
आलेख – सुनीत सिंह कोचर, सीईओ, फतेह एजुकेशन
आज छात्रों के लिए देश-विदेश में कहीं भी पढ़ने की कोई सीमा नहीं रही इसलिए उन्हें अपने सपनों को सच करने और विश्वस्तरीय शिक्षा लेने की संभावनाएं बढ़ गई हैं। हर साल लाखों-लाख भारतीय छात्र उच्च शिक्षा के लिए घर से बहुत दूर विदेश जाते हैं। वे कहां पढ़ने जाएं इसके चुनाव में बेहतर संभावनाओं और निजी हितों को ध्यान में रखते हुए यह भी देखते हैं कि वहां विभिन्न संस्कृतियों के लोग हों, जीवन की गुणवत्ता, सुरक्षा, स्वच्छ पर्यावरण, विदेशी छात्रों के लिए सही नीतियां और उस देश के विकास दर भी अच्छी हो।
इसके अलावा किसी विश्वविद्यालय को चुनने से पहले उसकी रैंकिंग, मान्यता, शिक्षा पद्धति, पढ़ाई का खर्च और रोजगार योग्यता जैसे कई कारकों पर विचार किया जाता है। हालाँकि चुनने का अधिकार केवल छात्र को नहीं है बल्कि विश्वविद्यालय भी प्रवेश की सख्त शर्तें रखते हैं और केवल उन शर्तों को पूरा करने वाले छात्र ही अपनी पसंद के डिग्री प्रोग्राम में दाखिला पाते हंै।
जहां तक आंकड़ों की बात है विदेश मंत्रालय के आंकड़े बताते हैं कि 2022 में 13,00,000 से ज्यादा भारतीय छात्र दुनिया के 79 देशों में पढ़ाई कर रहे थे। इसके अनुसार जिन देशों ने भारतीय छात्रों को अधिक आकर्षित किया है उनमें यूनाइटेड किंगडम, संयुक्त राज्य अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, आयरलैंड, संयुक्त अरब अमीरात और जर्मनी शामिल हैं।
हर साल इन देशों के विश्वविद्यालय रिकॉर्ड संख्या में आवेदन प्राप्त और प्राॅसेस करते हैं और फिर उन्होंने विदेशी छात्रों के लिए एक निश्चित संख्या में सीटें निर्धारित कर रखी है, ताकि उन्हें अपनी अभिरुचि के अनुसार प्रोफाइल और सक्षमता विकसित करने की जगह और अवसर मिले। इनके बावजूद इस आलेख में ऐसे कई कारकों पर विस्तार से चर्चा होगी जैसे कि भारतीय छात्रों के चार्ट पर कौन देश आगे बढ़ रहा है से लेकर उनकी पसंद को प्रभावित करने वाले कारक क्या हैं।
आंकड़ों की राजनीति
यहां यह कहना जरूरी है कि हर देश एक जैसा नहीं होता है और कई कारक हैं जो उनमें विविधता लाते हैं, जैसे कि किसी देश में कितने विश्वविद्यालय हैं जैसे आंकड़े से लेकर यह भी कि ये विश्वविद्यालय कितने पुराने और कितने उच्च रैंक वाले हैं। इसके पीछे संख्या से गुणवत्ता का अनुपात काम करता है। कई अन्य कारक ऐसे हैं जिन्हें नजरअंदाज नहीं कर सकते जैसे कि आज अधिक टेक्नोलाॅजी प्रधान कोर्स ट्रेंड में हैं, और इस संदर्भ में आयरलैंड जैसे देश जिसमें विश्वविद्यालय कम हो सकते हैं लेकिन दुनिया के आईटी फर्मों के लिए यह यूरोप का गढ़ है। इसलिए आंकड़ों पर आंख मूंदकर भरोसा करना उचित नहीं है बल्कि संपूर्ण अनुभव को महत्व देना होगा जो एक डिग्री लेने के दौरान व्यावहारिकता और शिक्षा के संदर्भ में छात्रों को मिलता है।
इसलिए यदि कोई छात्र आंकड़ों का आकलन करता है, तो यह ध्यान रखे कि 4,00,000 से अधिक छात्र उच्च शिक्षा के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका गए हैं और इन छात्रों को लगभग 3,982 डिग्री प्रदान करने वाले पोस्ट सेकेंडरी संस्थानों में जगह मिली है।
वहीं ब्रिटेन के 130 विश्वविद्यालयों में 55,000 से अधिक छात्र पढ़ रहे हैं। एक नजर में यूके का आंकड़ा कम लग सकता है, लेकिन तुलना कर देखें तो अधिक छात्रों ने यूके को प्राथमिकता दी। इसलिए किसी छात्र को अपने सपने का विश्वविद्यालय चयन करते समय आंकड़ों की इस राजनीति को समझना होगा ना कि भीड़ के पीछे चलना होगा।
