उत्तर प्रदेश के मैदानी क्षेत्रों में पहाड़ों पर हो रही बर्फबारी का असर साफ देखा जा रहा है। तापमान बराबर गिर रहा है और सर्द भरी हवाएं शीतलहर की ओर संकेत दे रही हैं। मौसम विभाग का कहना है कि शुक्रवार की रात से आगामी दो दिनों तक पाला पड़ने की संभावना है। ऐसे में किसान भाई सावधान हो जाएं और फसलों को पाला से बचाने के लिए तैयार रहें।
बदले मौसम से फसलों को नुकसान
चन्द्रशेखर आजाद कृषि प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के मौसम वैज्ञानिक डॉ. एस एन सुनील पाण्डेय ने शुक्रवार को बताया कि आगामी दो दिन तक पाला पड़ने की संभावना है। ऐसे में पाला की वजह से होने वाले नुकसान से बचने के लिए किसान भाइयों को कुछ उपाय करने की जरुरत होती है। पाले के प्रभाव से फसल में पौधों की पत्तियां और फूल झुलस कर झड़कर सिकुड़ जाते हैं। लियों और बालियों में दाने नहीं बनते है और बन रहे दाने सिकुड़ जाते हैं। पाला पड़ने पर थायो यूरिया 500 पीपीएम प्रति लीटर पानी का घोल बनाकर छिड़काव करना चाहिए। वहीं 15-15 दिनों के अंतर से दोहराते रहना चाहिए। कीमती फसल वाले खेतों में रात्रि के समय उत्तर पश्चिम की तरफ टाट बांधकर क्यारियों के किनारों पर लगाना चाहिए और दिन में पुन: हटा लेना चाहिए।
पौधशालाओं के पौधों और सीमित क्षेत्र वाले उद्यानों-नकदी सब्जी वाली फसलों में भूमि के ताप को कम ना होने देने के लिए फसलों को टाट, पॉलीथिन या भूसे से ढक देना चाहिए। हवा आने वाली दिशा की तरफ वायुरोधी कपड़ा या टाट (बोरी) बांध लेनी चाहिए। दीर्घकालीन उपाय के लिए खेत के उत्तरी पश्चिमी मेडों पर और बीच-बीच में सही दूरी पर वायु अवरोधक पेड़ जैसे शहतूत, शीशम, बबूल, खेजड़ी, अरडू आदि लगाने चाहिए। इससे पाले और ठंड़ी हाव के झोंको से फसल का बचाव होता है।
ठंड के मौसम में हल्की करें सिंचाई
नमीयुक्त जमीन में काफी देरी तक गर्मी रहती है। भूमि का तापमान एकदम कम नहीं होता है। ऐसे में जब पाला पड़ने की सम्भावना हो, तब फसलों में हल्की सिंचाई कर देनी चाहिए। इससे तापमान शून्य डिग्री सेल्सियस से नीचे नहीं गिरेगा और फसलों का नुकसान से बचाव होगा। पाला पड़ने की सम्भावना वाले दिनों में फसलों पर घुलनशील गंधक 2 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करना चाहिए। इसमें इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि पौधों पर घोल की फुहार अच्छी तरह लगे। इस छिड़काव का असर दो सप्ताह तक रहता है। अगर इसके बाद भी पाला पड़ने की सम्भावना हो, तो थायो यूरिया 500 पीपीएम (आधा ग्राम) प्रति लीटर पानी का घोल बनाकर छिड़काव करना चाहिए या छिड़काव को 15-15 दिनों के अंतर से दोहराते रहना चाहिए।
फसलों के लिए फायदेमंद है गंधक
गंधक का छिड़काव सरसों, गेहूं, चना, आलू, मटर जैसी फसलों को पाले से बचाने के साथ ही पौधों में लोहा तत्व की जैविक और रासायनिक सक्रियता को बढ़ा देता है। इससे पौधों की रोग रोधक क्षमता बढ़ाने और फसल को जल्दी पकने में मदद मिलती है। इसके साथ ही किसान भाइयों को सूचित किया जाता कि पाला पड़ने पर आलू, टमाटर, मिर्च, गोभी आदि फसलों में हल्की सिंचाई या 0.1 प्रतिशत सल्फ्यूरिक एसिड (100 लीटर पानी में 10 मिली लीटर दवा) को मिलाकर छिड़काव ऐसे करें कि पौधे पूरी तरह भीग जाएं। इससे फसलों में लड़ने की क्षमता भी बढ़ जाती है।