
इन दिनों अमेरिका और चीन के बीच बढ़ रहे तनाव को लेकर पूरी दुनिया में चर्चा है. चीन की नीति विस्तारवादी है. दूसरों की जमीन और संपत्ति हड़पने के लिए वह तरह-तरह की साजिशें रच रहा है. चाहे ताइवान की बात हो, नेपाल की, भूटान की या हांगकांग की. हर जगह चीन की दादागिरी सामने आई है. लद्दाख में चीन ने भारत की जमीन हड़पने की कोशिश की लेकिन भारतीय सैनिकों ने उन्हें मुंहतोड़ जवाब दिया. चीन की विस्तारवादी नीति अब उस पर भारी पड़ रही है. अमेरिका समेत दुनिया के कई देशों ने ड्रैगन के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है. अमेरिका चीन को अपना दुश्मन नंबर एक मानता है. अब अमेरिका ने ऐसा कदम उठाया कि चीन बिलबिला उठा है.
अमेरिका ने अपने स्टील्थ तकनीकी वाले लड़ाकू विमान F-35A से परमाणु बम दागने की एक्सरसाइज की है. यूनाइटेड स्टेट्स एयर फोर्स ने परमाणु बम गिराने का एक वीडियो भी जारी किया है. इसके बाद से अमेरिका का दुश्मन नंबर एक चीन दहशत में है. चीनी सेना की आधिकारिक वेबसाइट इंग्लिश चाइनामिल डॉट कॉम डॉट सीएन पर जारी एक लेख में ड्रैगन ने इस परीक्षण को लेकर गंभीर चिंता जताई है.
चीनी सेना पीएलए ने इस लेख में कहा है कि इस परीक्षण के बाद से अमेरिका के पास परमाणु हमला करने की ताकत और बढ़ जाएगी. अमेरिकी सेना इन दिनों छोटे-छोटे परमाणु बमों को विकसित कर रही है. जो सटीक निशाना लगाने में माहिर हैं. इससे अमेरिकी सेना के समुद्र, हवा या जमीन पर प्रभावी तरीके से दुश्मन के खिलाफ कार्रवाई करने की ताकत मिल जाएगी. एफ-36ए लड़ाकू विमान जल्दी से किसी रडार की पकड़ में भी नहीं आता है. इससे अमेरिका की अत्याधुनिक युद्ध क्षमता और उन्नत वायु रक्षा प्रणालियों के खिलाफ घुसपैठ और आसान हो जाएगी.
पीएलए ने दावा किया है कि 2020 के अमेरिका के रक्षा बजट में छोटे-छोटे परमाणु बमों को विकसित करने के लिए 8.3 फीसदी अधिक धन को आवंटित किया गया है. इस कारण अमेरिकी सेना इन दिनों B-61 परमाणु बमों के सीरीज को विकसित कर रही है. B-61 के कई वैरियंट अमेरिकी सेना में कार्यरत हैं. इनमें से कई ऐसे भी हैं जिनमें जरूरत पड़ने पर परमाणु हथियारों को फिट किया जा सकता है. जबकि टेस्ट के दौरान इनमें परमाणु तत्वों को नहीं रखा जाता है.
चीन ने चिंता जताते हुए कहा है कि अगर एफ-35 लड़ाकू विमान परमाणु हमला करने में सक्षम हो जाता है तो इससे अमेरिका की सामरिक क्षमता में जबरदस्त इजाफा होगा. इस कारण सामरिक परमाणु हमलों को अंजाम देना अमेरिकी सेना के लिए और अधिक आसान भी हो जाएगा. परमाणु हथियारों का उपयोग करने की अमेरिका की सनक से फिर से अन्य देशों के बीच परमाणु दौड़ शुरू हो जाएगी. इस कारण परमाणु निरस्त्रीकरण के कार्यक्रम न केवल बेकार हो जाएंगे, बल्कि परमाणु संघर्षों के जोखिम भी बढ़ जाएगा.
आपको बता दें कि हाल में जारी रिपोर्ट में बताया गया है कि अमेरिका ने इस साल 25 अगस्त को नेवादा में टोनोपा टेस्ट रेंज में इस परमाणु परीक्षण को अंजाम दिया था. कई अमेरिकी विशेषज्ञों ने इस टेस्ट को अमेरिकी सेना के परमाणु हथियारों की तैनाती में बड़ा कदम करार दिया था. इस टेस्ट में अमेरिकी F-35A फाइटर जेट के जरिए एक नकली लक्ष्य पर बिना रेडिएशन वाले मटेरियल से बने B61-12 परमाणु बम गिराया गया था. अमेरिका का ये कदम चीन के लिए खतरा बन सकता है.