
फिल्म इंडस्ट्री मे कई ऐसे एक्टर हैं जो अपनी बेहतरीन एक्टिंग, शानदार एक्शन और स्टाइल के लिए दुनिया भर मे फेमस हैं. गुजरे जमाने मे भी कई ऐसे स्टार थे. जो अपनी एक्टिंग और डायलॉग के साथ-साथ अपने एटीट्यूड के लिए भी जाने-जाते थे. ऐसे ही एक अभिनेता थे राज कुमार.
उन्होंने अपने अभिनय करियर की शुरुआत साल 1952 मे रिलीज हुई फिल्म ‘रंगीली’ से की थी. इस फिल्म के बाद राज कुमार ने कई फिल्मों मे काम किया. लेकिन इन्हें कुछ खास पहचान नहीं मिल सकी. इसके बाद साल 1959 मे रिलीज हुई फिल्म ‘पैगाम’ से इन्हे एक अलग पहचान मिली. इस फिल्म से यह रातोंरात एक सुपरस्टार अभिनेता बन गए.
फिल्म की सफलता के बाद इनमे एक एटीट्यूड ने जन्म ले लिया था. इनके तेवर काफी बदल गए थे. अब राज कुमार फिल्म निर्माता के पीछे नहीं, बल्कि फिल्म निर्माता राज कुमार के पीछे भागने लगे. उस समय बॉलीवुड के महान फिल्म निर्माता और निर्देशक रामानन्द सागर इनके बेहद करीबी दोस्त थे.
रामानन्द सागर को उस समय फिल्म ‘आंखे’ की लिए हीरो की तलाश थी. इसलिए रामानन्द सागर राज कुमार के पास गए, और अपनी इस फिल्म की पूरी कहानी राज कुमार को सुनाई. कहानी पूरी सुनने के बाद राज कुमार ने अपनी सिगार जलाई, और वहीं घूम रहे अपने कुत्ते को अपने पास बुलाया.
कुत्ते को पास बुलाकर राज कुमार ने कुत्ते से पूछा, बताओ यह कहानी तुम्हें कैसी लगी, कुत्ता कुछ देर शांत रहा, और फिर जोर-जोर से भौकने लगा. कुत्ते का भौकना देखकर राज कुमार ने कहा, जानी जब तुम्हारी कहानी हमारे कुत्ते को पसंद नहीं आई, तो हमे कैसे पसंद आएगी.
राज कुमार की इस तरह की बात सुनकर रामानन्द सागर वहां से चले गए, और फिर फिल्म ‘आंखे’ के लिए उन्होंने ने धर्मेन्द्र को फाइनल किया. फिल्म रिलीज हुई, साथ ही बॉक्स ऑफिस पर एक सुपरहिट फिल्म साबित हुई.