अब समुद्र में भी ड्रैगन को घेरेगा भारत, चीन भी हांगकांग से भारत की सीमा तक अपना विस्तार बढ़ाने में लगा

नई दिल्ली, । लद्दाख सीमा पर आसमान और जमीन से घेराबन्दी करने के बाद अब भारत पानी के जरिए भी चीन को घेरने की तैयारी कर रहा है। भारत ने चीन पर समुद्री सीमा में नजर रखने के लिए अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में अपनी ताकत बढ़ानी शुरू कर दी है। इसीलिए नौसेना खुद को मजबूत बनाने के इरादे से 248 ‘अस्त्र’ मिसाइल और क्रूज मिसाइल प्रणाली खरीदने जा रही है जिसकी मंजूरी भी सरकार से मिल चुकी है।

चीन सीमा पर तनाव के बीच 2 जुलाई को रक्षा अधिग्रहण परिषद (डीएसी) ने भारतीय नौसेना एवं भारतीय वायु सेना (आईएएफ) के लिए क्रूज मिसाइल प्रणाली और 248 अस्त्र मिसाइल खरीदने के लिए 20 हजार 400 रुपये मंजूर किए हैं। जमीन पर 1,000 किलोमीटर की लम्बी दूरी तक हमले करने वाली स्ट्राइक रें​​ज लैंड अटैक क्रूज मिसाइल नौसेना और वायु सेना की आक्रमण क्षमताओं को बढ़ाएगी। इसी तरह बियॉन्ड विजुअल रेंज एयर टू एयर ‘अस्त्र’ मिसाइलों से नौसेना और वायु सेना की ताकत कई गुना बढ़ेगी क्योंकि इस मिसाइल की मारक क्षमता विजुअल रेंज से भी अधिक है।

लद्दाख सीमा पर चीन को घेरने के लिए सेना और वायुसेना की तैयारियां पूरी होने के बाद अब नौसेना अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में अपनी सैन्य ताकत को और मजबूत बना रही है। भारत की योजना चीन को हिन्द महासागर में घेरने की है ताकि ड्रैगन पर और अधिक दबाव बनाया जा सके। दरअसल चीन 3,488 किलोमीटर लंबी वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के साथ-साथ हिंद महासागर क्षेत्र पर भी अपनी बुरी नजर रखता है। इसलिए चीन से जुड़ी समुद्री सीमा पर नौसेना की अंडमान-निकोबार कमांड (एएनसी) अहम भूमिका निभा सकती है। 2001 में बनाई गई यह कमांड देश की पहली और इकलौती है, जो एक ही ऑपरेशनल कमांडर के अधीन जमीन, समुद्र और एयर फोर्स के साथ काम करती है।

नौसेना की इस कमांड पर लम्बे समय से ध्यान न दिए जाने के बाद अब चीन से तनातनी के इस माहौल में सरकार यहां अपनी ‘सैन्य ताकत’ और ‘मिलिट्री विकास के संसाधन’ बढ़ाने पर जोर दे रही है। यहांं नेवी की ताकत बढ़ाने के लिए युद्धपोत आईएनएस कोहासा पर रनवे की लंबाई बढ़ाने के लिए मंजूरी भी दी जा चुकी है। इसी के साथ दक्षिण द्वीपों की कैंबेल खाड़ी में आईएनएस बाज समेत दोनों रनवे की लंबाई 10 हजार फीट तक बढ़ाए जाने की योजना है ताकि यहां से बड़े विमानों का संचालन किया जा सके।

रक्षा विशेषज्ञ ब्रह्म चेलानी का कहना है कि चीन के बढ़ते अतिक्रमणों ने सामूहिक रूप से दक्षिण चीन सागर के भू-राजनीतिक मानचित्र को बदल दिया है। यह अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति ओबामा की नजर में था कि चीन ने कृत्रिम द्वीप बनाए और उनका सैन्यीकरण किया। अब चीन हांगकांग से भारत की सीमा तक अपना विस्तार करने को बढ़ा रहा है।

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