क्या है ब्रेन स्ट्रोक क्या है इसके लक्षण, इलाज, ट्रीटमेंट, उपचार, आज हम आपको बतिएँगे . बताते चले सर्दियों के मौसम में युवाओ में स्ट्रोक (ब्रेन अटैक) के मामले कहीं ज्यादा बढ़ जाते हैं।आजकल की लाइफस्टाइल के कारण लोगों में कई तरह की बीमारियां तेजी से बढ़ रही हैं। आपके खान-पान और आदतों का असर आपकी सेहत पर पड़ता है। पिछले कुछ वर्षों में ब्रेन स्ट्रोक की समस्या बहुत तेजी से बढ़ी है। खासकर युवाओं में ये समस्या ज्यादा देखी गई है। नसों में फैट जमने से ब्लड सर्कुलेशन प्रभावित होने लगता है। इससे ब्लड क्लॉट्स हो जाता है।
यही क्लॉट आगे जाकर ब्रेन स्ट्रोक का रूप ले लेता है। मस्तिष्क में जब ब्लड सर्कुलेशन सही नहीं होता तो मस्तिष्क की कोशिकाएं मरने लगती हैं और इसी कारण ब्रेन स्ट्रोक होता है। मस्तिष्क की ब्लड पहुंचाने वाली नलिकाएं फट जाती हैं तो इसे ब्रेन हैमरेज कहते हैं। कई बार ब्रेन स्ट्रोक जानलेवा भी हो सकता है। इसे ब्रेन अटैक भी कहते हैं।
क्या हैं ब्रेन स्ट्रोक के लक्षण
- बोलने और समझने में दिक्कत। आवाज में लड़खड़ाहट हो सकती है या किसी की बात को समझने में दिक्कत हो सकती है।
- चेहरे, हाथ या पैर में कमजोरी या इनका सुन्न होना। विशेष रूप से शरीर के एक तरफ के चेहरे, हाथ या पैर में अचानक सुन्नपन या कमजोरी महसूस होना।
- एक या दोनों आंखों से देखने में दिक्कत महसूस करना। आपको अचानक एक या दोनों आंखों से धुंधला या काला दिख सकता है या एक का दो दिख सकता है।
- अचानक तेज सिर दर्द हो सकता है और इसके साथ ही उल्टी, चक्कर आना या बेहोशी हो सकती है।
- चलने में परेशानी। ज्यादा चलते समय अचानक लड़खड़ना।
कई तरह के होते हैं स्ट्रोक
लगभग 85 प्रतिशत स्ट्रोक इस्कीमिक स्ट्रोक होते हैं। शेष 15 प्रतिशत स्ट्रोक ब्रेन हेमरेज के कारण होते हैं। ब्रेन हेमरेज का एक प्रमुख कारण हाई ब्लडप्रेशर है। इस्कीमिक स्ट्रोक तब होता है जब मस्तिष्क की धमनियां संकरी या अवरुद्ध हो जाती हैं,जिससे रक्त प्रवाह में अत्यधिक कमी हो जाती है। इसे इस्कीमिया कहा जाता है। इस्कीमिक स्ट्रोक के अंतर्गत थ्रॉम्बोटिक स्ट्रोक को शामिल किया जाता है। जब मस्तिष्क को रक्त की आपूर्ति करने वाली धमनियों में से किसी एक में रक्त का थक्का (थ्रॉम्बस) बनता है तो थ्रॉम्बोटिक स्ट्रोक पड़ता है। यह थक्का धमनियों में वसा के जमाव (प्लॉक) के कारण होता है जिसके कारण रक्त प्रवाह में बाधा आ जाती है। इस स्थिति को एथेरोस्क्लीरोसिस कहा जाता है।
क्या है इसका इलाज
- इस्कीमिक स्ट्रोक का इलाज करने के लिए विशेषज्ञ डॉक्टर को जल्द से जल्द मस्तिष्क में रक्त के प्रवाह को बहाल करना होता है। दवाओं के जरिये आपातकालीन उपचार के अंतर्गत थक्के को घुलाने वाली थेरेपी स्ट्रोक के तीन घंटे के भीतर शुरू हो जानी चाहिए। अगर यह थेरेपी नस के जरिये दी जा रही है, तो जितना शीघ्र हो, उतना अच्छा है। शीघ्र उपचार होने पर न केवल मरीज के जीवित रहने की संभावना बढ़ती है बल्कि जटिलताएं होने के भी खतरे घट जाते हैं।
