
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की धमकियों और रूसी तेल पर उठे विवादों के बीच भारत ने स्पष्ट किया है कि वह राष्ट्रीय हितों से कोई समझौता नहीं करेगा. अमेरिकी टैरिफ की चेतावनी के बीच राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजित डोभाल सोमवार को मास्को पहुंचे, जहां वे ऊर्जा और सुरक्षा से जुड़े मसलों पर चर्चा करेंगे. इस दौरे के बाद अगस्त मध्य में विदेश मंत्री एस जयशंकर भी रूस की यात्रा करेंगे.
ट्रंप के तीखे बयानों के जवाब में भारत ने याद दिलाया कि जब यूक्रेन युद्ध के चलते वैश्विक तेल संकट गहराया था, तब अमेरिका ने ही रूस से सस्ता तेल खरीदने के भारत के निर्णय को ‘सक्रिय रूप से प्रोत्साहित’ किया था. अब जब भारत ने अपने उपभोक्ताओं को राहत देने के लिए कच्चे तेल के सस्ते विकल्प चुने हैं, तो उस पर सवाल उठाना उचित नहीं.
संबंधों को मजबूती देने की कोशिश
अजित डोभाल का यह दौरा ऐसे समय पर हो रहा है जब अमेरिका की ओर से भारत पर दबाव लगातार बढ़ रहा है. भारत-रूस के द्विपक्षीय संबंधों को नई दिशा देने और ऊर्जा साझेदारी को मजबूती देने के उद्देश्य से डोभाल मास्को पहुंचे हैं. टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार, डोभाल रूस से और अधिक रियायतें (discounts) प्राप्त करने की कोशिश कर सकते हैं.
एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने एक बड़े चैनल से कहा कि हम भारतीय उपभोक्ताओं के सर्वोत्तम हित में काम करेंगे और सबसे किफायती विकल्प का चयन करेंगे. यदि रूसी कच्चा तेल अन्य स्रोतों से सस्ता है, तो हमारे नागरिकों को दंडित करने का कोई कारण नहीं है.
भारत के फैसले में कोई बदलाव नहीं
मोदी सरकार ने स्पष्ट किया है कि ट्रंप की धमकियों के बावजूद रूस से कच्चे तेल के आयात में किसी प्रकार की कटौती की योजना नहीं है. रूस पर पश्चिमी प्रतिबंध लगने के बाद जब उसने तेल पर भारी छूट दी, तब भारत ने इन अवसरों का लाभ उठाया. इससे न सिर्फ घरेलू पेट्रोल-डीजल की कीमतें नियंत्रित रहीं, बल्कि यूरोपीय देशों को भी डीजल और एविएशन फ्यूल की आपूर्ति जारी रह सकी. 2022 में यूक्रेन पर रूस के पूर्ण आक्रमण के बाद भारत ने रूस से कच्चा तेल आयात बढ़ा दिया था. उस समय यह तेल भारत को बाजार मूल्य से कहीं कम दर पर मिल रहा था.
भारत के ऊर्जा आयात में सबसे बड़ा हिस्सा
जहां 2022 से पहले रूसी तेल भारत के कुल आयात का मात्र 0.2% हिस्सा था, वहीं अब यह बढ़कर लगभग 40% तक पहुंच गया है. भारत अब चीन के बाद रूस का दूसरा सबसे बड़ा तेल खरीदार बन चुका है.
जयशंकर का दौरा अगस्त मध्य में संभावित
विदेश मंत्री एस जयशंकर भी इसी महीने रूस यात्रा पर जा सकते हैं. इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, जयशंकर अगस्त के मध्य में मास्को पहुंचेंगे. यह उच्चस्तरीय संवाद ऐसे समय पर हो रहा है जब ट्रंप ने भारत और रूस दोनों को “dead economies” कहकर निशाना बनाया है और भारतीय सामानों पर 25% टैरिफ लगाने की घोषणा की है.
हम अपने हितों की रक्षा करेंगे
भारत ने जोर देकर कहा है कि उसके विदेश संबंध किसी तीसरे देश के दबाव में नहीं चलते. चाहे ऊर्जा हो, सुरक्षा या भू-राजनीति भारत अपने हितों और उपभोक्ताओं की भलाई को प्राथमिकता देगा.