`सुनिश्चित करें कि धर्म या दूसरे जुड़ाव के कारण वकील को हाई कोर्ट में पेश होने से न रोका जाए’

मणिपुर हाई कोर्ट बार एसोसिएशन अध्यक्ष को सुप्रीम कोर्ट का निर्देश

नई दिल्ली, (हि.स.)। सुप्रीम कोर्ट ने मणिपुर हाई कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष को निर्देश दिया है कि वो ये सुनिश्चित करें कि किसी भी वकील को उसके धर्म या दूसरे जुड़ाव की वजह से हाई कोर्ट में पेश होने से न रोका जाए। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने ये आदेश दिया।

सुप्रीम कोर्ट ने मणिपुर हाई कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष से कहा कि वे हाई कोर्ट के आदेशों की प्रति दाखिल करें, जिससे ये पता चले कि सभी समुदायों के वकील कोर्ट में पेश हुए। सुप्रीम कोर्ट ने ये साफ किया कि वो राज्य के हर प्रशासनिक मामले में नहीं पड़ना चाहता है। हम हर हफ्ते सुनवाई नहीं कर सकते, हम चार हफ्ते में सुनवाई करेंगे। हम ये नहीं मानते कि मणिपुर हाई कोर्ट काम नहीं कर रहा है।

दरअसल, सुप्रीम कोर्ट को ये बताया गया कि मणिपुर हाई कोर्ट में हिंसा से जुड़े मामलों में वकीलों को पेश नहीं होने दिया जा रहा है। वरिष्ठ वकील कॉलिन गोंजाल्वेस ने कहा कि ऐसा दो बार हुआ, जब उन्हें हाई कोर्ट में पेश नहीं होने दिया गया। तब मणिपुर हाई कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष ने कहा कि सभी समुदाय के वकील हाई कोर्ट में पेश हो रहे हैं।

22 सितंबर को मणिपुर सरकार ने राज्य में सभी स्रोतों से हथियारों की बरामदगी पर सुप्रीम कोर्ट में स्टेटस रिपोर्ट दाखिल की थी। केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट से कहा था कि जिन मुद्दों पर बहस हो रही है उन्हें पहले ही सुप्रीम कोर्ट की ओर से नियुक्त कमेटी के संज्ञान में लाया जा चुका है। कोर्ट उन पर विचार कर रही है।

उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट ने मणिपुर हिंसा पीड़ितों को दी जा रही राहत और उनके पुनर्वास पर नजर रखने के लिए पूर्व जज जस्टिस गीता मित्तल की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय कमेटी का गठन किया था।

सुप्रीम कोर्ट ने 6 सितंबर को मणिपुर सरकार को सभी स्रोतों से हथियारों की बरामदगी पर स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया था। कोर्ट ने कहा था कि अवैध हथियारों के मामले में राज्य सरकार को कार्रवाई करनी ही होगी, चाहे वह किसी भी पक्ष के पास हो। कोर्ट ने राज्य में भोजन और दवाइयों की सप्लाई और उपलब्धता को लेकर चीफ सेक्रेटरी से रिपोर्ट मांगी थी।

सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट को बताया था कि खाना और दवाइयाें समेत दूसरी बुनियादी सुविधाओं की लगातार आपूर्ति हो रही है। यह कहना कि बुनियादी सुविधाएं मुहैया नहीं कराई जा रही हैं, यह गलत है। जहां जाने का साधन नहीं है, वहां पर एयर लिफ्ट कराया जा रहा है।

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