जो करते रहोगे भजन धीरे धीरे तो मिल जाएगा वो सजन धीरे धीरे : प्रेम भूषण महाराज

 
– पंडाल में श्रीराम कथा सुनने वाले राम भक्तों की उमड़ रही है भीड़


मैनपुरी। भगवान बिना बताए ही प्रकट हो जाते हैं, इसलिए सदैव तैयारी रखो। भगवान् ना जाने किस रूप में मिल जायें। किसी भी देश, वेश एवं परिवेश में रहो भगवान का स्मरण करते रहो। किसी का प्रिय बनने के लिए ढलना एवं गलना पड़ता है। रामजी के दरबार में प्रवेश करने के लिए हनुमानजी की शरण तो लेनी ही पड़ेगी। ये विचार अयोध्या के ख्यातनाम कथागायक प्रेमभूषण महाराज ने सुदिती ग्लोबल एकेडमी में आयोजित नौ दिवसीय श्रीरामकथा महोत्सव के पांचवे दिन कथागायन करते हुए व्यक्त किए।

 
प्रेमभूषण महाराज के मुखारबिंद से श्रीराम कथा गायन शुरू हुआ तो पूरा पांडाल भक्ति के रस में डूब सा गया। कथा में पांचवे दिन भगवान के धनुष भंग एवं सीता-रामजी के विवाह प्रसंग की चर्चा हुई। ‘हम रामजी के रामजी हमारे है सेवा ट्रस्ट’ के बैनरतले कथागायन करने वाले प्रेमभूषण महाराज ने कहा कि आपके ह्दय में क्या है ये भगवान को बताने की जरूरत नहीं वह तो सबके हृदय में वास करते है। मां भगवती और भगवान सब जानते हैं कि किसके मन में क्या है। भोजन प्रसाद बन जाए तो समझ लेना लक्ष्य की पूर्ति हो गई। उन्होंने कहा कि जीव भाव समाधि में चला जाता है तो क्रिया का लोप हो जाता है। इसमें साधक और सहज जीव को विस्मरण हो जाता है। आनंद में रहिए समय का पता ही नहीं चलेगा। वाणी को बहुत मधुर रखना चाहिए। जितना विन्रम रहेंगे उतना ही लोग अधिक स्नेह करेंगे। हमेशा नम्र एवं शीलवान रहना चाहिए, किसी को भी छोटा नहीं माने, सूर्य का छोटा सा गोला पूरे विश्व को प्रकाशित करता है।

 
उन्होने भगवान राम-जानकी के विवाह प्रसंग का गायन किया तो पूरा माहौल जय सियाराम के जयकारों से गूंज उठा और हर्षित होकर भक्तगण झूमने लगे। भगवान राम एवं सीताजी के विवाह का उत्सव मनाने के लिए मंच पर झांकी भी सजाई गई। इस प्रसंग के दौरान पूरा माहौल उत्सवी हो गया। बधाईयां गूंजने लगी और सीतारामजी की जय-जय हर तरफ होने लगी। कई श्रद्धालु राम-जानकी विवाह की खुशियां मनाने के लिए जमकर नृत्य करने लगे। प्रेमभूषण महाराज ने कहा कि मनुष्य की समस्या है कि वह वही समझता है जो उसे समझना है। कायदे की नहीं फायदे की बात समझता है। जो कायदे की बात समझ जाएगा वह फायदे में रहेगा। जो ब्रह्म वेला में उठ नहीं सकता उसे ब्रह्म (भगवान) के दर्शन हो नहीं सकते। इसलिए सुबह जल्दी उठो और उठाओ। पूज्य वेदव्यास महाराज पुराणों में सब लिख गए है कि कैसे उठना है, बोलना कैसे है, चलना कैसे है। व्यक्ति के चलने से उसके स्वभाव का पता चलता है। जुगाड से कोई बड़ा नहीं बनता, तपश्चर्या ही मनुष्यों को बड़ा बनाती है।


इससे पूर्व प्रेमभूषण महाराज के व्यास पीठ पर विराजित होने से पहले व्यासपीठ की विधिवत पूजा की गई। उनके व्यास पीठ पर विराजने के बाद कथा संयोजक डॉक्टर राम मोहन, डॉक्टर कुसुम मोहन, डॉक्टर अजय पाल सिंह एवं सुशीला, कुसुम, डॉ आनंद, डॉ नीलम, कमलेश दीक्षित पुलिस अधीक्षक मैनपुरी, मनोज कुमार वर्मा जिला विद्यालय निरीक्षक एवं परिवार, संतोष कुमार सिंह, सी. ओ. सिटी, मैनपुरी, यशपाल सिंह एवं परिवार, संदीप जोशी एवं परिवार, कमल कालरा, महानिधि स्टोर, टिंकू गुप्ता एवं परिवार आदि ने प्रेमभूषण महाराज को माला पहनाकर और व्यासपीठ का पूजन कर उनका आशीर्वाद लिया।


कथा सत्र के समापन की आरती में मुख्य यजमान के साथ रमेश चंद्र पाण्डेय, डॉ केशव कपूर, हरी बाबू गुप्ता, डॉ सुमंत गुप्ता, बीनू बंसल, वीर सिंह भदौरिया, अशोक गुप्ता, आदित्य जैन, अरविन्द तोमर, डॉ राकेश गुप्ता, सुखदेव शर्मा, राघव पचोरी, महेश मिश्रा, चंद्र प्रकाश पांडे, गोपी अग्रवाल, सतेंद्र मिश्रा, प्रमोद दुबे बाबाजी आदि मौजूद थे। हम राम जी के राम जी हमारे हैं सेवा ट्रस्ट के मीडिया प्रभारी तारकेश्वर मिश्रा ने सभी राम भक्तों का स्वागत किया। श्रीराम कथा का गायन शहर के सुदिती ग्लोबल एकेडमी प्रांगण में 8 अक्टूबर तक प्रतिदिन दोपहर 3.30 बजे से शाम 7.00 बजे तक हो रहा है।

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