उसके लिये बस अपने आज को धनात्मक सोंच के साथ खुश रखने का प्रण करे सभी के लिये अच्छा सोंचे अच्छा करें यह भावना आपके वर्तमान भूत भविष्य को खुशमय बना देगा, प्रातः उठते ही खाली पेट 5-5 नीम व तुलसी की पत्ती, खाली पेट 3-4 गिलास पानी,लगभग 2 घन्टे घर मे ही दौड़े,योग,प्राणायाम करें सभी लोग सुबह शाम धूप आम की लकड़ी पर इलायची लौंग,कपूर डालकर गोबर के कंडे जलाकर हवन से वातावरण की शुध्दि करेंं मन्त्रोच्चरण करें, मुस्लिम भाई घर में ही नियमित अच्छे से वजू करके नमाज अदा करें अगरबत्ती जलायें, कोरोना से बचने के लिये कहीं भी बाहर जायें तो अपने हाथ की सैनीटाईज करके निकलें,अपने हाथ से अपना चेहरा बिलकुल ना छुयें, चेहरे पर यदि मास्क न हो तो घर पर किसी कपड़े का मास्क बनाकर मुँह ढके रहें, जो कोई बाहर जाये भी लौटकर घर में बिना कुछ छुये बाथरूम मे जाकर गर्म पानी सर्फ में भिगोकर खुद भी गर्म पानी से नहाए कुछ भी छूने से बचे ,सभी लोगों से एक मीटर की दूरी पर रहें,
हाथ की साबुन से सफाई कई बार करते रहें,
जो भी सामान बाहर लें उसको भी सर्फ साबुन से धुल कर रखें,या धूप मे रखकर सैनीटाईज करें
रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिये क्या किया जाये
कालीमिर्च, इलायची,लौंग,दालचीनी,जवित्री का कढ़ा बनकर तुलसी,अदरक,ज्वरान्कुश की पत्ती डाल कर काढा बनाकर नीम्बू का रस डालकर 3-4 बार पीने से सर्दी जुकाम होने ही नही पाता है, रोज सोते समय एक गिलास दूध मे आधा गिलास पानी डालकर उबाले पानी जलने पर एक गिलास दूध पियें, 2 चम्मच अजवायन दो लीटर पानी मे उबाल कर रखलें पूरा दिन गर्म करके पीते रहें यह शरीर ने लेखन कर्ता है गन्दगी निकालता है,
स्वस्थ बने रहने के लिये अपने शरीर को दो घन्टे अवश्य दें योग प्राणायाम भ्रमण(दौडना भी) नियमित करें,अनुलोम विलोम, कपालभाति, भ्रामरी, उज्जई सिंघासन,शीर्सासन, हलासन, सर्वान्गासन,भुजन्गासन अपने खाने में हरी सब्जियाँ फल,सलाद प्रचुर मात्रा में खायेंं, खाना 32 बार चबाकर खायें, खाने के बीच मे पानी ना पियें,
बिस्तर पर लेट कर नाक में दो बूंद सरसों का तेल डाले 100 तक गिनती गिन कर उठ जायें आधा गिलास गर्म पानी आधा चम्मच
नमक डाल कर गारारा करें
आयुर्वेद में सर वा गले को ठीक रझ्ने के लिये गन्डूश धारण करने को कहा गया है इसमें 2 चम्मच तिल तैल मुँह में 10 मिनट रखे फिर थूक दे फिर नमक के पानी से गारारा करें l