भास्कर समाचार सेवा
गुरुग्राम। हेल्थकेयर के जटिल क्षेत्र में कैंसर के प्रति किसी की जन्मजात प्रवृत्ति को समझना उसकी उपचार संबंधित देखभाल में अहम योगदान दे सकता है। एक स्वस्थ कोशिका से कैंसरग्रस्त कोशिका में संक्रमण आनुवंशिक अनियमितताओं पर निर्भर करता है। ऐसे कैंसर को आनुवंशिक विकार के रूप में वर्गीकृत किया जाता है। ये अनियमितताएं या तो कई कारणों से पैदा हो सकती हैं, जिनसे छिटपुट कैंसर हो सकता है या माता-पिता से विरासत में मिला हो सकता है, जिससे वंशानुगत कैंसर को बढ़ावा मिलता है। इन आनुवंशिक अनियमितताओं का मुकाबला करने के लिए शरीर डीएनए मरम्मत प्रणाली विकसित करता है, जो कैंसर की शुरुआत के खिलाफ सुरक्षा के रूप में काम करती है।
निवारक उपायों को मजबूत बनानाः
- जेनेटिक काउंसिलिंग एवं टेस्टिंग
सक्रिय देखभाल की दिशा में शुरुआती कदम अक्सर जेनेटिक काउंसिलिर की मदद पाने से जुड़े होते हैं। यह पेशेवर पारिवारिक रिकॉर्ड और संभावित आनुवंशिक जोखिमों के बारे में सही जानकारी दे सकता है। जेनेटिक टेस्टिंग की सलाह गंभीर कैंसर जोखिम की पहचान करने के लिए दी जाती है, जिससे लोगों को अपनी स्वास्थ्य देखभाल के संबंध में सही समय पर सही निर्णय लेने में मदद मिलती है।
- रेग्युलर मेडिकल चेक-अप एवं स्क्रीनिंग
कैंसर की जल्द पता लगाना, उसकी रोकथाम का मुख्य हिस्सा है। रेग्युलर मेडिकल चेक-अप से हेल्थकेयर पेशेवरों को मरीज की स्वास्थ्य स्थिति पर नजर बनाए रखने में मदद मिलती है। फेमिली हिस्ट्री से जुड़े विशिष्ट कैंसर के आधार पर हेल्थकेयर पेशेवर आरंभिक और अधिक बार स्वास्थ्य जांच का सुझाव दे सकते हैं, जैसे मैमोग्राम, कोलोनोस्कॉपी और पैप स्मीयर्स, जो आरंभिक और उपचार योग्य चरणों में कैंसर का पता लगाने में मददगार हैं।
- हेल्दी लाइफस्टाइल अपनाएं
जहां जेनेटिक का अहम रोल होता है, वहीं लाइफस्टाइल जैसे कारक भी कैंसर जोखिम को प्रभावित करते हैं। मजबूत लाइफस्टाइल को अपनाने से यह जोखिम कम होता है। फल, सब्जी और अनाज से भरपूर संतुलित आहार लें और शारीरिक गतिविधि नियमित रूप से करें। तंबाकू उत्पादों के सेवन से परहेज करने शराब का सेवन सीमित करने और ध्यान या योग जैसे माध्यमों से भी तनाव दूर कर स्वस्थ रहने में मदद मिल सकती है।
- कीमोप्रीवेंशन
कुछ खास मामलों में, हेल्थकेयर पेशेवर कैंसर जोखिम घटाने के लिए दवाओं से युक्त कीमोप्रीवेंशन की सलाह दे सकते हैं। ये दवाएं कैंसर कोशिका बढ़ने से रोक सकती हैं या गंभीर कैंसर होने की आशंका घटा सकती हैं। हेल्थकेयर पेशेवरों के साथ परामर्श करने से व्यक्ति के जेनेटिक प्रोफाइल के आधार पर इस विकल्प का इस्तेमाल करने में मदद मिलती है।
- प्रोफाइलैक्टिक सर्जरी
ज्यादा जोखिम से जूझ रहे लोगों के लिए प्रोफाइलैक्टिक सर्जरी पर विचार किया जा सकता है। इसमें कैंसर बनने के ज्यादा जोखिम वाले ऊतकों या अंगों को हटाना शामिल है, स्तन कैंसर के लिए प्रोफाइलैक्टिक मास्टेक्टोमी इसका एक उदाहरण है। ऐसे निर्णयों के लिए हेल्थकेयर पेशेवरों के साथ सावधानीपूर्वक विचार और चर्चा करने की जरूरत होती है।
- चिकित्सीय परीक्षणों में हिस्सा लेना
चिकित्सीय परीक्षणों में हिस्सा लेने से कैंसर की रोकथाम के लिए अत्याधुनिक अनुसंधान एवं नए दृष्टिकोण तक पहुंचने में मदद मिल सकती है। चिकित्सीय परीक्षण अक्सर नई दवाएं, चिकित्साएं और ऐसे बदलाव की संभावना तलाशते हैं जिनका मकसद कैंसर जोखिम घटाना हो। ऐसी भागीदारी न सिर्फ व्यक्ति के लिए लाभकारी होती है बल्कि इससे चिकित्सीय ज्ञान बढ़ाने में भी मदद मिलती है।
- मनोसामाजिक समर्थन
जब कैंसर का पता चल जाता है तो इससे मुकाबला करना भावनात्मक तौर पर भी बेहद चुनौतीपूर्ण हो सकता है। काउंसिलिंग या सहायता समूहों के जरिये मनोसामाजिक समर्थन हासिल करने से तनाव और अवसाद दूर करने में बड़ी मदद मिल सकती है। समान समस्याओं से जूझ रहे अन्य लोगों से जुड़ने से भी समुदाय की भावना को बढ़ावा मिल सकता है।
कुल मिलाकर, यह कहा जा सकता है कि कैंसर के प्रति आनुवंशिक प्रवृत्ति के प्रबंधन के लिए एक सक्रिय दृष्टिकोण में जेनेटिक काउंसिलिंग, नियमित स्वास्थ्य जांच, मजबूत लाइफस्टाइल और निर्णय लेने की क्षमता महत्वपूर्ण है। ये कदम उठाकर, व्यक्ति आनुवंशिक चिंताओं से मुक्त होकर ऐसे विकल्प चुनने में सक्षम हो सकते हैं जो एक स्वस्थ, कैंसर-प्रतिरोधी भविष्य को बढ़ावा दें।