बिकरू हत्याकाण्ड में मारे गए विकास दुबे के घर आता है ‘भूत’. गाँव वालों में दहशत

कानपुर के चर्चित बिकरू काण्ड के बाद गांव में रहने वाले सूरज डूबते ही लोग जल्दी-जल्दी अपने घर लौट जाते हैं। घरों में लौटकर दरवाजे बंद कर लिए जाते हैं। कानपुर काण्ड का गवाह बिकरू गांव ने और यहाँ रहने वालों ने हाल के दिनों में सबसे भयानक खूनखराबा वाला सीन देखा है। गाँव में अब पहले की तरह लोग दिन में या शाम को बैठकर बातें नहीं करते हैं। सूरज डूबते ही एक भयानक सन्नाटा बिकरू को घेर लेता है।

बिकरू हत्याकांड को हुए लगभग ढाई महीने हो चुके हैं। इस काण्ड में आठ पुलिसकर्मी मारे गए थे। बिकरू के लोग आज भी पूरे विश्वास के साथ कहते हैं कि वे अब भी रात में गोलियों की आवाज सुनते हैं। और तो और, गाँव के लोगों ने विकास दुबे को यहाँ घूमते हुए भी देखा है। गांव के एक निवासी ने नाम न बताने कि शर्त पर बताया कि यहाँ के लोग आज भी गोलियों की चलती हुई आवाजें सुनते हैं और यह बात सब जानते हैं पर कहता बोलता कोई नहीं। 

कुछ लोगों ने तो पण्डिजी को देखने का दावा भी किया है। विकास दुबे के ध्वस्त हो चुके घर के बगल का परिवार का दावा है कि उन्होंने विकास दुबे को देखने के साथ कई तरह की आवाजें भी सुनी हैं। यहीं की एक महिला बताती हैं कि उसने कई बार खंडहर में लोगों को किसी बात पर चर्चा करते हुए सुना है। हालांकि उसने यह भी कहा कि कभी आवाज साफ सुनाई नहीं दी। बीच में थोड़ा हंसी-मजाक भी चलने का आभास हुआ। यह काफी हद तक वैसा ही था जैसा विकास के जिंदा रहने के दौरान घर में होता था।

गाँव के लोगों ने दबी-जुबान में दावा किया कि उन्होंने अक्सर विकास दुबे को उसके घर के खंडहर में बैठा देखा है। दो-तीन जुलाई की रात को बिकरू हत्याकांड के बाद विकास दुबे के घर को सरकार ने तोड़ दिया था। एक बुजुर्ग ने दावा किया हमने उसे वहां बैठे और मुस्कुराते हुए देखा है। यह कुछ ऐसा है जैसे वह हमें कुछ बताने की कोशिश कर रहा है। हमें यकीन है कि वह अपनी मौत का बदला जरूर लेगा।

बिकरू हत्याकांड के बाद गांव में चार पुलिसकर्मी. दो पुरुष और दो महिलाएं तैनात किए गए हैं। उनमें से किसी ने भी रिकॉर्ड पर गोलियों की आवाज सुनने या या विकास दुबे को देखने की बात नहीं मानी है। इनमें से एक पुलिसकर्मी ने बताया कि हमें अपनी ड्यूटी करने में कोई दिक्कत नहीं है। आगे कुछ भी पूछने अथवा बताने से मना कर दिया। कहा हमें कुछ भी बोलने कहने कि इजाजत नहीं है।

इस गाँव में विकास दुबे के भूत से दहशत का आलम यह है कि यहां के तमाम पुजारियों ने पूजा-अर्चना करनी तक बंद कर दी है। गाँव के एक पुजारी का कहना है कि स्थानीय लोगों के दावों को अन्यथा नहीं लिया जा सकता है। पुजारी का मानना है कि इस तरह के मामलों में जहां अकाल मृत्यु हुई होती हैं एेसी घटनाएं होती हैं। विकास दुबे के मामले में पुजारी ने कहा कि पण्डीजी का अंतिम संस्कार ठीक से नहीं किया गया और मृत्यु के बाद की रस्में भी नहीं की गईं। ठीक यही उनके पांचों साथियों के साथ हुआ है जो पुलिस एनकाउण्टर में मारे गए थे।

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