अतुल शर्मा
गाजियाबाद:-सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश अशोक भूषण डासना स्थित आईएमएस कॉलेज के कैंपस में जीएसटी पर आयोजित सेमिनार में बतौर मुख्य अतिथि बनकर पहुचे।अशोक भूषण ने जीएसटी को बढ़ावा देते हुए कई मुख्य बातों पर रोशनी डाली। सेमिनार का आयोजन महानगर टैक्स बार एसोसिएशन के तत्वावधान में किया गया। सेमिनार का उद्धघाटन भी न्यायमूर्ति अशोक भूषण ने ही किया। जिसके बाद उन्होंने अपने संबोधन में बताया कि जीएसटी नया कानून है। जीएसटी और वैट में बहुत अंतर है ।
इसलिए जीएसटी के अनुपालन में कुछ परेशानियां व्यापारियों को हो सकती हैं । ऐसे में चार्टर्ड अकाउंटेंट्स व कर अधिवक्ताओं का रोल अहम हो जाता है ।उन्होंने कहा की आज भी क्लाइंट अपने परिवार के सदस्यों से ज्यादा अधिवक्ताओं या चार्टर्ड अकाउंटेंट्स पर विश्वास करता है । आज के दौर में व्यक्ति भले ही अपने परिवार के किसी सदस्य को कोई कागज साइन करके ना दे ,लेकिन अपने अधिवक्ता या चार्टर्ड अकाउंटेंट को वह आज भी किसी भी कागज पर हस्ताक्षर करके सौंप देता है ।इसका मतलब यह है कि अधिवक्ता व चार्टर्ड अकाउंटेंट्स पर आज के दौर में भी व्यक्ति अपने परिवार के सदस्यों से ज्यादा विश्वास करता है।
ऐसी स्थिति में चार्टर्ड अकाउंटेंट्स अधिवक्ताओं का फर्ज बन जाता है कि वह अपने कार्य व दायित्वों का निर्वहन ईमानदारी के साथ करें, और क्लाइंट्स का जो विश्वास है उसको और मजबूत करने की दिशा में कदम उठाएं। उन्होंने कहा की जो भी समस्याएं इस नए कानून के तहत आएं उनहे अधिवक्ताओं और चार्टर्ड अकाउंटेंट्स को व्यापारियों व सरकार के बीच एक इमानदार माध्यम बनकर उनका निराकरण कराएं ।
इस अवसर पर इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति अशोक कुमार ने कहा जीएसटी एक नया कानून है जिसे समझने में अभी समय लगेगा ।अभी अनेक भ्रांतियां सामने आएंगी ।ऐसे में राष्ट्रहित में जरूरी है अधिवक्ता चार्टर्ड अकाउंटेंट्स से जुड़े अन्य पक्ष इसमें आ रही प्रांतों को दूर करते हुए जीएसटी को पटरी पर लाने की कोशिश करें।
इस अवसर पर सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता पदमश्री प्रवीण एच पारिख ,हाई कोर्ट के अधिवक्ता राकेश रंजन अग्रवाल, महानगर टैक्सेशन बार एसोसिएशन के अध्यक्ष अनिल कुमार अग्रवाल ,मीडिया प्रभारी पुष्पेंद्र भारद्वाज, अरुण गुप्ता समेत करीब ढाई सौ लोग शामिल हुए ।