अध्ययन में खुलासा : उत्तर भारत में सबसे ज़्यादा है हेपेटाइटिस सी का प्रकोप

नई दिल्ली: उत्तर भारत में हेपेटाइटिस सी (एचसीवी) वायरस का संक्रमण सबसे अधिक है. पिछले कुछ सालों में लिए गए 10 लाख से अधिक नमूनों में पानी से फैलने वाला हेपेटाइटिस ई वायरस भारत में वायरल हेपेटाइटिस का सबसे आम प्रकार (24 फीसदी) है. इसके बाद हेपेटाइटिस ए का वायरस 11 फीसदी मामलों में पाया गया. ये आंकड़े जनवरी 2015 से जून 2018 के बीच देश भर की एसआरएल प्रयोगशालाओं में किए गए परीक्षणों पर आधारित हैं.

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उत्तरी भारत में अधिक है प्रकोप 

देश की प्रमुख डायग्नॉस्टिक्स चेन एसआरएल डायग्नॉस्टिक्स द्वारा वायरल हेपेटाइटिस (ए,बी,सी और ई) पर किए गए विश्लेषण से यह खुलासा हुआ है. इस विश्लेषण से पता चलता है कि हेपेटाइटिस सी वायरस (एचसीवी) का संक्रमण उत्तरी भारत में अधिक है. हेपेटाइटिस सी का संक्रमण लिवर को प्रभावित करने वाले वायरस के कारण होता है. इसमें धीरे धीरे लिवर को इतना नुकसान पहुंचता है. जिससे लिवर अपने सामान्य कार्यो को नहीं कर पाता.

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दुनिया भर में 40 करोड़ लोग इस बीमारी से पीड़ित

हेपेटाइटिस के बारे में बात करते हुए एसआरएल डायग्नॉस्टिक्स के टेक्नोलॉजी एंड मेटंर (क्लिनिकल पैथोलोजी) के अध्यक्ष डॉ अविनाश फड़के ने कहा, ‘दुनिया भर में 40 करोड़ लोग इस बीमारी से पीड़ित हैं. इसमें हेपेटाइटिस ई और हेपेटाइटिस वायरस के संक्रमण में हाइजीन और सेनिटेशन की भूमिका महत्वपूर्ण होती है. वहीं हेपेटाइटिस बी और हेपेटाइटिस सी के प्रसार में जीवनशैली और जागरूकता की भूमिका बहुत अधिक है’.

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हेपेटाइटिस 16-45 आयुवर्ग के युवाओं को अधिक

अध्ययनों से यह भी पता चला है कि चारों प्रकार के वायरल हेपेटाइटिस 16-45 आयुवर्ग के युवाओं को अधिक प्रभावित करते हैं. पानी से फैलने वाले हेपेटाइटिस ई और हेपेटाइटिस ए के वायरस आमतौर पर 16-30 आयु वर्ग के लोगों में अधिक पाए जाते हैं. जबकि हेपेटाइटिस सी का संक्रमण 31-60 आयुवर्ग के लोगों में अधिक पाया जाता है. वहीं हेपेटाइटिस बी के मामले 16 से 85 वर्ष यानी लगभग सभी आयुवर्गो में दर्ज किए जाते हैं.

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गर्भवती महिलाओं और क्रोनिक लिवर रोगों से पीड़ित मरीजों में एचईवी की संभावना

भारत में एचईवी एक्यूट स्पोरेडिक हेपेटाइटिस के 30 से 70 फीसदी मामलों का कारण है. यह एक्यूट लिवर फेलियर का भी सबसे बड़ा कारण है. गर्भवती महिलाओं और क्रोनिक लिवर रोगों से पीड़ित मरीजों में एचईवी की संभावना बहुत अधिक होती है. एचबीवी की बात करें तो 4 फीसदी आबादी इस रोग की वाहक है. यानी 4 करोड़ लोग क्रोनिक एचबीवी से पीड़ित हैं. साथ ही क्रोनिक लिवर रोगों के 50 फीसदी मामलों का कारण एचबीवी और 20 फीसदी मामलों का कारण एचसीवी संक्रमण है.

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हेपेटाइटिस के कारण हर साल 14 लाख मौतें

दुनिया भर में आंकड़े लगभग एक समान हैं. वायरल हेपेटाइटिस रिपोर्ट (2016-2021) पर विश्व स्वास्थ्य संगठन की ग्लोबल हेल्थ स्ट्रैटजी के अनुसार दुनिया भर में हर साल संक्रमण के 60 लाख से एक करोड़ नए मामले सामने आते हैं. इसके अलावा वायरल हेपेटाइटिस के कारण हर साल 14 लाख मौतें होती हैं. जिनका कारण एक्यूट संक्रमण, हेपेटाइटिस के कारण लिवर कैंसर और सिरोसिस हो सकता है.

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विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट के अनुसार इन मौतों में 48 फीसदी मामले हेपेटाइटिस सी, 47 फीसदी मामले हेपेटाइटिस बी वायरस के कारण होते हैं. बाकी मामलों का कारण हेपेटाइटिस ए और हेपेटाइटिस ई वायरस होता है. दुनिया भर में लगभग 25.7 करोड़ लोग क्रोनिक हेपेटाइटिस बी वायरस के संक्रमण से पीड़ित हैं.

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