जमातियों पर रहम दिखाने में भूले राजधर्म

-तुष्टïीकरण में सबसे आगे निकल चुकी है ममता बनर्जी
-चाहकर भी जमातियों पर कार्रवाई नहीं कर पा रहे उद्वव
-केजरीवाल की हीलाहवाली ने बढ़ाई जमातियों की तादाद
-केरल में पाए गए सबसे ज्यादा संक्रमित
-तीन सौ से ज्यादा लोग तामिनाडु के पाए गए

योगेश श्रीवास्तव

लखनऊ। कोरोना को लेकर जिस तरह केन्द्र की भाजपा नेतृत्व वाली एनडीए और राज्यों की भाजपा शासित सरकारों ने इस पर काबू पाने की दिशा में जितने प्रयास किए उसकी तुलना में उन प्रदेशों में इस महामारी को अपने पांव पसारने का भरपूर मौका मिला जहां सेकुलर इमेज बनाने और बचाने के चक्कर में सरकार ने तब्लीगी जमातियों के प्रति नरम रवैया अपनाया। देश की राजधानी दिल्ली मेें सीएए कानून बनने के बाद लंबे समय से शाहीनबाग में जिन लोगों का जमावड़ा रहा और इसी समुदाय के लोग तब्लीगी जमात मरकज में देश के विभिन्न राज्यों और विदेश से आए जमातियों ने इकट्ठा होकर इस संक्रामक महामारी को बढ़ाने में अपना अहंम किरदार निभाया। दिल्ली चुनावों को दृष्टिïगत रखते हुए जहां आप के संयोजक दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने शाहीनबाग में जमा लोगों इधर-उधर करने के बजाए अपरोक्ष रूप से उनका समर्थन करते रहे उसी से प्रेरित होकर तब्लीगी मरकज में भी ऐसे ही तत्वों की भीड़ जमा रही जिसने कोरोना को पूरे देश में फैलाने में बड़ी भूमिका रही। जानकारों की माने तो यदि जमातियों ने यह महामारी न फैलाई होती तो भारत ऐसा पहला देश होता जो कोरोना पर काबू पाने वाला पहला देश होता।

अरविंद केजरीवाल

कोरोना पीडि़त सबसे पहले केरल में पाया गया। तब तक किसी ने इस महामारी को इतनी गंभीरता से नहीं लिया। सबसे विकराल रूप देश की राजधानी दिल्ली में देखने को मिला। जहां एक थाने के निकट ही बने तब्लीगी मरकज में जमाती लोग मानवबम के रूप में देशभर में फैलने की तैयारी कर रहे थे। सेकुलर छवि के चलते यहां पर जमा जमाती दिल्ली सरकार की किसी भी तरह की कार्रवाई से बेपरवाह थे। बावजूद इसके दिल्ली पुलिस ने निजामुद्दीन पश्चिम में धार्मिक सभा की अगुवाई करने वाले मौलाना शाद के खिलाफ कोविड.19 संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए कोई जनसभा आयोजित नहीं करने और सामाजिक दूरी बनाए रखने संबंधी सरकारी आदेशों के उल्लंघन को लेकर जब मामला दर्ज किया।

हालांकि पुलिस ने जब तक यह कार्रवाई की तब तक काफी देर हो चुकी थी। जिस तरह दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने वहां के विधानसभा चुनाव के दौरान वोटबैंक के चलते शाहीनबाग में सड़क जामकर धरना दिए बैठे लोगों पर कुछ नहीं बोले तो दिल्ली में अपनी नाक के नीचे तब्लीगी मरकज में इक_ïा लोगों पर कोई कार्रवाई करना तो दूर कुछ बोलने से भी परहेज करते रहे। दिल्ली पुलिस की सक्रियता के चलते जहां मरकज और वहां जमा लोगों पर पुलिस ने कार्रवाई की। दिल्ली पुलिस की सक्रियता के बाद मुख्यमंत्री केजरीवाल ने तत्परता दिखाई। उन्होंने कोरोना वायरस को जड़ से खत्म करने के लिए करीब दो हजार लोगों के फ ोन नंबर दिल्ली पुलिस को दिए। इन सभी लोगों को निजामुद्दीन से निकाला गया था। अरविंद केजरीवाल की इस कार्रवाई तक काफी देर हो चुकी थी। कोरोना को लेकर दिल्ली में दो दर्जन से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है जब कि एक हजार से ज्यादा लोगों कोरोना संक्रमित पाए गए है।

उद्धव  ठाकरे

कभी हिन्दुत्ववादी राजनीति के पर्याय के रूप में अपनी पहचान रखने वाले शिवसेना प्रमुख उद्वव ठाकरे इस महामारी पर काबू पाने में बुरी तरह विफल रहे। सबसे ज्यादा कोरोना से हुयी मौतो और सबसे ज्यादा संक्रमित महाराष्ट्रï, में ही पाए गए। इस बार कोरोना फैलाने वालों पर कड़ी कार्रवाई न कर पाने के पीछे उनकी राजनीतिक मजबूरी भी है वो यह है कि वे इस समय कांग्रेस और एनसीपी के साथ मिलकर सरकार चला रहे है। यदि वे कोरोना फैलाने वाले एक वर्ग विशेष के खिलाफ कार्रवाई के लिए दो कदम आगे बढ़ते है तो सहयोगी दलों के दबाव में उन्हे चारकदम पीछे हटना पड़ता है।

