प्रधानमंत्री ने किया देश की पहली बहुउद्देशीय केन-बेतवा राष्ट्रीय नदी जोड़ो परियोजना का शिलान्यास
डा. रवीन्द्र अरजरिया
खजुराहो। भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेई की 100वीं जन्म जयन्ती के अवसर पर बुंदेलखण्ड के वक्षस्थल खजुराहो में देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश की पहली बहुउद्देशीय केन-बेतवा राष्ट्रीय नदी जोड़ो परियोजना का शिलान्यास किया। उन्होंने मंच पर ही बेतवा के जल के सांकेतिक प्रवाह में केन के जल को मिलाकर शासकीय संकल्प को प्रदर्शन किया। इसी दौरान ओंकारेश्वर फ्लोटिंग सौर परियोजना का लोकार्पण, 1153 अटल ग्राम सुशासन भवनों का भूमि पूजन रिमोड व्दारा किया गया। अटल जी की स्मृति में 5 रुपये मूल्य का डाक टिकिट एवं सौ रुपये मूल्य का सिक्का जारी करके श्री वाजपेई के प्रति श्रध्दान्जलि अर्पित की।
प्रधानमंत्री ने 21वीं सदी की सबसे बडी चुनौतियों में जल सुरक्षा को महात्वपूर्ण स्थान देते हुए कहा कि केन-बेतवा लिंक परियोजनासे जहां मध्य प्रदेश के छतरपुर, पन्ना, टीकमगढ, निवाडी, दमोह, शिवपुरी, दतिया, रायसेन, विदिशा तथा सागर के 8.11 लाख हेक्टेयर क्षेत्र सहित उत्तर प्रदेश के महोबा, ललितपुर, झांसी आदि जिलों की 2.51 हेक्टेयर क्षेत्र को सिंचाई की सुविधा प्राप्त होगी। वहीं 65 लाख परिवारों को पेयजल भी प्राप्त हो सकेगा। जल विद्युत परियोजनाओं से हरित ऊर्जा में 130 मेगावाट की भागदारी सहित औद्योगिक इकाइयों को पर्याप्त जल आपूर्ति हो सकेगी। दौधन बांध के निर्माण से बाढ और अकाल की समस्याओं का निदान करने में सहायता मिलेगी।
कांग्रेस के शासनकाल को रेखांकित करते हुए श्री मोदी ने कहा कि अतीत में कांग्रेस सरकारें केवल घोषणाएं करने में माहिर हुआ करती थीं। घोषणाएं करना, फीता काटना, दीया जलाना, अखबार में तस्वीर छपवा देने से ही कांग्रेस का काम पूरा हो जाता था। लोगों को इसका फायदा नहीं मिल पाता था। 35-35 तथा 40-40 साल पहले जिन परियोजनाओं को शुरू करने की घोषणा की थी उनमें से अनेक का तो काम भी शुरू नहीं हुआ। हमने सुशासन को स्थापित करने का प्रयास किया है। सुशासन का मलतब भी यही है कि अपने हक के लिए नागरिकों को सरकार के सामने हाथ न फैलाना पड़े। सरकारी दफ्तरों के चक्कर न काटने पड़ें। यही तो शत प्रतिशत लाभार्थी को शत प्रतिशत लाभ से जोडऩे की हमारी नीति है। हमने तकनीक की सहायता लेकर सीधे लाभार्थी को लाभ पहुंचाया है।
बुंदेलखण्ड के विशेष संदर्भ में उन्होंने कहा कि भविष्य के विकसित भारत में बुंदेलखण्ड का महात्वपूर्ण योगदान होगा। यहां इतिहास और आस्था के अनेक केन्द्र हैं। खजुराहो में भगवान मतंगेश्वर, चौसठ जोगनी, लक्ष्मण मंदिर जैसे धरोहर हैं। यह सब टूरिस्ट सर्किट में हैं जिससे क्षेत्र में रोजगार के अवसर विकसित हो रहे हैं। व्यापार का अवसर मिल रहा है। पर्यटकों के आने से आर्थिक सम्पन्नता आयेगी।
विकास के सोपानों को बाबा साहेब अम्बेडकर की कल्पना निरूपित करके हुए प्रधानमंत्री ने स्वाधीनता के से देश की प्रगति मूल्यांकन की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने देश-दुनिया के ईसाइ समुदाय को क्रिसमिस की शुभकामनायें भी मंच से दी। मुख्यअतिथि से पूर्व मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डा. मोहन यादव तथा केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री सी. आर. पाटिल सहित क्षेत्रीय सांसद बी. डी. शर्मा ने अपने उद्गार व्यक्त किये। इस आयोजन में मध्य प्रदेश के राज्यपाल मंगूभाई पटेल विशेष रूप से उपस्थित रहे। आयोजन स्थल पर बुंदेलखण्ड के अलावा चंबल, महाकौशल, विंध्य क्षेत्र के लोगों की भारी भीड रही जिसे व्यवस्थित करने में शासन प्रशासन के उत्तरदायी अधिकारियों को अनेक स्थानों पर बेहद कठिनाई का सामना करना पडा।