हिन्दू धर्म में बच्चों और साधुओं को दफनाया जाता है, आखिर क्यों ?

हिन्दू धर्म में ऐसा कहा गया है की शरीर का निर्माण पांच प्रकार के तत्वों से मिलकर होता है | जिनमे सबसे पहले है पृथ्वी और आकाश, जल, वायु और सबसे अंत में है आग | इन्हे हम पंचतत्व कहते है | इन्ही पांच तत्वों से मानव शरीर की उत्पति बताई गयी है | अतः हिन्दू धर्म में जब व्यक्ति की मृत्यु होती है तो इन्ही पांच तत्वों को उस व्यक्ति को सौंप दिया जाता है | अंत में जलाने के बाद जब व्यक्ति की अस्थिया बच जाती है तो उसे भारत की सबसे पवित्र नदी गंगा में बहा दिया जाता है |

ये बात भारत में लगभग सभी को पता है की हिन्दू धर्म में दफ़नाने का नहीं बल्कि जलाने का नियम है | लेकिन यह बात बहुत कम लोगो को पता होती है की बच्चो और साधुओ को फिर क्यों दफनाया जाता है | इसका बहुत बड़ा कारण यह है की हिन्दू धर्म में साधु का दर्जा भगवान के समान बताया गया है | इसके अलावा साधु-संतो को भगवान का दूत भी कहते है | ये कोई आम आदमी नहीं बल्कि महान पुरुष होते है |

इसलिए इन लोगो को सीधे सुलाकर जलाने के स्थान पर कमल के पुष्प के समान बैठकर दफनाया जाता है | इसके अतिरिक्त हिन्दू धर्म में बच्चो को भी नहीं जलाया जाता है | क्योंकि शास्त्रों के अनुसार किसी मृत व्यक्ति को जलाने से शरीर और आत्मा का बंधन टूट जाता है और आत्मा मृत्यु लोक को छोड़कर देवलोक की और प्रस्थान करती है |

इसके अलावा व्यक्ति को जलाने से सारे सांसारिक मोह बंधन टूट जाते है | जबकि बच्चो को इसलिए दफनाया जाता है क्योंकि बच्चे भगवान का ही एक रूप होते है | वे इस सांसारिक बंधन में नहीं बंधे होते है | इसलिए उन्हें जलाने के स्थान पर दफनाया जाता है |

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