कहीं 20% तो कहीं 50% टैरिफ : ट्रंप कैसे तय करते हैं टैक्स? यहां जानें जानिए पूरा फॉर्मूला

जबसे डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिका के राष्ट्रपति पद की जिम्मेदारी संभाली है, तभी से उन्होंने टैरिफ को अपनी व्यापारिक रणनीति का अहम हथियार बना लिया है. कभी वे चीन पर भारी टैरिफ लगा देते हैं, तो कभी भारत जैसे देशों पर अचानक से 25 फीसदी शुल्क की घोषणा कर देते हैं. इससे वैश्विक बाजार में अस्थिरता देखी जा रही है. लेकिन क्या यह सब मनमाने ढंग से होता है? नहीं, इसके पीछे एक निर्धारित गणितीय प्रक्रिया अपनाई जाती है. 

व्हाइट हाउस ने बताया टैरिफ लगाने का फॉर्मूला

हाल ही में व्हाइट हाउस की ओर से एक रिपोर्ट जारी की गई जिसमें यह स्पष्ट किया गया कि अमेरिका किसी भी देश पर टैरिफ किस आधार पर लगाता है. यह कोई भावनात्मक या राजनीतिक फैसला नहीं, बल्कि एक तय फॉर्मूले पर आधारित गणना है. इस फॉर्मूले के अनुसार ही अमेरिका ने चीन, भारत और अन्य देशों पर शुल्क लगाया है.

कैसे तय किया जाता है टैरिफ? 

ट्रंप प्रशासन द्वारा जारी चार्ट में दिखाया गया कि टैरिफ की गणना एक सरल मैथमैटिकल फॉर्मूले से की जाती है: पहले अमेरिका का उस देश के साथ व्यापार घाटा निकाला जाता है. फिर उस देश से होने वाले कुल आयात के आंकड़े से व्यापार घाटे को विभाजित किया जाता है. इस संख्या को दो से विभाजित कर दिया जाता है. अंतिम परिणाम उस देश पर लगाया गया टैरिफ प्रतिशत होता है.उदाहरण: अगर अमेरिका का चीन के साथ व्यापार घाटा 300 अरब डॉलर है और कुल आयात 440 अरब डॉलर है, तो…

300 ÷ 440 = 0.75 (यानी 75%)

अब, 75 ÷ 2 = 37.5 %

यानी चीन पर लगभग 37.5% टैरिफ लगाया जाएगा. इसी फार्मूले के अनुसार भारत पर भी 25% टैरिफ का निर्धारण हुआ है.

व्यापार घाटा क्या होता है?
व्यापार घाटा (Trade Deficit) का मतलब है कि कोई देश जितना निर्यात करता है, उससे अधिक आयात कर रहा है. यानी जब किसी देश की कुल आयातित वस्तुएं उसकी निर्यातित वस्तुओं से ज्यादा हो जाती हैं, तब उस देश का व्यापार घाटा बढ़ता है. अमेरिका के मामले में वह कई देशों से भारी मात्रा में सामान खरीदता है, जिससे उसका घाटा बढ़ता है और इसी आधार पर वह टैरिफ का सहारा लेता है.



 

20% on some countries and 50% on others... Know how Trump imposes tariffs on any country? Understand
Trump Tarrif 

भारत पर 25% टैरिफ का ऐलान 
ट्रंप ने हाल ही में भारत पर 25 प्रतिशत टैरिफ लगाने की घोषणा की है. इसका कारण बताया गया है कि भारत रूस से तेल और रक्षा उपकरणों की खरीद कर रहा है, जो अमेरिका की रणनीतिक नीतियों के खिलाफ माना जा रहा है. यह टैरिफ पहले 1 अगस्त से लागू होना था, लेकिन अब इसकी डेडलाइन एक हफ्ते बढ़ा दी गई है और इसे 7 अगस्त से लागू किया जाएगा.

भारत-US व्यापार वार्ता पर पड़ सकता है असर
भारत और अमेरिका के बीच व्यापार समझौतों को लेकर पांचवें दौर की बातचीत पूरी हो चुकी है. छठे दौर की वार्ता 25 अगस्त तक होने की संभावना है. हालांकि, ट्रंप द्वारा अचानक टैरिफ लगाने की घोषणा से इस वार्ता पर असर पड़ सकता है.

भारत एग्री और डेयरी पर टैरिफ कम करे
अमेरिका चाहता है कि भारत कृषि (एग्री) और डेयरी उत्पादों पर अपने टैरिफ कम करे, ताकि अमेरिकी उत्पाद भारतीय बाजार में आसानी से प्रवेश कर सकें. लेकिन भारत इस पर सहमत नहीं है. भारत का साफ कहना है कि वह राष्ट्रीय हित से कोई समझौता नहीं करेगा और देश के किसानों और डेयरी उद्योग को किसी भी तरह के नुकसान से बचाया जाएगा.

टैरिफ सिर्फ आर्थिक हथियार नहीं, राजनीतिक दबाव…
ट्रंप का टैरिफ फॉर्मूला केवल गणितीय नहीं, बल्कि कूटनीतिक भी है. इसके जरिए अमेरिका अन्य देशों पर राजनीतिक और व्यापारिक दबाव बनाता है. भारत जैसे विकासशील देशों के लिए यह एक चुनौती है, जहां नीतिगत फैसले लेना राष्ट्रहित में जरूरी है. आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि भारत और अमेरिका के बीच व्यापार वार्ता किस दिशा में आगे बढ़ती है.

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