जानिए, कौन है दीप सिद्धू जिसने लाल किला में कराई थी हिंसा और खालिस्तानियों से क्या है कनेक्शन!

गणतंत्र दिवस पर किसानों के भेष में आए दंगाइयों ने ऐसी हिंसा फैलाई कि दिल्ली दहल उठी. पूरा देश स्तब्ध था. इस हिंसा में सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाया गया. पुलिस पर लाठी, डंडों और तलवार से हमला हुआ. लोकतंत्र के प्रतीक लाल किला की पवित्रता भी तार-तार हो गई. तिरंगे का अपमान किया गया. खालिस्तान से मिलता जुलता झंडा फहराया गया. इस पूरे दंगे का नेतृत्व पंजाबी अभिनेता दीप सिद्धू ने किया. हिंसा के बाद 27 जनवरी को उसके खिलाफ मामला दर्ज हुआ. उसकी गिरफ्तारी के लिए एक लाख रुपये का ईनाम भी रखा. अब करीब 15 दिन बाद उसे पंजाब के जीरकपुर इलाके से गिरफ्तार किया गया है.

बता दें कि पुलिस की गिरफ्त से दूर रहते हुए सिद्धू लगातार सोशल मीडिया पर वीडियो संदेश जारी कर रहा था. दावा किया गया है कि पंजाबी अभिनेता जो वीडियो अपलोड करता है, उसके पीछे उसकी एक बेहद करीबी महिला मित्र है जो कैलिफोर्निया में रहती है. पुलिस के अनुसार सिद्धू वीडियो बनाता था और उसे उसकी महिला मित्र और अभिनेत्री विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर अपलोड किया करती थी.

हाल ही में पंजाबी अभिनेता ने एक वीडियो जारी कर कहा था कि उसने कुछ गलत नहीं किया है. इसलिए उसे किसी बात का कोई डर नहीं है. वह मामले से जुड़े सबूत जुटा रहा है और दो दिन बाद पुलिस के सामने पेश होगा. उसने जांच एजेंसियों से उसके परिवार को परेशान न करने के लिए कहा था.

दीप सिद्धू एक पंजाबी अभिनेता है. सिद्धू का जन्म वर्ष 1984 में पंजाब के मुक्तसर जिले में हुआ, फिर उसने आगे कानून की पढ़ाई की. दीप किंगफिशर मॉडल हंट का विजेता रह चुका है और मिस्टर इंडिया कॉन्टेस्ट में मिस्टर पर्सनैलिटी का खिताब अपने नाम कर चुका है. शुरूआत में मॉडलिंग की, लेकिन कामयाबी नहीं मिली. किंगफिशर मॉडल हंट अवार्ड जीतने से पहले वह कुछ दिन बार का सदस्य भी रहा. साल 2015 में दीप सिद्धू की पहली पंजाबी फिल्म ‘रमता जोगी’ रिलीज हुई. हालांकि, उसे पहचान साल 2018 में आई फिल्म ‘जोरा दास नुंबरिया’ से मिली, जिसमें उसने गैंगेस्टर का किरदार निभाया था.

बता दें कि दीप सिद्धू किसान आंदोलन में लगातार दो महीनों से सक्रिय था. कुछ दिन पहले दीप को सिख फॉर जस्टिस (एसएफजे) के साथ रिश्तों को लेकर राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने नोटिस भी जारी किया था. दीप ने पिछले साल आंदोलन के दौरान किसान यूनियन के नेतृत्व पर सवाल उठाए थे. उस दौरान उसने शंभु मोर्चा के नाम से नए किसान संगठन की घोषणा भी की थी. तब उसके मोर्चा को खालिस्तान समर्थक चैनलों से समर्थन भी मिला था.

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