उपलब्ध स्रोत और संसाधन
दुनिया के कई देशों ने छात्रों की उम्मीद से बढ़कर अपनी प्रतिष्ठा बनाई है क्योंकि यूके, कनाडा या ऑस्ट्रेलिया जैसे प्रचलित देशों के अलावा छात्र आयरलैंड जैसे विकल्प भी तलाश रहे हैं। हालाँकि इन सभी देशों में केवल एक चीज है उनका संसाधन सम्पन्न होना जो शिक्षा की गुणवत्ता, अनुसंधान की अधिकता, जीवंत परिवेश, विदेशी लोगों का स्वागत्, यातायात की सुविधा और विश्वस्तरीय उद्यमों के साथ उस देश के संबंध का प्रतीक है। कुछ अन्य बुनियादी संसाधन हैं जो विदेश में पढ़ने के इच्छुक छात्र पसंद करते हैं जैसे पढ़ाई के साथ कमाई, स्वास्थ्य सेवा, पढ़ाई के दौरान देश के समृद्ध इतिहास और संस्कृति को देखने का अवसर और प्रोफेशनल अवसर आदि। विदेश आगमन से पहले और बाद में सहायता की सुविधा जैसे चिकित्सा बीमा, शैक्षणिक सहायता, सांस्कृतिक उत्सव और शिक्षाप्रद कार्यशालाएं आदि।
पूरी दुनिया के प्राचीन और उच्च रैंक वाले विश्वविद्यालय
अपने बैकग्राउंड के हिसाब से कोर्स चुनने के बाद आप सर्वश्रेष्ठ विश्वविद्यालयों से मनपसंद चुनने के लिए तैयार हैं। इसके लिए सबसे पहले आप रैंकिंग को चिह्नित कर लें और पूरी दुनिया में संस्थान की प्रतिष्ठा का मूल्यांकन करें। क्यूएस वल्र्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग 2024 के आंकड़ों को देख कर कोई भी उन संभावित संस्थानों की सूची बना सकता है जो अकादमिक अनुसंधान से लेकर शैक्षणिक संरचना तक हर मायने में उत्कृष्टता के प्रतीक हैं।
निम्नलिखित चार्ट में देखें पूरी दुनिया के कुछ सबसे पसंदीदा विश्वविद्यालय जिनकी पूरे विश्व में प्रतिष्ठा है।
यूके यूएसए जर्मनी कनाडा ऑस्ट्रेलिया आयरलैंड
कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय – दूसरा
मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट टेक्नोलॉजी – पहला
टेक्निकल युनिवर्सिटी म्यूनिख – 37 वां
टोरंटो विश्वविद्यालय – 21वाँ
मेलबर्न विश्वविद्यालय – 14वां
ट्रिनिटी कॉलेज डबलिन – 81वां
ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय – तीसरा
हार्वर्ड विश्वविद्यालय – चैथा प्राचीन
लुडविग-मैक्सिमिलियंस-यूनिवर्सिटी म्यूनिख-54वीं मैकगिल यूनिवर्सिटी-30वीं
न्यू साउथ वेल्स विश्वविद्यालय – 19वाँ
इंपीरियल कॉलेज लंदन – छठा
स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी – 5वीं
यूनिवर्सिटी हीडलबर्ग – 87वीं
यूनिवर्सिटी ऑफ ब्रिटिश कोलंबिया – 34वीं
यूनिवर्सिटी ऑफ सिडनी – 19वीं
यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन – 9वीं
कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय – 10वीं
फ्रेइ यूनिवर्सिटेट बर्लिन – 98वां
ऑस्ट्रेलियाई राष्ट्रीय विश्वविद्यालय – 34वां
एडिनबर्ग विश्वविद्यालय- 22वां
शिकागो विश्वविद्यालय – 11वां
मोनाश विश्वविद्यालय – 42वां
