
चीन में मुस्लिमों पर हो रहे अत्याचार से पूरी दुनिया वाकिफ है. अमेरिका, भारत समेत कई देश इस मसले पर आवाज उठाते रहते हैं. इस्लाम के ठेकेदार पाकिस्तान और तुर्की कश्मीर मुद्दे को लेकर पूरी दुनिया में बेवजह हंगामा काटते हैं लेकिन चीन में मुस्लिमों पर हो रहे अत्याचार पर एक भी शब्द इन ढोंगियों के मुंह से नहीं निकलता.
चीन के शिनजियांग प्रांत में उइगर मुस्लिमों पर अत्याचार जगजाहिर हैं. आए दिन उनके साथ बर्बरता की खबरें मीडिया में आती हैं. हाल में इस मामले पर विश्व उइगर कांग्रेस के अध्यक्ष, डॉल्कन ईसा ने एक वेबिनार में चर्चा की. उन्होंने बताया कि शिनजियांग में उइगर मुस्लिमों की आबादी को रमजान में रोजा रखने तक की अनुमति नहीं हैं. इसके लिए उन्हें उन दिनों सामुदायिक रसोई से जबरदस्ती खाना खिलाया जाता है.
डॉल्कन ईसा ने तिरुवनंतपुरम स्थित सेंटर फॉर पॉलिसी एंड डेवलपमेंट स्टडीज द्वारा आयोजित एक वेबिनार ‘उइगर मुस्लिम और चीन द्वारा उनके मानवाधिकारों के उल्लंघन’ पर अपनी बात रखते हुए बताया कि चीन के शिनजियांग प्रांत में उइगर मुस्लिम अपने मजहब के हिसाब से अपने बच्चों का नाम भी नहीं रख सकते. वहीं, जो एक्टिविस्ट दूर देश में बैठकर उन पर सवाल उठाते हैं, उनके बारे में वे अपने खुफिया सूत्रों से पता लगा लेते हैं.
उन्होंने कहा कि चीन की कम्युनिस्ट पार्टी ने उइगर मुस्लिमों के मानवाधिकारों को खारिज कर दिया है. सत्ताधारी पार्टी उइगर एक्टिविस्टों का शोषण करती है, चाहे वह दूसरे देशों में ही क्यों न हों. उन कार्यकर्ताओं को खुफिया एजेंसी ट्रैक करती हैं और उनकी आवाज दबाती हैं.
चीन के साथ व्यापार खत्म करने के फैसले का समर्थन करते हुए ईसा कहते हैं, “अगर विश्व ने चीन के सामनों और उनके बिजनेस को ब्लॉक नहीं किया तो लोकतंत्र और मानवाधिकार इतिहास की बातें हो जाएंगी.”
इस बीच वाशिंगटन के रुशन अब्बास और ‘कैम्पेन फॉर उइगर’ के अध्यक्ष ने चीनी सरकार को उइगरों और तिब्बतियों से गुलामी करवाने और उनका नरसंहार करने का आरोपी बताया. उन्होंने इस मुद्दे पर बोलते हुए अपनी बहन व पेशे से डॉक्टर गुलशन अब्बास के बारे में बात की, जिसके अपहरण का इल्जाम कथित तौर पर चीनी सरकार पर था और बाद में उसे चीन के शिविरों में धकेल दिया गया.
अब्बास का कहना है कि यूएस ने पहले ही चीन के ख़िलाफ इकोनॉमिक ब्लॉकेड शुरू कर दिया है. साथ ही सत्तारूढ़ चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के नेतृत्व में अल्पसंख्यक उइगर मुसलमानों पर किए जा रहे नरसंहार और गुलामी के खिलाफ मुस्लिम दुनिया को सक्रिय होने का आह्वान किया.
सेंटर फॉर चाइना एनालिसिस एंड स्ट्रेटजी के अध्यक्ष और पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बोर्ड के सदस्य जयदेव रानाडे ने भी इस विषय पर अपनी राय रखी. उन्होंने बताया कि भारत ने चीन के खिलाफ न केवल एलएसी पर, बल्कि देश में चीनी उत्पादों को प्रतिबंधित करके भी अपना पक्ष रखा है. रानाडे ने इन बातों पर गौर करवाया कि कैसे चीन के साथ व्यापार बंद कर भारत सरकार ने उसको आर्थिक नुकसान पहुंचाया है.
गौरतलब है कि 26 सितंबर को शी जिनपिंग ने शिनजियांग प्रांत में अपने देश की नीति को उचित ठहराया था. साथ ही यह भी कहा था कि वर्तमान नीति को लंबे समय तक चलाया जाना चाहिए. उनके मुताबिक चीन के शिनजियांग प्रांत के पश्चिमी इलाके में रहने वाले सभी जातीय समूहों का लगातार विकास चल रहा है और चीन की सरकार वहां के निवासियों को अपने देश को लेकर ‘सही’ शिक्षा देती रहेगी.
यहाँ बता दें कि उइगर मुस्लिमों पर होते अत्याचार के क्रम में पिछले दिनों ऑस्ट्रेलिया के थिंक टैंक ASPI ने दावा किया था कि साल 2017 से लेकर अब तक चीन की सरकार ने शिनजियांग प्रांत में लगभग 16,000 मस्जिदों को नष्ट किया है. इनमें से करीब 8500 मस्जिद पूर्ण रूप से ध्वस्त किए गए हैं, जिनकी जमीनें अभी तक खाली पड़ी हैं.
थिंक टैंक ने दावा किया था कि प्रांत में करीब 28% मस्जिदों को क्षतिग्रस्त किया गया है या उन्हें किसी और चीज में तब्दील कर दिया गया. वहीं, मजहबी मार्ग, इबादतगाहों और कब्रिस्तानों सहित 30% महत्वपूर्ण इस्लामी स्थलों का शिनजियांग में समूल विनाश किया गया है. अनुमान के मुताबिक साल 2017 के बाद प्रांत में हर तीन मस्जिदों में से एक को ध्वस्त किया गया