वॉशिंगटन। अमेरिकी सेना ने आखिरकार पाकिस्तान को दी जाने वाली 300 मिलियन डॉलर की आर्थिक मदद को रोकने का फैसला ले लिया है। अमेरिकी सेना की ओर से कहा गया है कि जिस तरह से पाकिस्तान आतंकवाद के खिलाफ कदम उठाने में विफल रहा है, उसे देखते हुए हमने 300 मिलियन डॉलर की आर्थिक मदद को रोकने का फैसला लिया है। ऐसे में अमेरिका के इस फैसले के बाद पाकिस्तान की छवि को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर एक और बड़ा झटका लगा है।
पहले चेतावनी दे चुके थे ट्रंप
गौर करने वाली बात यह है कि अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने जनवरी माह में ही पाकिस्तान को चेतावनी दी थी कि वह पाकिस्तान को दी जाने वाली आर्थिक क मदद को रोक देंगे। उन्होंने कहा था कि हमने पाकिस्तान को बिलयंस दिए लेकिन हमे इसके बदले झूठ और धोखा मिला।
अमेरिकी कांग्रेस ने नवंबर में यूएस की नई अफगानिस्तान पॉलिसी के तहत आतंकवाद को खत्म करने के लिए पाकिस्तान को सैन्य मदद देने की मंजूरी दी थी। पाकिस्तान में लश्कर-ए-तैयब और अफगानिस्तान में हक्कानी नेटवर्क समेत कई बड़े आतंकी संगठनों के खिलाफ कार्रवाई करने कि लिए अमेरिकी सरकार आर्थिक सहायता देने की घोषणा की थी.
पेंटागन ने मदद से किया इनकार
पेंटागन के प्रवक्ता लेफ्टिनेंट कोनी फॉकनर ने कहा कि अमेरिकी सेना इन पैसों का इस्तेमाल कुछ अन्य अहम कामों के लिए करेगी। अमेरिका का यह फैसला जनवरी माह में ट्रंप के ऐलान के बाद उसी का हिस्सा माना जा रहा है। हालांकि इस फैसले को अभी अमेरिकी कांग्रेस की अनुमति मिलनी बाकी है। अमेरिका ने आतंकवाद के खिलाफ पाकिस्तान की नीति की आलोचना करते हुए कहा कि पाक अपनी जमीन का इस्तेमाल आतंकी गतिविधियों के लिए होने देता है, यहां हक्कानी नेटवर्क और अफगान तालिबान सक्रिय हैं।
ट्रंप दिखा चुके हैं सख्त रुख
डोनाल्ड ट्रंप अपने नई साउथ एशिया पॉलिसी को लेकर कहा चुके हैं कि पाकिस्तान जब तक आतंकवाद के खिलाफ उचित कार्रवाई नहीं करेगा, तब तक यह पॉलिसी सफल नहीं हो सकती है। अमेरिका साथ में यह भी कह चुका है कि पाकिस्तान को अपनी जमीन पर पल रहे आतंकी संगठनों के खिलाफ कार्रवाई करनी होगी और अगर वे ऐसा नहीं करते हैं, तो हम अकेले ही लड़ लेंगे। ट्रंप ने कहा था कि हमने आतंकवाद के खिलाफ लड़ने के लिए पाकिस्तान को कई बिलियन डॉलर की मदद की है, लेकिन इसका कोई असर नहीं दिखा है।