लॉकडाउन की मार : इनकी बेपरवाही से मजदूर से घर लौटने को मजबूर

-गुजरात से लौट रहे मजदूरों को भी रूपाणी सरकार से मायूसी
-खट्टïर भी श्रमिकों के खाने-ठहरने की भी व्यवस्था नहीं कर पाए
-क ोरोना से निपटने के बजाए राजनीति करने में लगे रहे केजरीवाल
-प्रवासी श्रमिकों के पलायन के मुद्दे पर बेपरवाह रही उद्वव सरकार
-पलायन के मुद्दे पर पंजाब सरकार से जवाब-तलब क्यों नहीं करती कांग्रेस

योगेश श्रीवास्तव
लखनऊ। विभिन्न राज्यों से लौट यूपी के प्रवासी श्रमिकों को लेकर लखनऊ से दिल्ली तक संपूर्ण विपक्ष प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार को कटघरे में खड़ा कर रही है। हालांकि प्रवासी श्रमिकों को गंतव्य तक पहुंचाने के लिए जो सरकार द्वारा जो प्रयास किए जा रहे है उसे देखते हुए सरकार पर श्रमिकों की अनदेखी करने का आरोप लगाना बेमानी होगा। यह बात दीगर है कांग्रेस सरीखी कुछ अन्य पार्टियां श्रमिकों की घरवापसी को मु्द्दा बनाने में लगी है।

विपक्ष में बैठे दल हो या विभिन्न राज्यों की गैरभाजपा सरकारें, श्रमिकों के पैदल,साईकिल पर चलने को लेकर योगी सरकार को जिम्मेदार मानरही है। इससे लेकर हुई मौैतों पर सरकार पर आरोप लगाने में किसी दल ने कोई कसर नहीं छोड़ी। प्रवासी मजदूरों के हाईवे पर पैदल ही निकल पडऩे के लिए योगी सरकार पर आरोप लगा रही कांग्रेस सहित उसके दल की उनराज्यों की सरकारों है जहां से यह प्रवासी श्रमिक लौट रहे है। ऐसा नहीं कि लौट रहे श्रमिक केवल गैरभाजपा शासित राज्यों से लौट रहे है बल्कि हरियाणा और गुजरात से बड़ी संख्या में प्रवासी श्रमिक लौट रहे है जहां भाजपा की सरकारें है। श्रमिकों का एक बड़ा तक तबका देश की आर्थिक राजधानी मुंबई से लौट रहा है। जहां इस समय शिवसेना,एनसीपी और कांग्रेस गठबंधन की सरकार है।

जिसके मुखिया शिवसेना प्रमुख उद्वव ठाकरे है। कोरोना ने मुंबई में जिस तरह पांव पसार रखे है उसे देखते हुए वहां के स्थानीय लोग तो पलायन कर ही कर रहे है। बड़ी संख्या में प्रवासी जिनमें श्रमिक भी शामिल है वे भी पलायन कर रहे है। महाराष्टï्र में विपक्ष में बैठी भाजपा का आरोप है कि यदि उद्वव सरकार ने इस वैश्विक महामारी को गंभीरता से लिया होता तो शायद यह महामारी इतना विकराल रूप न लेती। महाराष्टï्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडऩवीस ने आरोप लगाया है कि मुंबई में रहने वाले या फिर दूसरे राज्यों से लोगों के बारे में सरकार गंभीर होती तो न तो इतना पलायन होता न ही यह महामारी इतना विकराल रूप धारण करती। उल्लेखनीय है कि मुंबई में यूपी के अलावा बड़ी संख्या में बिहार के भी श्रमिक विभिन्न फैक्ट्रीयों में काम करते है। मुंबई से पैदल निकले यूपी के प्रवासी श्रमिकों के रहने खाने की व्यवस्था यदि मुंबई में ही हो जाती तो शायद आज इतनी बड़ी संख्या में लोग सड़कों पर न होते।

