
खाकी का भी हिसाब नहीं रखा बाकी
-मायावती की तर्ज पर की अफसरों पर कार्रवाई
-पन्द्रह आईपीएस अधिकारियों को किया निलंबित
-योगेश श्रीवास्तव
लखनऊ। चार साल पूरा करने जा रही योगी आदित्यनाथ सरकार ने अपने अब तक के कार्यकाल में जहां अपराधियों माफियाओं पर कहर बरपाया वहीं उन्होनें खादी के साथ खाकी को भी उनके द्वारा की गयी गल्तियों दंडित करने मे कोई कोताही नहीं बरती। एक ओर जहां उन्होने विधायक विजय मिश्र,मुख्तार अंसारी आजम खां के अलावा पूर्व सांसद अतीक अहमद पर कड़ी कार्रवाई करके एक बड़ा संदेश दिया वहीं कानून के रखवालों को भी उनकी की गयी गल्तियों पर कार्रवाई करनें में देर नहीं लगाई। मायावती के बाद योगी आदित्यनाथ ऐसे मुख्यमंत्री हुए जिन्होंने बड़े पैमाने पर आईपीएस अधिकारियों के खिलाफ न सिर्फ निलंबन कार्रवाई की बल्कि कुछ को अपनी कारगुजारियों के चलते जेल भी जाना पड़़ा।
किसी सरकार में यह पहला मौका है जब एडीजी स्तर के एक अधिकारी को संस्पेंड और निलंबित डीआईजी स्तर के दो आईपीएस अधिकारियों में एक को भगोड़ा घोषित कर उसके घर डुग्गी पिटवाई गयी ओर इनाम पचास हजार रखा गया। जबकि आईपीएस स्तर के पुलिस अधीक्षक स्तर के एक अन्य अधिकारी पर भी इनाम घोषित किया गया। संभवत: यह पहला मौका है जब आईपीएस स्तर के अधिकारी भगोड़े घोषित किए गए। हालांकि आईएएस और आईपीएस अधिकारियों को सबसे ज्यादा संस्पेंड करने का रिकार्ड मायावती के शासनकाल में दर्ज है। प्रदेश की योगी आदित्यनाथ की सरकार ने अपने कार्यकाल में अब तक आठ आईपीएस अधिकारियों को संस्पेंड किया तो कुछ आईपीएस अधिकारियों के खिलाफ आय से अधिक मामलें जांच के आदेश दिए। योगीसरकार अपने अब तक के कार्यकाल में पन्द्रह आईपीएस अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई कर चुकी है। योगी सरकार ने सत्तारूढ़ होने के बाद ही अपर पुलिसमहानिदेशक स्तर के अधिकारी जसवीर सिंंह को सरकार के खिलाफ सोशल मीडिया पर टिप्पणी करने पर निंलबित किया था।
पशुपालन घोटालें में दो डीआईजी किए संस्पेड
हाल में ही प्रदेश के चर्चित पशुपालन घोटाले में डीआईजी अरविंद सेन जिन पर पचास हजार का इनाम था और वे न्यायालय द्वारा भगोड़े घोषित थे। उनके घर के बाहर डुग्गी पिटवाकर कुर्की कार्रवाई की मुनादी भी करवाई गयी जिसके बाद अरविंद सेन ने न्यायालय में समर्पण किया तो उन्हे जेल भेज दिया गया। उन पर पशुधन घोटाले के आरोपियों को बचाने के एवज में पैतीस लाख की रिश्वत लिए जाने का आरोप था। इस मामलें में समर्पण करने और जेल जाने से पूर्व ही योगी सरकार ने आईपीएस अरविंद सेन को निलंबित कर दिया था। इसी मामलें दूसरे डीआईजी दिनेश चन्द्र दुबे का भी नाम था। दिनेश चन्द्र दुबे के खिलाफ इंदौर के व्यापारी के साथ पशुपालन विभाग में ठेका दिलाने के नाम पर करीब 9 करोड़ की हुई ठगी के बाद धमकाने के साथ इस घोटाले में शामिल होने की शिकायत की गई थी। मामलें की जांच एसटीएफ से कराई गयी। जिसमे कई आरोपियों को जेल भेजा गया। आरोप है कि रूल एंड मैन्युअल के पद पर रहते हुए डीआईजी दिनेश चन्द्र दुबे की भूमिका संदिग्ध पाई गयी थी। उन पर लगे आरोपो की पुष्टिï लेनदेन के मामलें मे की गयी बातचीत से हुई थी।
कानपुर के तत्कालीन एसएसपी पर गिराई गाज
बिकरू के विकास दुबे मामलें आठ पुलिसकर्मियों के मारे जाने से पूर्व बिकरू की घटना से पहले इस आशय की जानकारी वहं तत्कालीन एसएसपी अनंतदेव तिवारी को सूचना न दिए जाने के बाद भी कार्रवाई न करने उन्हे निलंबित कर दिया था। उनके निलंबन की सिफारिश एसआईटी की जांच कमेटी थी। बिकरू गोलीकांड में मारे गए आठ पुलिसकर्मियों में शामिल सीओ देवेन्द्र मिश्र ने पहले ही विकास दुबे की स्थानीय पुलिस से साठगांठ की जानकारी एसएसपी अनंतदेव तिवारी को दी थी लेकिन बावजूद इसके उन्होंने कोई कार्रवाई नहीं की थी।
