योगेश श्रीवास्तव
लखनऊ। यूपी की पालिटिक्स में इस समय राजनीतिक दलों में एक दूसरे पर सर्जिकल स्ट्राइक जारी है। केवल सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी ही इससे बची हुई है। उपचुनाव के नतीजे आने के बाद इस मिशन को अंजाम देने में सपा के बाद बसपा भी खासी सक्रिय हो गयी है। हाल ही में जौनपुर के सांसद श्याम सिंह यादव जिन्हे बसपा प्रमुख मायावती ने लोकसभा में संसदीय दल क ा नेता नियुक्त किया वे अंजाम से बेपरवाह होकर पिछले दिनों न सिर्फ सपा के कार्यालय पहुंच गए बल्कि यहां तक कहा कि गठबंधन उम्मीदवार होने के नाते उन्हे जितानें में सपा के लोगों ने खासी मेहनत की है इसलिए वे सपा कार्यालय आते रहेगें।
सेवानिवृत प्रशासनिक अधिकारी श्याम सिंह यादव ने इसी साल हुए लोकसभा चुनाव से अपनी राजनीतिक पारी शुरू की है। वे पहली बार जौनपुर से चुनाव मैंदान में थे और निर्वाचित होकर संसद पहुंचे। बसपा के वे अकेले ऐसे नेता नहीं है जिनका इतना जल्दी ह़दयपरिवर्तन हुआ है बल्कि इससे पहले गांधी जयंती के मौके पर पिछले महीने दो और तीन अक्टूबर को आयोजित विधानसभा के विशेष सत्र पार्टी व्हिप से बेपरवाह होकर बसपा के दो विधायक असलम राईनी, और अनिल सिंह ने न सिर्फ विधानसभा की कार्यवाही में हिस्सा लिया बल्कि श्रावस्ती के विधायक असलम राइनी ने तो सदन में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मौजूदगी में उनकी कार्यशैली की सराहना भी की।
पुरवा उन्नाव से विधायक अनिल सिंह ने पार्टी के दिशानिर्देशों को दरकिनार करते हुए इस विशेष सत्र में हिस्सा लिया। हालांकि इस विशेष सत्र में हिस्सा लेने वाले बसपा के ये दोनों विधायक अकेले नहीं थे। तक नीकी रूप से अभी भी समाजवादी पार्टी के विधायक शिवपाल यादव व नितिन अग्रवाल ने इस दो दिवसीय विशेष सत्र में हिस्सा लिया। सपा के वरिष्ठï विधायक तथा सपा सरकारों में प्रभावी कैबिनेट मंत्री रहे शिवपाल यादव ने जहां सत्र के दौरान योगी सरकार की कई खामियां गिनाई तो कई निर्णयों को लेकर उनकी सराहना भी की।
सपा के दूसरे विधायक नितिन अग्रवाल ने भी पार्टी व्हिप से बेपरवाह होकर इस दो दिवसीय विशेष सत्र में हिस्सा लिया। नितिन अग्रवाल और उनके पिता नरेश अग्रवाल इस समय दोनों ही भाजपा में है। सपा नेतृत्व ने शिवपाल यादव की सदस्यता समाप्त कराने के लिए विधानसभाध्यक्ष के यहां याचिका भी दायर कर रखी है।
सपा से अलग होने के बाद शिवपाल यादव पर योगी सरकार की वैसे भी कुछ ज्यादा कृपा बनी हुई जिसके चलते उन्हे पार्टी आफिस चलाने के लिए शास्त्री मार्ग पर एक आलीशान बंगला दिया गया साथ ही उनकी सुरक्षा व्यवस्था में इजाफा किया गया है। यही वजह है कि सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव की तुलना में शिवपाल यादव योगी सरकार के प्रति नरम रवैया रखते है। लोकसभा चुनाव के बाद हो रहे इस तरह राजनीतिक परिवर्तन का परिणाम है कि योगी सरकार के दो दिवसीय विशेष सत्र में बसपा सपा की तरह कांग्रेस के भी दो सदस्यों ने इस सत्र के साक्षी बने थे।
रायबरेली से कांग्रेस की विधायक अदिति सिंह और राकेश सिंह ने न सिर्फ इस सत्र में लिया बल्कि योगी सरकार की सराहना भी की। हालांकि सत्र से पूर्व बुलाई गयी कार्यमंत्रणा समिति की बैठक में इन सभी दलों के विधानमंडल दल के नेताओं ने इस विशेष सत्र में हिस्सा लेने की बात कही थी लेकिन बाद में राजनीतिक कारणों के चलते सभी दलों ने इस विशेष सत्र का बहिष्कार किया था।