मुंबई की ही तरह देश की राजधानी दिल्ली जहां आम आदमी पार्टी की सरकार है और जिसके मुखिया अरविंद केजरीवाल है। इस समय पूरी दिल्ली रेडजोन में है। वहां की फैक्ट्रीयों में बड़ी संख्या में यूपी के ही लोग काम करते है। लखनऊ आगरा और यमुनाएक्सप्रेसहाईवे जो प्रवासी श्रमिकों का मजमा दिख रहा है उनमें बड़ी तादाद दिल्ली से लौट रहे प्रवासी श्रमिकों की है। श्रमिकों के पैदल चलने या इस दौरान किसी दुर्घटना में उनकी मौत का ठीकरा भी योगी सरकार के ही फोड़ा जा रहा है। यदि दिल्ली की केजरीवाल सरकार इस मुद्दे पर गंभीर होती तो इन सबके रहने खाने की व्यवस्था दिल्ली में ही हो जाती तो शायद आज स्थिति इतनी भयावह न होती। यूपी बिहार के श्रमिकों का एक बड़ा तबका पंजाब की फैक्ट्रीयों में काम करता है।

जो कांग्रेस आज प्रवासी श्रमिकों को उनके घर तक पहुंचाने के लिए राजस्थान से बसे लाने का स्वांग कर रही है। तो उसे सबसे पहले पंजाब से बड़ी संख्या में आए श्रमिकों के बारे में वहां के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेन्द्र सिंह से जवाब तलब करना चाहिए कि इस महामारी के समय में इन श्रमिकों को पंजाब छोडऩे के लिए क्यों मजबूर होना पड़ा। अगर वहां की सरकार इस मुद्दे पर गंभीर होती तो वहां के श्रमिक क ाम छूट जाने और महामारी के डर से पंजाब न छोड़ते। कांग्रेस नेतृत्व आज प्रवासी श्रमिकों के मुद्दे पर जितनी आक्रामक है वहीं आक्र ामकता पंजाब और वहां के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेन्द्र सिंह पर भी दिखानी चाहिए थी।

ऐसा नहीं कि देश के विभिन्न राज्यों की सड़कों और हाईवे पर पैदल चल रहे प्रवासी श्रमिकों के लिए अकेले कांग्रेस या दूसरे दलों की शासित राज्य सरकारे है इस जिम्मेदारी से भाजपा नेतृत्व भी नहीं बच सकता। हरियाणा में इस समय मनोहर लाल खट्टïर सरकार का दूसरा कार्यकाल है। दिल्ली मुंबई की तरह यूपी और दूसरे राज्यों के श्रमिकों का एक बड़ा तबका हरियाणा के तमाम कारखानों में दोजून की रोटी की आस में सबकुछ छोड़े हुए है। बात-बात पर कांग्रेस या दूसरे दलों की घेरने वाली हरियाणा की खट्टïर भी इस जवाबदेही से बच नहीं सकती कि आखिर ऐसे कौन से हालात थे कि इतनी विपरीत परिस्थितियों में उसने श्रमिकों को उनके हाल पर छोड़ दिया। यदि उन्हे वहां की सीमा पर ही रोक दिया गया होता या फिर उनके गंतव्य तक पहुंचने के लिए इंतजाम कर दिया गया होता तो शायद आज बड़ी संख्या में प्रवासी श्रमिक सड़कों पर इस भीषण गर्मी में पैदल चलने और मरने को मजबूर न होते।

गुजरात में भी भाजपा की सरकार है। सरकार का नेतृत्व सीएम विजय रूपाणी कर रहे है। दिल्ली और मुंबई की तरह गुजरात में कोरोना वैश्विक महामारी अपना विकराल रूप दिखा रही है। गुजरात में बड़ी संख्या में कारखाने चल रहे है। इन कारखानों में दिल्ली,मुंबई,हरियाणा में की तरह बड़ी संख्या में यूपी के लोग काम करते है। गुजरात की रूपाणी सरकार रहते हुए संसाधनों का रोना रही नहीं सकती साथ ही इस जवाबदेही से भी नहीं बच सकती इतनी बड़ी संख्या में प्रवासी उसकी जानकारी के बिना ही पलायन कर गए। यदि सरकार गंभीर होती तो शायद हालात आज इतने खराब न होते।

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