लखनऊ । अपने विवादित बयानों के कारण सुर्खियों में रहने वाले समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेता आजम खान की कानून के आगे बोलती बन्द हो गई। पत्नी, बेटे के साथ बुधवार को जेल भेजे गए आजम ने कानून के शिकंजे से बचने की बहुत कोशिश की, लेकिन अदालत के आगे उनकी एक न चली। बेटे के फर्जी जन्म प्रमाणपत्र बनाने के मामले में गैर जमानती वारंट जारी होने के बाद उन्होंने अपने कुनबे के साथ आत्समर्पण कर रामपुर की एडीजे 6 की कोर्ट में जमानत के लिए याचिका भी दाखिल की, लेकिन उनके अड़ियल रवैये को देखते हुए कोर्ट ने इसे खारिज कर दिया और तीनों को 02 मार्च तक न्यायिक हिरासत में भेजने का आदेश दिया।
भाजपा सरकार आजम को कर रही परेशान, छवि कर रही खराब-नरेश उत्तम
उधर मुलायम कुनबे के बेहद करीबी और रसूखदार नेता होने के बाद समाजवादी पार्टी आजम के बचाव में आ गई है। आजम न सिर्फ पार्टी संरक्षक मुलायम के करीबी मित्र हैं, बल्कि पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव के भी विश्वसनीय हैं। इसीलिए पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम पटेल ने कहा है कि आज़म खान बड़े नेता हैं, सांसद हैं। हम कानून को मानने वाले लोग हैं। हमें न्यायपालिका पर पूरा भरोसा है। आजम खान को न्याय मिलेगा। उन्होंने कहा कि जब से प्रदेश में भाजपा सरकार आई है, तभी से आजम खान साहब को लगातार परेशान किया जा रहा है। भाजपा लगातार आजम खान को अपमानित करने का काम कर रही है। इस तरीके के आरोप जान बूझकर लगवाए हैं कि उनकी छवि को खराब किया जाए, लेकिन आजम खान कानून को मानने वाले नेता है। इसीलिए वह आज कानून का सम्मान करते हुए कोर्ट में हाजिर हुए। हमें पूरा भरोसा है कि कानून आजम खान साहब को न्याय देगा।
बदले की भावना से कार्रवाई उचित नहीं
वहीं पार्टी के आधिकारिक ट्विटर अकाउंट से कहा गया कि समाजवादी पार्टी बदले की भावना से किसी भी कार्रवाई को उचित नहीं मानती है। राग द्वेष से सरकारें काम नहीं कर सकती हैं। समाजवादी पार्टी भी न्यायिक प्रणाली पर भरोसा करती है। अदालत पर विश्वास है न्याय मिलेगा।
बेटे को विधानसभा भेजने के लिए आजम ने तिकड़म का लिया सहारा
दरअसल बेटे अब्दुल्ला आजम को विधानसभा चुनाव लड़ाने के लिए आजम ने खूब तिकड़म की। 2017 के विधानसभा चुनाव के दौरान अबदुल्ला कम उम्र के कारण चुनाव नहीं लड़ सकते थे, लेकिन पुत्र मोह में आजम ने वह सब किया जो गैरकानूनी था। वह सत्ता के अपने रसूख का भी बेजा इस्तेमाल करने से भी बाज नहीं आए और बेटे को चुनाव लड़ाया। इसमें उसकी जीत भी हुई। आजम को लगा कि इसके बाद सब शान्त हो जाएगा, लेकिन इसी गलत हलफनामा देने के कारण अब्दुल्ला आजम को रामपुर की स्वार सीट से अपनी विधायकी गंवानी पड़ी।
पहले हाईकोर्ट फिर सुप्रीम कोर्ट से गलत ठहराया
हाईकोर्ट के बाद सर्वोच्च न्यायालय में भी आजम के दांवपेंच नहीं चले। सर्वोच्च न्यायालय ने अब्दुल्ला आजम को बड़ा झटका देते हुए निर्वाचन रद्द करने के हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यह कहते हुए अब्दुल्ला आजम की विधायकी रद्द कर कर दी थी कि वर्ष 2017 में उनकी उम्र चुनाव लड़ने के लिए न्यूनतम निर्धारित 25 साल से कम थी। उन्होंने चुनाव आयोग को फर्जी और गलत दस्तावेज दिये थे।
एक बेटा दो जन्म प्रमाणपत्र, पासपोर्ट-पैन बनवाने में भी किया खेल
अब्दुल्ला के निर्वाचन को चुनौती देने वाले काजिम अली ने अपनी याचिका में कहा था कि अब्दुल्ला की वास्तविक जन्मतिथि 30 सितम्बर 1990 की बजाय 01 जनवरी 1993 है। इसके पक्ष में उन्होंने अब्दुल्ला के शैक्षणिक प्रमाण पत्र, पासपोर्ट और वीजा पर अंकित जन्म तिथि 01 जनवरी 1993 का हवाला दिया था। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अब्दुल्ला की मां के सर्विस रिकॉर्ड समेत उनकी जन्मतिथि से संबंधित समस्त दस्तावेज की जांच की थी, जिसमें अब्दुल्ला की जन्मतिथि 01 जनवरी 1993 ही पायी गई।
दरअसल अब्दुल्ला के रामपुर नगर पालिका से बनवाये गये जन्म प्रमाणपत्र में उनकी जन्मतिथि 01 जनवरी 1993 दर्शाई गई है। जबकि लखनऊ के अस्पताल से भी एक अन्य जन्म प्रमाणपत्र में उनकी जन्मतिथि 30 सितम्बर 1990 बतायी गई। इतना ही नहीं बाद में पासपोर्ट और पैन कार्ड में उम्र ठीक कराने के लिए भी दूसरा पासपोर्ट और दूसरा पैन कार्ड बनवा लिया।
कोर्ट में पेश होने के बजाय बचने पर लगाया पूरा जोर
भाजपा नेता आकाश सक्सेना ने 2019 में अब्दुल्ला के दो-दो जन्म प्रमाण पत्र बनवाने को लेकर एफआईआर दर्ज करायी थी। इसमें आजम खान और उनकी पत्नी डॉ. तजीन फात्मा को भी झूठे शपथ पत्र लगाने के कारण नामजद किया गया था। अदालत ने इस मामले में आजम के खिलाफ कुर्की के नोटिस जारी की। पुलिस ने इसके तहत आजम के रामपुर स्थित आवास पर दबिश दी। उनके नहीं मिलने पर घर के बाहर कुर्की की नोटिस चस्पा की गई। मुहल्ले में मुनादी से लेकर डुग्गी भी पिटवाई, लेकिन आजम कोर्ट में पेश होने से बचते रहे। इसके बाद मंगलवार को रामपुर की एमपी एमएलए स्पेशल कोर्ट ने तीनों के कुर्की वारंट के साथ ही गिरफ्तारी के लिए गैर जमानती वारंट भी जारी किए थे। इसके बाद सारे दांव पेंच नाकाम होने पर आजम को आज कोर्ट में आत्मसमर्पण करना पड़ा।