हालाँकि आजकल छात्र क्यूएस रैंकिंग के मुख्य बिन्दुओं जैसे सस्टेनेबलिटी के मैट्रिक्स, अंतर्राष्ट्रीय अनुसंधान और रोजगार योग्यता तक अपनी खोज सीमित नहीं रखते हैं बल्कि अन्य कारकों पर भी ध्यान देते हैं जैसे संस्थानों की उत्कृष्टता का दीर्घकालिक इतिहास आदि। ऑक्सफोर्ड और कैम्ब्रिज जैसे नाम दुनिया के 5 सर्वोपरि स्थानों में होने के कारण ना केवल उच्च रैंकिंग पर है, बल्कि उनकी प्रामाणिकता भी प्रभावी है, क्योंकि ये पारंपरिक और समकालीन के बीच संतुलन बना लेते हैं और उनके मानक इतने ऊंचे हैं कि दुनिया अनुसरण करती है। इस संदर्भ में सदियों पुराने ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय और कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय को देख सकते है। अन्य सदियों पुराने विश्वविद्यालयों में हार्वर्ड, लुडविग-मैक्सिमिलियंस-यूनिवर्सिटैट मुन्चेन और ट्रिनिटी कॉलेज डबलिन जैसे बड़े नाम हैं।
उच्च शिक्षा का अनुभव
विदेश में पढ़ने की संभावना से रोमांच, घबराहट और उत्तेजना का अनुभव सब एक साथ होता है। हम एक नई संस्कृति में रचने-बसने, विभिन्न पृष्ठभूमि के लोगों से मिलने और अपरिचित स्थानों से गुजरने के लिए तैयार होते हैं। वहां की जिन्दगी में ढलना, उनकी भाषा बोलना जैसी चुनौतियां रहती हैं। पहले तो सब काफी मुश्किल लग सकता है। हालाँकि जैसे-जैसे नए शेड्यूल की आदत हो जाती है सीखने का असली दौर शुरू होता है।
हर दिन लेक्चर, असाइनमेंट, कोलैबोरेटिव प्रोजेक्ट और रिसर्च रोजमर्रा बन जाता है और छात्र सहज हो जाते हैं। हमारा मानना है कि छात्रों के लिए हर ‘कैसे, क्या और क्यों’ को समझना आवश्यक है। प्रश्नावली में यह शामिल हो सकता है कि मैं कैसे सीखूंगा, मैं क्या सीखूंगा, मुझे कौन पढ़ाएगा और मार्गदर्शन देगा, मेरे करियर की संभावनाएं क्या होंगी और विश्वविद्यालय मुझे कैसे सहयोग देगा।
एक बार इन सभी प्रश्नों के ठोस उत्तर मिल जाएं और ऐसी अन्य चिंताएं दूर हो जाएं फिर एक छात्र के तौर पर आप समझ जाएंगे कि आपकी सही जगह कहां हैं और आपके लिए सबसे अच्छा क्या है। इसके अतिरिक्त, जिन पहलुओं को प्राथमिकता दी जा सकती है उनमें रोजगार अनुपात, सांस्कृतिक और पढ़ाई के अतिरिक्त गतिविधियों का दायरा और कॉलेज उत्सव और शैक्षणिक कार्यक्रम शामिल हैं। साथ ही, कोर्स की आवश्यकता के अनुसार सेमिनार और कार्यशालाओं, प्रयोगशालाओं और पुस्तकालयों और कोलैबरेटिव प्रोजेक्ट और कार्य क्षेत्र के दौरे छात्रों का अनुभव बढ़ाते हैं। गौरतलब है कि अंतर्राष्ट्रीय विश्वविद्यालयों में पढ़ाई कक्षा की चारदीवारी के बाहर भी होती है।
भाषा, संस्कृति और जीवनशैली का लाभ उठाना
भारत एक बहुभाषी देश है। यहां के लोग अंग्रेजी भाषा के माध्यम से सब से संवाद करने में सक्षम हैं। कभी यह भाषा हम पर हुकूमत करती थी और आज इस भाषा पर हमारा अधिकार है। बचपन से इसे सीखना और जीवन भर उपयोग करना भारतीय जीवनशैली का हिस्सा बन गया है। इसलिए भारतीय छात्र अंग्रेजी भाषाई देशों की ओर रुझान रखते हैं। ऐसे में यूके, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और संयुक्त राज्य अमेरिका जैसे देश उनके चार्ट में सबसे ऊपर हैं।
एक ओर भाषा एक भावनात्मक पहलू है तो दूसरी ओर विदेशी शिक्षा के लिए देश शॉर्टलिस्ट करने में उस देश का सांस्कृतिक महत्व भी कम नहीं है। आज के युवा अमेरिकी सपने सच करने की इच्छा रखते हैं या फिर राॅयल स्ट्रीट पर घूमने की, इसलिए उनकी पसंद के देश की पारंपरिक छवि भी मायने रखती है।
