
–श्रीमद्भागवतकथाकासातवांदिन
भास्कर न्यूज
बांदा। श्रीमद् भागगत कथा के सातवें दिन कथा व्यास विनोद शुक्ल वैदिक ने सुदामा की दीन दशा का मार्मिक वर्णन किया।उन्होंने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण और सुदामा की दोस्ती ने दुनिया को यह संदेश दिया कि राजा हो या रंक दोस्ती में सब बराबर होते हैं। सुदामा से भगवान ने मित्रता का धर्म निभाया और दुनिया को संदेश दिया कि जिसके पास प्रेम धन है, वह निर्धन नहीं हो सकता। कथा के अंतिम दिन श्रोताओं की खूब भीड़ उमड़ी।
शहर के मोहल्ला धीरज नगर में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के सातवें दिन कथा व्यास ने कहा कि जबक मित्रता निजी स्वार्थों से ऊपर उठकर की जाती है तो वह मिसाल बन जाती है। कृष्ण और सुदामा की मित्रता भी ऐसी थी, जिसमें वे कुछ लेना नहीं बल्कि देना चाहते थे। गरीबी में जीवनयापन कर रहे सुदामा जानते थे कि उनका मित्र तीनों लोकों का स्वामी है और यदि वह कुछ मांगेंगे तो मित्र कृष्ण कभी इन्कार नहीं करेंगे। सुदामा जीवन पर्यंत गरीबी का दर्द सहने को तो तैयार थे, लेकिन उन्हें अपने मित्र के आगे हाथ फैलाकर मित्रता को कलंकित करना गवारा नहीं था। लेकिन पत्नी सुशीला की जिद के आगे उनकी एक न चली। चार मुट्ठी चावल की पोटली कांख में दबाकर वे दीन-हीन दशा में मित्र द्वारिकाधीश से मिलने चल दिये। द्वारपाल ने सुदामा की वेशभूषा देख यह मानने से इन्कार कर दिया कि द्वारिकाधीश उनके मित्र हो सकते हैं, लेकिन जब द्वारिकाधीश श्रीकृष्ण के आगे द्वारपाल ने सुदामा की दीनदशा का वर्णन किया और सुदामा का नाम बताया तो द्वारिकाधीश नंगे पांव ही मित्र से मिलने को दौड़ पड़े। बचपन के मित्र को गले लगाकर भगवान श्रीकृष्ण सुदामा को राजमहल में ले गए और सुदामा को अपने सिंहासन पर बैठाकर स्वयं नीचे बैठकर अपने हाथों से उनके पांव पखारे। कथा व्यास ने कहा कि सुदामा से भगवान ने मित्रता का धर्म निभाया और दुनिया को संदेश दिया कि जिसके पास प्रेम धन है, वह निर्धन नहीं हो सकता। राजा हो या रंक मित्रता में सभी समान हैं, क्योंकि इसमें कोई भेदभाव नहीं होता। कथा परीक्षित सावित्री व चंद्रभूषण पांडेय ने बताया कि गुरुवार को पूर्णाहुति के साथ भंडारे का आयोजन होगा। भागवत कथा में श्रीकांत पांडेय, वेद प्रकाश, ओम पांडेय, शशि भूषण द्विवेदी, नरेंद्र सिंह नन्ना, ममता, काजल, सविता, सरिता आदि उपस्थित रहे।