दुश्मन ने अगर बांध दिया है धंधा, करें ये सटीक उपाय, हो जाएगा पहले से भी बढ़िया

अधिकांश लोग यह कहते हुये नजर आते हैं कि पता नहीं हमारे धंधे को किसकी बुरी नजर लगी है कि व्यवसाय चल ही नहीं पा रहा है। लाभ की अपेक्षा हानि अधिक हो रही है अथवा यह कि पिछले दो महीनों से धंधे में अचानक रुकावट आ गई है। जिस गति से व्यवसाय चल रहा था, एक दम से गति अवरुद्ध हो गई है। शायद हमारे धंधे को किसी ने बांध दिया है।

आज विज्ञान का युग है जिसमें इन अप्रत्यक्ष क्रिया-कलापों और मान्यताओं को बड़ी कठिनाई से स्वीकार किया जाता है। इसका पता तब चलता है या आभास होता है जबकि कोई ऐसी कार्यप्रणाली अपनाई जाती है जो कि इन बंधनों से मुक्ति दिलाने से सम्बन्धित होती है, जिन्हें कि उत्कीलन की श्रेणी में लिया जा सकता है उनके अपनाते ही व्यवसाय में पुन: गति आती है, आय में वृद्धि होती है।

बाँधने की क्रिया को कीलन या स्तम्भन कहते हैं और बँधे हुये को मुक्त करने की क्रिया उत्कीलन कहलाती है। कीलन सकारात्मक और नकारात्मक रूप में दो प्रकार से प्रयोग में लिए जाते हैं, जैसे:-

किसी के कार्य व्यवसाय में विस्तार से अन्य लोगों को हानि हो रही हो तो कीलन की विशेष प्रक्रिया द्वारा उसके व्यवसाय की गति को रोक दिया जाता है, कील दिया जाता है या स्तम्भित कर दिया जाता है अथवा किसी स्थान पर जब भूत-प्रेत-पिशाच आदि का निवास हो जाता है या वे नित्य परेशान करें और पारिवारिक कलह अथवा व्यवसाय में हानि होने लगे तो कीलन की विशेष प्रक्रिया द्वारा उस स्थान का कीलन किया जाता है, जिससे ये तामसिक शक्तियाँ पुन: उस स्थान में प्रवेश नहीं कर पातीं किन्तु इस प्रकार के कीलन से पूर्व उत्कीलन की प्रक्रिया आवश्यक होती है मतलब कि किसी स्थान से इन अशुभ प्रभावों की रक्षा के लिये सर्वप्रथम उस स्थान को शुद्ध किया जाता है, दुष्प्रभावों से मुक्त किया जाता है। दुष्प्रभाव रहित स्थान का कीलन करने पर भूत-पिशाच आदि पुन: प्रवेश नहीं कर पाते। इन विधियों को क्षेत्ररक्षण की विधियाँ कहा जाता है। जैसे-

मामभिरक्षय रघुकुल नायक। धृत बर चाप रुचिर कर सायक।।

रामचरितमानस की इस चौपाई का बड़ा महत्व है। जाने-अनजाने में कभी आप किसी ऐसे स्थान पर पहुँच जायें जहां कि भूत-प्रेत-पिशाच आदि का अथवा विषैले जीव-जन्तुओं का भय हो। जैसे कि ठीक मध्यान्ह और ठीक मध्य रात्रि में अकेले किसी वीरान मार्ग पर मध्य में नहीं चलना चाहिए, वीरान चौराहे को पार नहीं करना चाहिये और ना ही कुछ मीठी वस्तु खाते हुये निकलना चाहिये, साथ ही स्त्रियों को श्रृंगार, सुगंध का प्रयोग  करके, खुले बालों से और मेंहंदी लगे हरे हाथों से अकेले नहीं गुजरना चाहिये और घर की मुख्य मोरी (नाला) पर लघु शंका का समाधान भी नहीं करना चाहिये। उपरोक्त कार्यों में मध्यरात्रि और मध्यान्ह का विशेष ध्यान रखा जाता है। लेकिन कोई परिस्थिति ही ऐसी बन जाये कि आपको आना या जाना ही पड़े अथवा किसी निर्जन पुराने स्थान पर अकेले शयन करना पड़े तो मानस की इस चौपाई का निरन्तर जाप और हनुमान जी का ध्यान, आपको आत्मबल प्रदान करता है। चाहे आप श्मशान में भी अकेले रहें तो भी कोई भूत-प्रेत आपका कुछ नहीं बिगाड़ सकता।

ऐसे ही व्यवसाय के बंधन खोलने के विषय मे कुछ प्रयोग बड़े कारगर सिद्ध होते हैं।

उत्कीलन का मंत्र

सर्वाबाधा प्रशमनं त्रैलोक्यस्याऽखिलेश्वरी।
एवमेव त्वया कार्यमस्मद्वैरिविनाशनम् ।।

श्री दुर्गा सप्तशती का यह मंत्र अत्यन्त प्रभावशाली है। कभी ऐसी अनुभूति हो कि व्यापार को किसी ने बँधा दिया है तो व्यापारिक प्रतिष्ठान पर प्रात: माँ दुर्गा का सिंह पर सवार कोई चित्र या मूर्ति स्थापित कर, घी का दीपक लगाकर, पीली सरसों के कुछ दाने बाँये हाथ में मुट्ठी बंद करके रखें और सीधे हाथ में रुद्राक्ष की माला को कपड़े से ढक कर, एकाग्र होकर उपरोक्त मंत्र का जाप करें। एक माला पूरी होने पर बाँये हाथ में रखे हुये सरसों के दानों को पूरे व्यापारिक स्थल पर दसों दिशाओं में बिखेर देवें। यह प्रयोग एक मास तक करने से कैसी भी बाधा व्यवसाय में आ रही हो दूर हो जाती है।

इस प्रयोग के अतिरिक्त एक प्रयोग और है जो कि इस प्रकार के व्यवसायिक बंधनों को खोलने में समर्थ है।

मंत्र
हनुमन् सर्वधर्मज्ञ, सर्वकार्य विधायक।
अकस्मादागतोत्पातं नाशयाशु नमोऽस्तुते।।
इस मंत्र का प्रयोग किसी व्यक्ति पर जो कि भूत-प्रेत या किये-कराये, अभिचार कर्म से ग्र्रसित हो उस पर, किसी मकान पर अथवा व्यापारिक प्रतिष्ठान, जिसको किसी शत्रु ने बँधा दिया हो, उसके बंधन तोडऩे में यह मंत्र अति प्रभावशाली सिद्ध होता है।

प्रयोग : पीडि़त स्थान पर प्रतिदिन इस मंत्र के 3000 जप करें, ग्यारह दिनों में 33000 जाप पूरे हो जाते हैं। जाप पूरे हो जाने पर 3300 आहुतियों से दशांश हवन या जाप करके, 33 ब्राह्मणों को भोजन कराया जाता है। ऐसा करने से अचानक आई विपत्तियाँ, व्यापारिक बाधाएं बहुत जल्दी समाप्त हो जाती हैं, निरन्तर अच्छी आय होने लगती है।

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