हम विविध संस्कृतियों और जीवन शैलियों को देखते हुए एक नए वातावरण में रहने को लेकर भावनात्मक उथल-पुथल से गुजरते हैं। कोई व्यक्ति जब अपनी संस्कृति से दूर चला जाता है और एकांत रह जाता है तो उसमें परस्पर आश्रित दुनिया के रीति-रिवाजों, इतिहास और राजनीति को लेकर मानसिक खुलापन विकसित हो जाता है। धीरे-धीरे विभिन्न संस्कृतियों को समझते, सहयोग कौशल विकसित करते और विविध जीवन शैलियों को स्वीकार करते हुए वह सीख जाता है कि हमारा जीवन किसी व्यक्ति की मान्यताओं और सीमाओं से नहीं बंधा है। अब उनका ध्यान अधिक वैश्विक मुद्दों और तेजी से बदलते परिदृश्य की ओर जाता है जिसमें तेजी से विकास की संभावना छिपी है। यहां तक कि वर्तमान दौर के उद्यम सीमाएं खींचकर नहीं बल्कि सीमाएं मिटा कर प्रगति करना चाहते हैं इसलिए ऐसे उम्मीदवारों को पहले चुनते जिनके पास वैश्विक अनुभव है।
शांति और सुरक्षा
जब भी, हम नस्लवाद, सांस्कृतिक हमलों या जब-तब गोलीबारी की खबरें सुनते हैं तो डर से सिहर जाते है और ऐसी कई घटनाएं हमारे विवेक की परीक्षा लेती हैं। संयुक्त राज्य अमेरिका, न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में भी अपराध बढ़ने से उच्च शिक्षा के लिए देश चुनते समय लोग अधिक सतर्क हो रहे हैं। ऐसी स्थिति में अपने बच्चे को इन देशों को भेजते समय सुरक्षा की चिंताएं सामने आती हैं। इन मामलों में आयरलैंड या डेनमार्क जैसे देश सबसे सुरक्षित हैं, क्योंकि विश्व शांति सूचकांक में वे शीर्ष पर हैं। हालाँकि, यहाँ विचार करने वाली बात यह है कि शांतिपूर्ण होने के साथ-साथ क्या शिक्षा के प्रति उनका दृष्टिकोण भी छात्रों के लिए कारगर है।
भारतीय छात्रों की चेकलिस्ट
ऐसे देश में जहां विदेश में पढ़ना सफलता की कुंजी मानी जाती है, वहां प्रोफेशनल स्किल्स में निवेश करना जरूरी है। तदनुसार छात्रों ने अपने शोध के मंत्र और अपनी चेकलिस्ट बना ली है। हाल के कुछ शोध बताते हैं कि भारतीय छात्र कई कारकों को सर्वोपरि मानते हैं जैसे खर्च, लोकेशन और पीआर। इसके अलावा छात्रवृत्ति, रहने की लागत और कॅरियर सेवाएं जैसे कारक भी उन्हें नाप-तौल कर निर्णय लेने में मदद करते हैं। इस चेकलिस्ट के परिणामस्वरूप कई विचारनीय बिन्दु सामने आते हैं जैसे कोर्स की मान्यता, विश्वविद्यालय के सहयोग करार, कोर्स की व्यापकता और रोजगार दर आदि।
विदेश में पढ़ने के लिए उचित संस्थान चुनते समय छात्रों के लिए एक अन्य महत्वपूर्ण कारक ग्रेजुएट वीजा रूट है। इस मार्ग से उन्हें उद्योग जगत का मूल्यवान अनुभव मिल सकता है और वैश्विक स्तर पर प्रचलित नवीनतम रुझानों और प्रौद्योगिकियों से अवगत होने का अवसर भी मिल सकता है।
जहाँ तक उद्योगों की बात है
आज की विश्व व्यवस्था एकीकृत होने के साथ-साथ यूनिक भी है, क्योंकि प्रत्येक देश की अपने कुछ उद्योगों के लिए विशेष प्रतिष्ठा है। करियर का चयन करते समय छात्रों को ग्रोथ और सफलता के अपने सपनों का आकलन करने और उन उद्योगों को जानने की आवश्यकता होती है जो इन उद्देश्यों के अनुरूप हैं। तदनुसार उन्हें उद्योग के केंद्र और उसके वैश्विक प्रभाव का शोध करना महत्वपूर्ण है। उदाहरण के लिए यदि कोई छात्र फाइनैंस में रुचि रखता है, तो लंदन का फाइनैंशियल डिस्ट्रिक्ट संबद्ध उद्योग प्रमुखों व प्रतिष्ठित फर्मों के साथ काम करने का पर्याप्त अवसर देगा। अपने विचारों को विराम देते हुए मुझे यह कहना है कि छात्र किसी शैक्षणिक संस्थान का चयन करते समय यह जरूर ध्यान दें कि वे जो पेशा चुनते हैं उसमें उन्नति की संभावना और सहयोग कितना अधिक है।