- लोकप्रियता : प्रचार के दौरान निरहुआ की सेल्फी लेने के लिए लग रहा है तांता
- अखिलेश : गठबंधन का मुख्य आधार मुस्लिम, अनुसूचित, यादव बिरादरी की बड़ी है आबादी
- आजमगढ़ की सीट सपा कभी बसपा के खाते में रही 2009 में भाजपा की टिकट पर रमाकांत ने खिलाया था कमल
विधानसभा चुनाव में आजमगढ़ को छोड़कर पूर्वांचल की ज्यादातर सीटों पर भाजपा उम्मीदवार को मिली थी जीत
अखिलेश को जहां गठबंधन के परंपरागत वोट, वहीं निरहुआ को राष्ट्रभक्ति पर चुनाव जीतने का भरोसा
वरूण सिंह / अंंजय यादव
आजमगढ़ : समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव का आजमगढ़ सदर सीट से भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार भोजपुरी फिल्म के स्टार दिनेश लाल यादव उर्फ निरहुआ है । अखिलेश यादव को जहां महागठबंधन के परंपरागत दलित, मुस्लिम व यादव बिरादरी के वोटों पर अपनी जीत का भरोसा है । वही भाजपा के उम्मीदवार दिनेश लाल यादव उर्फ निरहुआ को राष्ट्रभक्ति व प्रधानमंत्री द्वारा कराए गए विकास के कार्यों के बदौलत जीत मिलने की उम्मीद है । आजमगढ़ सीट पर अखिलेश यादव के पिता मुलायम सिंह यादव सांसद हैैं । वर्ष 1996 से आजमगढ़ सीट कभी सपा कभी बसपा के खाते में रही है । 2009 के लोकसभा चुनाव मेंं भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर रमाकांत यादव आजमगढ़ में कमल खिला चुके हैं ।
देखा जाए विधानसभा के चुनाव में आजमगढ़ की दस विधानसभा की सीट में मात्र भाजपा एक सीट के साथ पूर्वांचल में जबरदस्त जीत हासिल की थी । अखिलेश यादव पर्चा दाखिल करने के बाद अपनी चुनावी सभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर गठबंधन के सवाल पर निशाना साधते हुए कहा था कि भाजपा का अड़तीस दलों से गठबंधन है । इसमेंं महान मिलावट कहां तक होगी इसका जनता को पता नहीं है । कहा था कि गठबंधन महा परिवर्तन वाला गठबंधन है । भाजपा प्रत्याशी दिनेश लाल यादव उर्फ निरहुआ आजमगढ़ में काफी लोकप्रिय है । लोकप्रियता का आलम यह है कि निरहुआ की सभाओं में लोगों का सेल्फी लेने का ताता लगा रहता है ।
निरहुआ लोगों से कहता है कि जब तक अखिलेश यादव के पिता ने साइकिल की सवारी किया तब तक हम साथ रहे । जब से अखिलेश यादव साइकिल की सवारी करते हुए हाथी को पीछे बैठा कर पाकिस्तान की तरफ जाने लगे तब से मैंने अखिलेश यादव का साथ छोड़ दिया । निरहुआ जनता से कहता है कि अगर हमारे माता पिता भी देश के खिलाफ बोलने का कार्य करेंगेेेे तब हम अपने माता-पिता को भी छोड़ देंगेंं । निरहुआ करता है जब अखिलेश यादव प्रधानमंत्री की रेस में नहीं है तो उन्हें राहुल गांधी को मेरे खिलाफ आजमगढ़ से चुनाव लड़ना चाहिए था ।