राजनीतिक जानकारों की माने तो यदि यूपी हरियाणा एमपी की तरह महाराष्टï, में भाजपा नेतृत्व या फिर भाजपा शिवसेना गठबंधन की सरकार होती तो शायद आज वहां के हालात दूसरे होते। उद्वव ठाकरे इस समय मुख्यमंत्री तो जरूर बने है लेकिन उनके हांथ बंधे हुए है ऐसा राजनीतिक पंडितों का मानना है। विपरीत विचारधारा वालें दलों के साथ सरकार चलाने में उनके सामने जो दुश्वारियां है उसे वे तो समझ ही रहे है सरकार से बाहर के लोगों को भी इसका बखूबी अंदाजा है। जमातियों के मामले में भी वह ज्यादा कड़ी कार्रवाई से बचते रहे जिसका नतीजा अब सबके सामने है। महाराष्ट्र के पुणे जिले में तबलीगी जमात के 11 सदस्य एक मस्जिद से कथित रूप से भाग चुके हैं। हाल यह है कि पुणे से लेकर मुम्बई तक कोरोना संक्रमित है। आज हाल यह है कि महाराष्ट्र में 2500 कोरोना संक्रमित हैं जबकि 150 लोगों की मौत हो चुकी है।

ममता बनर्जी

कभी कांग्रेस की कद्दावार नेत्री रही और कभी एनडीए सरकार में कैबिनेट मंत्री रही ममता बनर्जी इस समय पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री है। वे दूसरी बार वहां की मुख्यमंत्री बनी है। एक वर्ग विशेष को संतुष्टï करने में वे इस समय कांग्रेस,लालू मुलायम से काफी आगे निकल चुकी है। आज जब पूरा देश कोरोना जैसी महामारी से दो चार होने के लिए जीजान से लगा हुआ है तो पश्चिम बंगाल में मानो लोग इस महामारी से बेपरवाह है वहां न सिर्फ सोशल डिस्टरेंस की धज्जियां उड़ाई जा रही है बल्कि पुलिस के हांथ भी बंधे हुए है। आज जब पूरे देश में मंदिर के साथ मस्जिदों में ताले है तो पश्चिम बंगाल में बड़ी संख्या में नमाजी जुट रहे है। पिछले दिनों वहां की जो तस्वीरे आई वे काफी डराने वाली थी। पूरे देश में लाकडाउन की घोषणा होने के बाद एक मस्जिद में बड़ी संख्या में लोग जुटे थे। पुलिस वहां जुटे नमाजियों के सामने याची की मुद्रा में खड़ी थी।

वहां की पुलिस मौलवियों और मौलानाओं से लोगों से घरो से नमाज पढऩे की अपीले करा रही थी। यही नहीं शब्बेरात के मौके पर लोग लाकडाउन की धज्जियां उड़ाते हुए मोमबत्तियां लेकर सड़कों पर उतरे उन्हे रोकने वाला कोई नहीं था। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से कोरोना को अपडेट जानकारी देने को कहा गया तो उन्होने इससे मनाकर दिया। हालांकि इससे पहले एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में जब उनसे यह सवाल पूछा गया कि क्या जमात के कार्यक्रम में भाग लेने वाले राज्य के लोगों को ट्रेस किया गया है तो वे अपने आपे से बाहर हो गयी और कहा डाला कि ऐसे कम्युनल सवाल मत पूछिए। कोरोना प्रभावित संक्रमितों को ममता बनर्जी आंकड़े जारी करने से बच रही है। माना जा रहा है पश्चिम बंगाल में कोरोना संक्रमितों की जो संख्या केन्द्र सरकार के आकंड़ों से इतर है।

पिनराई विजयन

हिन्दी भाषी राज्यों की तरह दक्षिण के राज्य केरल से कोरोना की शुरूआत हुयी है। मुस्लिम बाहुल्य इस राज्य में देश के अन्य राज्यों की तुलना में सबसे ज्यादा कोरोना सकं्रमति केरल में ही पाए। गए। देश में कोरोना का सबसे पहला मरीज जनवरी में पाया गया था। दिल्ली के निजामुद्दीनं तबलीगी मरकज से लौट जमातियों में 300 लोगों की इस प्रदेश में पहचान की जा चुकी है। दो हफ्ते पहले तक सबसे ज्यादा प्रभावित राज्यों में से एक केरल में इस जानलेवा वायरस की रफ्तार सुस्त पड़ गई है। मुस्लिम बाहुल्य इस छोटे राज्य में शुरूआती दौर में राज्य सरकार ने बेहद लचीला रूख अख्तियार किया जिसके चलते इस राज्य में सबसे अधिक कोरोना संक्रमित होते गए। केरल में कोरोना वायरस के अब तक 374 मरीज मिले हैंए इनमें से लगभग आधे यानी 179 मरीज पूरी तरह ठीक भी हो चुके हैं जबकि 2 की मौत हुई है।

के पलानीस्वामी

हजरत निजामुद्दीन से तमिलनाडु एक्सप्रेस 13-14 मार्च को चलकर होते हुए चेन्नै पहुंची थी। इस ट्रेन में तबलीगी जमात के करीब 110 लोग थे। तमिलनाडु में जमातियों के पहुंचने के बाद कोरोना पीडि़तों की संख्या अचानक तेजी से बढ़ी थी। पर अन्य राज्यों की तुलना में यहां की सरकार ने वो कड़ी कार्रवाई करने में कोताही दिखाई। हाल यह रहा कि लॉकडाउन की वजह से जब देश कोरोना से जंग जीतता नजर आ रहा था तबलीगी जमात की लापरवाही ने इन कोशिशों पर पानी फेरने में कोई कसर नहीं छोडी। तमिलनाडु में कोरोना के 411 मरीज मिले हैं उनमें से 364 मरीजों का मरकज कनेक्शन सामने आया है।

खबरें और भी हैं...

अपना शहर चुनें