अब कलयुग में भी पैदा होगा “अभिमन्यु” जैसा बच्चा, वैज्ञानिकों ने निकाला नया कॉन्सेप्ट !

महाभारत का वो क़िस्सा तो आपने पढ़ा ही होगा जब अर्जुन के बेटे अभिमन्यु ने मां के गर्भ में चक्रव्यूह तोड़ने की विद्या ली थी. दरअसल, उस समय अभिमन्यु की मां सुभद्रा को अर्जुन चक्रव्यूह तोड़ने के बारे में बता रहे थे, इस दौरान वो सो गईं थी. जिसके कारण अभिमन्यु ने चक्रव्यूह में घुसने का तरीक़ा तो सीख लिया था लेकिन उससे बाहर निकलने का तरीका वो नहीं सिख पाए थे. जिसकी वजह से उनकी मौत भी चक्रव्यूह में घिरकर हुई थी. यानी चक्रव्यूह के 6 द्वार तोड़ने की विद्या अभिमन्यु ने अपनी मां के गर्भ में ही सीखी थी.

लेकिन अगर आज हम आपको कहें कि एक बार फिर अब बच्चे अपनी मां के गर्भ से ही शिक्षा प्राप्त करके आंएगे तो क्या आप यकीन करेंगे शायद नहीं. बहुत से लोग अभिमन्यु के इस किस्से पर भी यक़ीन नहीं करते हैं. लेकिन इस बात को आज के विज्ञान ने साबित करके दिखाया है. जी हां अब इसी तर्ज पर कलयुग में भी गर्भ में बच्चों की बौद्धिक क्षमता का विकास करने के लिए एक नई पहल की जा रही है.

इसके लिए आगरा में ब्रेन बिफोर बर्थ कान्सेप्ट को लेकर काम किया जा रहा है. इस कान्सेप्ट को लेकर विज्ञान ने माना है कि गर्भ में पांच महीने का बच्चा सुनना और रोशनी को देखना शुरू कर देता है. इसी आधार पर ब्रेन गुरुकुल रेनबो हास्पिटल के साथ इस कान्सेप्ट पर काम शुरू कर रहा है. इसकी मदद से देखा जाएगा कि कलयुग का बच्चा भी क्या अभिमन्यु के किस्से की तरह सच में गर्भ में रहकर शिक्षा प्राप्त कर सकता है. इसके लिए हास्पिटल ने 15 गर्भवती महिलाओं को चुना है जोकि इस पहल के लिए पहले ही पंजीकरण करा चुकी हैं.

लेकिन सवाल ये उठता है कि क्या है ये ब्रेन बिफोर बर्थ कान्सेप्ट ?

तो आपको बता दें कि ब्रेन बिफोर बर्थ कान्सेप्ट में गर्भवती महिला को पूरे गर्भकाल में 45 घंटे का खास क्लास दी जाएगी. इस क्लास में दिमागी कसरत, विचुअल टेस्ट, एरोमा एक्सरसाइज, गर्भ संवाद, योगा, मेडीटेशन, स्पीड, एमबी डेक्सटरस(दोनों हाथों से काम करना) समेत 18 तरह की क्रियाएं कराई जाएगी. जिसका सीधा असर गर्भ में पल रहे बच्चे पर देखने को मिलेगा. ये खास क्लास 1 दिन में 2 घंटे ही कराई जाएगी. बता दें कि इस क्लास की शुरुआत गर्भवती महिला पहले महीने से ही कर सकती है.

वहीं कान्सेप्ट को लेकर ब्रेन गुरुकुल के सह-संस्थापक विजय प्रकाश ने जानकारी दी कि इस कान्सेप्ट पर पिछले चार साल से काम किया जा रहा था. इस दौरान 4 साल में 10 गर्भवती महिलाओं को ब्रेन बिफोर बर्थ कान्सेप्ट की खास क्लास दी गई थी. वहीं ब्रेन गुरुकुल के सह-संस्थापक पंकज गुप्ता ने बताया कि मनुष्य में पांच बोध होते हैं. अगर ये पांच बोध मजबूत नहीं होंगे तो दिमाग से इनका संवाद नहीं होगा. इन पांच बोध के मजबूत होने के बाद ही कोई जानकारी दिमाग तक पहुंचती हैं. उन्होंने बताया कि सेंसरी इंटीग्रेशन जितना मजबूत होगा, उतना दिमाग मजबूत होगा

वहीं कान्सेप्ट को लेकर उन्होंने बताया कि जिन भी महिलाओं को इस कान्सेप्ट के जरिए खास क्लास दी गई थी. उनके बच्चे जन्म के बाद आम बच्चों के मुकाबले काफी चुस्त थे. इसके साथ ही वो अन्य बच्चों के मुकाबले चीजों को जल्दी सीखते थे. जिसको देखते हुए अब इसे हर गर्भवती महिला के लिए लागू किया जाएगा. इसके लिए हास्पिटल ने 10 से 12 लोगों की टीम को खासतौर पर तैयार किया हैं. इसके लिए एक घंटे की क्लास का शुल्क 500 से 550 रुपये रखा जा सकता हैं.

नौ महीने में ऐसे होता है बच्चे का विकास

  1. पहले महीने में स्नायु तंत्र, पाचन तंत्र और रक्त संचार प्रणाली का निर्माण शुरू हो जाता है.
  2. दूसरे महीने में भ्रूण में होने वाले महत्वपूर्ण बदलाव जैसे ह्रदय, मस्तिष्क और फेफड़े विकसित होने लगते हैं.
  3. तीसरे महीने में गुर्दे और आंत का निर्माण शुरू हो जाता है. बच्चे का चेहरा उभरने लगता है. बच्चा एम्निओटिक फ्लूयेड में अपने हाथ-पैर हिलाने लगता है. इसके साथ बच्चे के नाखून बनने लगते हैं.
  4. चौथे महीने में बच्चा एम्निओटिक फ्लूयेड को सांस के माध्यम से अंदर और बाहर लेने लगता है साथ ही रक्त संचार प्रणाली और मूत्र मार्ग कार्य प्रणाली भी काम करनी शुरू हो जाती है.
  5. पांचवे महीने में बच्चे के सिर पर बाल, शरीर पर रोएं, आंखों की पलकें व भौंएं उभरने लगती हैं. साथ ही आंखों में हलचल होने लगती है.
  6. छठवें महीने में बच्चा बाहर की आवाज सुनने लगता है और उसपर प्रतिक्रिया देने लगता है. इसके साथ बच्चे के हाथों की रेखा उभरने लगती है. मसूड़े भी बनने शुरू हो जाते हैं.
  7. सातवें महीने में बच्चे के दिमाग का तेजी से विकास होने लगता है. साथ ही बच्चे के शरीर के सभी अंग विकसित होने शुरू हो जाते हैं. इस दौरान बच्चा हाथ से नाक छूना, अंगूठा चूसना शुरू कर देता है.
  8. आठवें महीने में बच्चे की हड्डियां मजबूत होने लगती हैं. इसके साथ सिर का आकार भी बढ़ने लगता है.
  9. नौवें महीने में सभी अंगों का विकास पूर्ण रूप से हो जाता है.