उत्तराखंड निकाय चुनाव का बिगुल बज चुका है और नामांकन प्रक्रिया के अंतिम दिन चुनावी गहमागहमी चरम पर है। राज्य के 11 नगर निगमों, 43 नगर पालिका परिषदों और 46 नगर पंचायतों सहित कुल 100 नगर निकायों के लिए चुनाव 23 जनवरी को होंगे। इन चुनावों में मतपत्रों के जरिए मतदान होगा और नतीजे 25 जनवरी को घोषित किए जाएंगे।
नामांकन प्रक्रिया में बढ़ा जोशनामांकन के आखिरी दिन सोमवार को सभी प्रमुख राजनीतिक दल और निर्दलीय उम्मीदवार अपने समर्थकों के साथ जोर-शोर से पर्चा भरने पहुंच रहे हैं। जुलूस, नारेबाजी और शक्ति प्रदर्शन के बीच उम्मीदवार अपनी दावेदारी मजबूत करने की कोशिश कर रहे हैं। निर्वाचन आयोग ने नामांकन प्रक्रिया को शांतिपूर्ण और व्यवस्थित तरीके से संपन्न कराने के लिए विशेष इंतजाम किए हैं।
राजनीतिक दलों की तैयारियां भाजपा ने अपने अधिकांश उम्मीदवारों के नाम पहले ही घोषित कर दिए हैं, जिससे पार्टी को प्रचार के लिए अतिरिक्त समय मिल गया है। भाजपा ने विकास और जनसेवा को चुनावी एजेंडा बनाया है। पार्टी के नेता नगर निगमों और नगर पालिका परिषदों में अपनी मजबूत पकड़ बनाए रखने के लिए आत्मविश्वास से भरे हुए हैं। वहीं कांग्रेस ने भी अपनी रणनीति को अंतिम रूप देना शुरू कर दिया है। हालांकि उम्मीदवारों की घोषणा में देरी के कारण पार्टी थोड़ी पिछड़ी हुई दिख रही है। कांग्रेस ने भाजपा सरकार की कथित नाकामियों और स्थानीय समस्याओं को चुनावी मुद्दा बनाने का फैसला किया है।
अन्य दल और निर्दलीय उम्मीदवारआम आदमी पार्टी (आप) और उत्तराखंड क्रांति दल (यूकेडी) जैसे छोटे दल भी मैदान में हैं और अपनी उपस्थिति दर्ज कराने की कोशिश कर रहे हैं। इसके अलावा निर्दलीय उम्मीदवार भी निकाय चुनाव में जोर-शोर से अपनी दावेदारी पेश कर रहे हैं।
31 दिसंबर को होगी नामांकन पत्रों की जांच इस बार राज्य में कुल 30,83,500 मतदाता हैं। इनमें 14,93,519 महिलाएं, 15,89,467 पुरुष और 514 अन्य शामिल हैं। चुनाव आयोग ने निष्पक्ष और पारदर्शी चुनाव कराने के लिए पुख्ता इंतजाम किए हैं। नामांकन पत्रों की जांच कल यानी 31 दिसंबर को होगी। इसके बाद उम्मीदवारों की अंतिम सूची जारी की जाएगी।
प्रमुख मुद्दे निकाय चुनावों में स्थानीय स्तर पर सफाई, जल निकासी, सड़कें, जलापूर्ति और बिजली जैसे बुनियादी मुद्दे हावी रहेंगे। इसके अलावा शहरी विकास और रोजगार जैसे विषय भी चर्चा में हैं। भाजपा ने जहां अपने विकास कार्यों को प्राथमिकता दी है। वहीं कांग्रेस स्थानीय समस्याओं और भाजपा सरकार की नीतियों को निशाना बना रही है।
चुनाव का राजनीतिक महत्व उत्तराखंड के निकाय चुनाव न केवल शहरी विकास की दिशा तय करेंगे, बल्कि राज्य की राजनीति पर भी प्रभाव डालेंगे। इन चुनावों के नतीजे आगामी विधानसभा चुनावों के लिए राजनीतिक दलों की स्थिति का भी संकेत देंगे। अब सभी की निगाहें नामांकन प्रक्रिया के बाद के प्रचार अभियान और 23 जनवरी के मतदान पर टिकी हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि उत्तराखंड की जनता इस बार किसे अपना भरोसा सौंपती है।