- इसके अलावा एस्पिरिन नामक दवा भी जाती है। एस्पिरिन रक्त के थक्के बनने से रोकती है। इसी तरह टिश्यू प्लाजमिनोजेन एक्टिवेटर संक्षेप में ‘टीपीए (रक्त के थक्के को दूर करने की दवाई) का नसों में इंजेक्शन भी लगाया जाता है। टीपीए स्ट्रोक के कारण खून के थक्के को घोलकर रक्त के प्रवाह को फिर बहाल करता है।
- मस्तिष्क तक सीधे दवाएं पहुंचाना डॉक्टर पीडि़त व्यक्ति के कमर (जांघ)की एक धमनी(आर्टरी) में एक लंबी, पतली ट्यूब (कैथेटर) को डालकर इसे मस्तिष्क में स्ट्रोक वाली जगह पर ले जाते हैं। कैथटर के माध्यम से उस भाग में टीपीए को इंजेक्ट करते हैं।
- यांत्रिक रूप से थक्का हटाना:डॉक्टर यांत्रिक रूप से क्लॉट को तोड़ने और फिर थक्के को हटाने के लिए पीडि़त शख्स के मस्तिष्क में एक छोटे से उपकरण को डाल सकते हैं और इसके लिए वे एक कैथेटर का उपयोग कर सकते हैं।
ऐसे लोगों पर सबसे ज्यादा होता है खतरा
- टाइप-2 डाइबिटीज के मरीजों में इसका खतरा काफी बढ़ जाता है।
- हाई ब्लड प्रेशर और हाइपरटेंशन के मरीज इसकी चपेट में जल्दी आ जाते हैं।
- अत्यधिक तनाव में रहना और हमेशा खाते रहना या मोटापा ब्रेन अटैक का एक प्रमुख कारण बन सकता है।
- धूम्रपान, शराब और गर्भ निरोधक गोलियों का सेवन ब्रेन अटैक को निमंत्रण देने वाले कारण माने जाते हैं।
- कोलेस्ट्रॉल का बढ़ता स्तर और घटती शारीरिक सक्रियता भी इसका कारण बन सकती है।
सर्दियों में इसलिए बढ़ता है खतरा सर्दियों में धमनियां सिकुड़ जाती हैं और ब्लड गाढ़ा होने से हार्ट को इसे पंप करने में अधिक मेहनत करनी पड़ती है। इससे ब्लडप्रेशर बढ़ जाता है। वहीं ब्लड गाढ़ा होने से इसका सर्कुलेशन भी सही नहीं हो पाता। कई बार ब्लड क्लॉटेज होने लगता है इससे दिक्कत बढ़ती है।
नोट : इस मौसम में अपने शरीर को गर्म रखने का प्रयास करें। ऊनी कपड़ों से ढ़ककर रखें ताकि स्ट्रोक की आशंका कम हो। खिड़की-दरवाजे बंद रखें और पर्दे डालकर रखें, ताकि कमरे में गर्मी बनी रहे। कमरे का टेंपरेचर 18 से 21 डिग्री के बीच रहना चाहिए। सर्दियों में सुबह में खास ध्यान रखें। बचाव के लिए है जरूरी तनाव न लें। मानसिक शांति के लिए ध्यान करें। धूम्रपान और शराब से बचें। कार्डियो एक्सरसाइज और योग करें। वेट न बढ़ने दें। हृदय रोगी और डाइबिटीज के रोगी सावधानी बरतें। सोडियम का अधिक मात्रा में सेवन न करें। गर्भनिरोधक गोलियों का सेवन न करें, परिवार नियोजन के दूसरे तरीके अपनाएं।
अटैक आने पर क्या करें
रक्तदाब को नियंत्रित करने वाली दवा न लें। किसी न्यूरोलॉजिस्ट के पास जाएं। मरीज को हॉस्पिटल ले जाने में देर न करें। तुरंत उपचार जरूरी है, क्योंकि स्ट्रोक आने के एक घंटे में मस्तिष्क काफी न्यूरॉन्स खो देता है।
इन्हें खाएं
साबुत अनाज खाएं, क्योंकि यह फाइबर के अच्छे स्रोत हैं और ब्लड प्रेशर को नियंत्रित रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। अदरक का सेवन करें, क्योंकि इससे रक्त पतला रहता है और थक्का बनने की आशंका कम हो जाती है। ओमेगा फैटी एसिड वाले खाद्य पदार्थ जैसे तैलीय मछलियां, अखरोट, सोयाबीन आदि को अपने खाने में शामिल करें। जामुन, गाजर, टमाटर और गहरी हरी पत्तेदार सब्जियां जरूर खाएं।