कानपुर के एसएसपी रहे अनंत देव की ही तरह कानपुर साउथ में तैनात रहीं अपर्णागुप्ता के खिलाफ निलंबन की कार्रवाई हो चुकी है हालंाकि बाद में जीआरपी में एसपी पद पर तैनाती दे दी गयी। कानपुर के चर्चित संजीत यादव अपहरण कांड में उनके खिलाफ यह कार्रवाई हुई थी। अगवा किए गए लैब टेक्नीशियन संजीत यादव के हत्यारों को पकडऩे मे ंनाकाम रहने पर और अपहरणकर्र्र्ताओं द्वारा तीस लाख लेकर फरार हो जाने के मामलें में अपर्णा गुप्ता को निलंििबत कर दिया गया था। मामलें की गंभीरता तब और बढ़ गयी जब पुलिस की उपस्थिति में अपहरणकर्ता तीस लाख की रकम लेकर फरार हो गए और पुलिस हांथ मलती रह गयी। इस मामलें में निलंबित होने के बाद में अपर्णा गुप्ता को एसपी रेलवे के पद पर तैनात किया गया।
रात में अंतिम संस्कार कराना पड़ा महंगा
हाथरस के चर्चित रेप और हत्याकांड मामलें में पीडि़ता का जबरन उसके परिजनों के विरोध के बावजूद रात में ही संस्कार कराए जाने तथा रेप की घटना से इंकार किए जाने पर वहां एसपी रहे विक्र ांतवीर को निलंबित कर दिया गया था। हाथरस के चर्चित मामलें योगी सरकार ने सीबीआई जांच की सिफारिश की गयी थी जिसमें पुलिस की भूमिका पर सवाल खड़े किए गए थे। इस मुद्दे पर लखनऊ से दिल्ली तक काफी घमासान मचा था। इसी मामलें हाईकोर्ट ने सरकार से वहां के डीएम को न हटाए जाने का कारण पूछा था। हालांकि बाद में उन्हे भी वहां से हटा दिया गया था।
महोबा के एसपी हुए भगोड़ा इनाम घोषित
महोबा में एसपी रहे मणिलाल पाटीदाार को भी आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोप में निलंबित किया गया। पाटीदार पर महोबा के क्रशर व्यापारी इंद्रकांत त्रिपाठी को आत्महत्या करने के लिए उकसाने के लिए मजबूर करने का आरोप था। निंलंबित होने पर एफआईआर होने के बाद वे फरार हो गए तो उन्हे भगोड़ा घोषित किया गया।
उनपर पचास हजार का इनाम भी है। सरकार ने उनके खिलाफ आय से अधिक मामलें की भी जांच करा रही है।
ट्रांसफर में वसूली में निपटे एसएसपी
प्रयागराज के वरिष्ठï पुलिस अधीक्षक अभिषेक दीक्षित द्वारा नियमों के विपरीत वसूली कर ट्रांसफर पोस्टिग किए जाने के आरोप सही पाए जाने पर उन्हे संस्पेंड कर दिया गया। अभिषेक दीक्षित पर इसी के साथ प्रयागराज मे ंकानून व्यवस्था न संभलपाने का भी आरोप था। महोबा के एसपी मणिलाल पाटीदार की ही तरह योगी सरकार ने अभिषेक दीक्षित की आय से अधिक मामलें में जांच करा रही है। बता दे दीक्षित तामिलनाडु कैडर के आईपीएस अधिकारी है प्रतिनियुक्ति पर प्रयागराज मे तैनात थे।
गोपनीय रिपोर्ट लीक करने में नप गए कप्तान
नोएडा(गौतमबुद्वनगर) के एसएसपी रहे वैभव कृष्णा के साथ एक महिला का वीडियो वायरल हुआ जिसको फर्जी बताते हुए उन्होंने स्वयं इस मामलें में प्राथमिकती दर्ज कराई थी लेकिन जब इसवीडियों की गुजरात से फारेंसिक लैब से जांच कराई गयी तो यह वीडियों सही पाया गया। इस मुद्दे को लेकर वैभव कृष्णा ने स्वयं प्रेसकाफ्रेंस कर स्वये शासन को भेजी गयी गोपनीय रिपोर्ट भी लीक किए जाने की जानकारी दी थी। जिसके बाद अश्लील वीडियो वायरल होने और गोपनीय रिपोर्ट लीक किए जाने को अधिकारी आचरण नियमावली का उल्लंधन किये जाने पर संस्पेंड कर दिया।
इन अधिकारियों पर गिरी गाज
इन अधिकारियों के अलावा जिन अधिकारियों के खिलाफ योगी सरकार ने गाज गिराई उनमें सहारनपुर के एसएसपी रहे सुभाष चन्द्र दुबे पर बवाल न नियंत्रण न कर पाने के आरोप में संस्पेंड किया। इसी तरह बाराबंकी के एसपी रहे सतीश कुमार को रिश्वतखोरी के आरोप में,प्रयागराज के एसपी अतुल शर्मा को कानून व्यवस्था सुधार न पाने, आरएम भारद्वाज के एसपी संभल रहते गैंगरेप पीडि़ता को जिंदा जलाए जाने के आरोप में प्रतापगढ़ में एसपी सतोष कुमार सिंह को कानून व्यवस्था के मोर्चे पर विफल रहने पर,एन.कोलांची को बुलन्दशहर के एसएसपी रहते तबादलों में अनियमित्ता बरतने पर,और हिमाशुं कुमार पर एक टिव़ट के चलते निलंबित किया गया था।