उत्तर प्रदेश में नागरिकता कानून के विरोध में यूपी के अलग अलग जिलों और कस्बों में विरोध प्रदर्शन हुए। तो वहीं कुछ जगह पर तोड़फोड़ और आगजनी भी हुई। जिसमें सार्वजनिक सम्पति का नुकसान भी हुआ। इस विरोध को कुचलने के लिए यूपी पुलिस ने कई जगह पर गोलीबारी भी की। जिसमें 23 लोगों के मारे जाने की खबरें भी सामने आई।
इसके साथ ही सार्वजनिक सम्पति के नुकसान की भरपाई करने के लिए प्रदर्शनकारियों को नोटिस भी थमाया गया। सार्वजनिक संपत्ति को हुए नुकसान को लेकर एडीएम सिटी कानपुर ने नोटिस जारी की थी। कानपुर के मोहम्मद फैजान ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की। उसने 4 जनवरी 2020 को एडीएम सिटी द्वारा जारी नोटिस को चुनौती दी थी।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस पंकज नकवी और जस्टिस एस एस शमशेरी की बेंच ने योगी सरकार को तगड़ा झटका देते हुए। नुकसान की भरपाई के लिए जारी वसूली नोटिस पर रोक लगा दी है।
यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री और सपा मुखिया अखिलेश यादव ने इस पर तंज कसते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को कुछ सलाह भी दे डाली। उन्होंने लिखा- “बदला बाबा” अब क्या करेंगे? अब इस फैसले का बदला किससे लेंगे? मुखिया हैं तो कायदे कानून का इल्म भी होना चाहिए और इंसाफ की नियत और निगाह भी. ये पद जिम्मेदारी का है प्रतिशोध की जहरीली भाषा बोलने का नहीं”
‘बदला-बाबा’ अब क्या करेंगे? अब इस फैसले का बदला किससे लेंगे??
मुखिया हैं तो क़ायदे-क़ानून का इल्म भी होना चाहिए और इंसाफ़ की नियत और निगाह भी. ये पद ज़िम्मेदारी का है प्रतिशोध की ज़हरीली भाषा बोलने का नहीं. pic.twitter.com/eJNoF2O9cO
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) February 17, 2020
गौरतलब है कि यूपी पुलिस की बर्बरता के चर्चे पूरे देश और दुनिया में है, लखनऊ के घंटाघर में प्रदर्शन कर रही महिलाओं ने आरोप लगाते हुए एक वीडियो जारी किया था। जिसमें पुलिस कड़कड़ाती ठंड में महिलाओं का कंबल छीन कर ले जाती दिख रही थी।
तो वही दूसरा वाक्या आजमगढ़ का है, जहां प्रदर्शनकारी सोती हुई महिलाओं पर रात के तीन बजे पानी की बौछार और पत्थर मारते हुए पुलिस का वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुआ।