आज कार्तिक पूर्णिमा पर बिरथाना घाट के सरयू तट पर जुटेगे हजारों श्रद्धालु लगाएगे सरयू की निर्मल धारा मे डुबकी

सरकारी तन्त्र के साथ जनप्रतिनिधियों ने कभी नही समझा संतो की इस तपो भूमि का महत्व

काली माता व काल भैरवनाथ के साथ शमशान घाट मे छिपे है तमाम रहस्य फिर भी हो रही उपेक्षा ?

चित्र परिचय :   संतों की तपोभूमि बिरथाना घाट पर बने मठ मंदिरों के साथ सरयू की निर्मल धारा जहाँ हजारो श्रद्धालुओ का आज होगा जमावड़ा

जरवल/बहराइच। भले ही कोरोना काल की महामारी की काली छाया कितनी भी दिखाई दे बावजूद इसके जरवल विकास खण्ड के संतों की तपोभूमि बिरथाना घाट के सरयू माता की निर्मल धारा मे आज कार्तिक पूर्णिमा को हजारों की संख्या मे दूर-दराज इलाको से श्रद्धालु पहुँच कर डुबकी लगायेगे जिसकी तैयारी भी ग्रामीण इलाकों में दिखाई देने लगी है।

एक दिवसीय बिरथाना घाट के इस मेले मे श्रद्धालु पहुँच कर रहस्यमयी माता काली काल भैरवनाथ व संतो की समाधियों पर अपनी हाजिरी लगा कर जो भी श्रद्धा के साथ कुछ माँगते है माता काली व काल भैरवनाथ के अलावा संतो की समाधि व सरयू मइया पूरा जरूर करती है।धार्मिक मान्यताओं से ओत प्रोत इन स्थानों मे तमाम रहस्य भी छिपे है फिर भी सरकारी तंत्र ही नही जनप्रतिनिधियों का रवैया कुछ अच्छा तो नही कहा जा सकता जिस कारण अभी भी बिरथाना घाट का सौंदरीकरण तक नही हो सका है घाट पर उगे घास पूस व गन्दगी इसकी जीती जागती तस्वीर है बताते चले कार्तिक पूर्णिमा को लगने वाले इस मेले मे भेड़ व तीतर की लड़ाई मेले मे बिकने वाले लकड़ी के बने साइकिल बर्तन आदि कम आकर्षण का केन्द्र नही रहते मेले मे चाट सिंघाड़ा मूंगफली व मूली की खरीददारी भी लोग कम नही खरीदते देवी देवताओं के कैलंडर व महिलाओं के लिए सौंदर्य प्रसाधन की चीजो की भी खूब बिक्री होती है

बच्चों के मनोरंजन के लिए झूले भी यहाँ पर लगाए जाते है यहाँ पर जो शमशान घाट सरयू के तट पर बना है दीपावली की अमावस्या की काली रात को तांत्रिक लोग अपनी तंत्र साधना के लिए भी अपनी तंत्र शक्तियों को जागृत करने आते है नवरात्रि को भी इस पवित्र घाट पर बने देवी मंदिरों मे माँ का जगराता भी होता है लेकिन दुर्व्यवस्थाओं की कालिख कब जिम्मेदारो को दिखाई देगी एक बड़ा सवाल है जिसकी गुलथी सुलझने का नाम नही ले रही है।

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