क्या मैसेज पढ़ रही है सरकार? वॉट्सएप-इंस्टाग्राम के जरिए जब्त हुई ₹250 करोड़ से अधिक की संपत्ति  

यदि आप सोशल मीडिया पर पर्सनल चैट्स करते हैं तो यह खबर आपके काम की है, क्योंकि सरकार आपकी हर एक गतिविधि पर नजर रख रही है। बेशक सरकार हर एक मैसेज नहीं पढ़ती लेकिन यदि कोई भी गैर-कानून गतिविधि का शक हुआ तो सरकार आपके वॉट्सएप और इंस्टाग्राम मैसेज भी पढ़ सकती है। इसके अलावा गूगल मैप के जरिए आपकी लोकेशन की भी सरकार को जानकारी होती है। WhatsApp, इंस्टाग्राम और गूगल मैप के जरिए सरकार ने अब तक 250 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति जब्त की है।

दरअसल, केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद में इनकम टैक्स बिल को लेकर बात करते हुए कहा है कि जांच एजेंसियों ने Google Maps की सहायता से उन जगहों का पता चला जहां लोग कैश छुपाते थे। इंस्टाग्राम अकाउंट्स से अवैध संपत्ति के मालिकों का पता लगाया गया। इतना ही नहीं WhatsApp मैसेज से क्रिप्टो एसेट्स से जुड़े 250 करोड़ रुपये का काला धन पकड़ा गया है।

वित्त मंत्री ने कहा है, “मोबाइल फोन पर एन्क्रिप्टेड मैसेज से 250 करोड़ रुपये की बेनामी संपत्ति का पता चला। WhatsApp मैसेज से क्रिप्टो एसेट्स के के बारे में पता चला है। वॉट्सएप मैसेज की जांच के जरिए 200 करोड़ रुपये की बेनामी राशि का पता चला है। उन्होंने यह भी कहा कि नकदी छिपाने के लिए अक्सर जिन स्थानों पर लोग जाते थे उन्हें निर्धारित करने के लिए गूगल मैप्स की हिस्ट्री देखी गई थी और बेनामी संपत्ति के मालिकों का पता लगाने के लिए इंस्टाग्राम अकाउंट्स की जांच की गई थी।

निर्मला सीतारमण ने यह भी कहा कि टैक्स चोरी साबित करने और कितना टैक्स चोरी किया गया है, इसका पता लगाने के लिए डिजिटल अकाउंट्स से सबूत इकट्ठा करना महत्वपूर्ण है।

वित्त मंत्री ने अपने भाषण में जो बातें रखीं उन्हें बिंदुबार तरीके से ऐसे समझा सकता है:

  • एन्क्रिप्टेड मैसेज (गुप्त कोड में लिखे मैसेज) और मोबाइल फोनों को डिकोड करने से 250 करोड़ रुपये की अघोषित संपत्ति का पता चला। वॉट्सएप चैट से 90 करोड़ रुपये के क्रिप्टोकरेंसी एसेट्स और उससे जुड़े नेटवर्क का खुलासा हुआ।
  • वॉट्सएप पर हुई बातचीत और उसमें मिली संदिग्ध सामग्री से 200 करोड़ रुपये के फर्जी बिलों का पता चला। साथ ही इस धोखाधड़ी में शामिल लोगों की पहचान भी हुई।
  • जमीन बिक्री से कमाए गए 150 करोड़ रुपये को फर्जी दस्तावेजों के जरिए केवल 2 करोड़ रुपये के रूप में दिखाया गया था। लोगों के फोन की गूगल सर्च हिस्ट्री से उन स्थानों का पता चला, जहां अवैध नकदी छिपाई गई थी।
  • बेनामी संपत्ति के मामले में इंस्टाग्राम अकाउंट्स का उपयोग किया गया, जिससे महंगी गाड़ियों के मालिकों की जानकारी मिली। 

दरअसल, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार टैक्स चोरी और अवैध संपत्तियों के मामलों को लेकर सख्त है। ऐसे में सरकार कड़े नियम बनाकर टैक्स चोरी रोकने का मन बना चुकी है। ऐसे में संसद में ‘इनकम टैक्स बिल-2025′ लाकर सरकार सीधे तौर पर कानून बनाना चाहती है। इसी कड़ी में इस बिल को लेकर जानकारी देते हुए केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने लोकसभा में डिजिटल तरीके से करोड़ों रुपए की अवैध संपत्ति और उस पर हुई टैक्स चोरी के पकड़े जाने के बारे में बताया है।

क्या सरकार पढ़ रही है WhatsApp मैसेज?

आम तौर पर, कोई भी व्यक्ति किसी दूसरे के वॉट्सएप चैट या एन्क्रिप्टेड मैसेज को नहीं पढ़ सकता। हालांकि सरकार को बेनामी संपत्ति, फर्जी लेनदेन या अन्य आपराधिक मामलों की जांच के दौरान संदिग्ध व्यक्ति के मोबाइल या कंप्यूटर को जब्त करने और उसकी जांच करने का अधिकार है।  एक न्यूज़ वेबसाइट  ने सुप्रीम कोर्ट के वकील विराग गुप्ता के हवाले से अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि कोई भी संदिग्ध जांच के दौरान निजता के अधिकार का दावा करके अपने व्यक्तिगत डेटा को शेयर करने या अपना फोन व कंप्यूटर जब्त करने से इनकार नहीं कर सकता।

विराग गुप्ता ने आगे कहा है कि आपराधिक मामलों में सरकार पहले मोबाइल फोन जब्त करती है और फिर पासवर्ड लेकर उसमें मौजूद सारी जानकारी प्राप्त करती है। आर्यन खान और सुशांत सिंह राजपूत जैसे चर्चित मामलों में भी जांच अधिकारियों ने मोबाइल से डेटा हासिल किया था। वित्तमंत्री द्वारा बताए गए मामलों में सरकार ने शिकायत मिलने के बाद जांच शुरू की और कानून से मिली शक्तियों के आधार पर ही जब्त किए गए फोनों से जानकारी निकाली। सरकार किसी की लगातार निगरानी नहीं करती और न ही ऐसा करना चाहती है, क्योंकि उसके पास ऐसा करने का अधिकार नहीं है।

उन्होंने आगे कहा एन्क्रिप्टेड मैसेज और डेटा को फोन से निकालना और निगरानी के जरिए डेटा प्राप्त करना दो अलग-अलग चीजें हैं। जांच एजेंसियों को संदिग्ध व्यक्ति के डिजिटल डेटा की निगरानी करने का अधिकार है। ये एजेंसियां कानून से मिले डिजिटल निगरानी के अधिकार के तहत ही डेटा हासिल करती हैं, लेकिन किसी ऐप या सॉफ्टवेयर का उपयोग करके या किसी के फोन व डिजिटल उपकरणों की जासूसी कर निजी जानकारी निकालना अवैध है।

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