बंदरों के आतंक से परेशान था ये गांव, निजात पाने के लिए अपनाया ये तरीका

शाहजहांपुर के सिकंदरपुर अफगान गांव के लोग पिछले एक दशक से बंदरों के आतंक से जूझ रहे हैं। ग्रामीण इससे इतना परेशान हो चुके हैं कि उन्होंने तहसील दिवस में बंदरों की समस्या प्रशासन के सामने रखी लेकिन प्रशासन ने उसे कोई तवज्जो नहीं दी।

ग्रामीणों का कहना है कि बंदर हमारी खेतों में खड़ी फसलें बर्बाद कर देते हैं, घरों में रखा खाने-पीने का सामान उठाकर ले जाते हैं, बच्चों को काट लेते हैं। इतना ही नहीं पिछले पांच साल में बंदरों के डर से छत से गिरकर दो महिलाओं की मौत भी हो चुकी है।

उन्होंने बताया कि इस समस्या से निपटने के लिए हमने भालू की पोशाक बनवाई जिसे पहनकर दो युवक पूरे गांव में घूम-घूम कर बंदरों को भगा रहे हैं।

ग्रामीण अशोक कुशवाहा ने बताया कि उन्होंने एक साल पहले अधिकारियों से मिलकर अपनी समस्या बतायी थी। उस वक्त वन विभाग की एक टीम गांव में आई थी। उन्होंने मथुरा की एक फर्म से बंदर पकड़ने की बात ग्रामीणों से कराई, लेकिन वे प्रत्येक बंदर के लिए 300 रुपये मांग रहे थे। बंदरों की तादाद ज्यादा होने के कारण बात नहीं बन पाई।

जिला वन अधिकारी आदर्श कुमार ने बताया कि बंदरों को कोई पकड़ नहीं रहा है। वे लोग केवल भालू की पोशाक पहनकर बंदरों को भगा रहे हैं। हाल में उनके पास बंदरों को लेकर कोई शिकायत नहीं आई है। यदि ग्रामीण कोई शिकायत करते हैं तो बंदरों को पकड़ने की अनुमति दी जाएगी।

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